हरियाणा से पहला CJI!, जस्टिस सूर्यकांत बनेंगे देश के 53वें चीफ जस्टिस

जस्टिस सूर्यकांत होंगे भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI)। अनुच्छेद 370, पेगासस, राजद्रोह कानून, और लैंगिक समानता जैसे ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रहे। हरियाणा से पहले CJI बनने जा रहे हैं।

हरियाणा से पहला CJI!, जस्टिस सूर्यकांत बनेंगे देश के 53वें चीफ जस्टिस
जस्टिस सूर्यकांत के नाम की सिफारिश।
  • CJI भूषण गवई ने केंद्र से की सिफारिश 
  • 24 नवंबर को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में संभालेंगे पद
  • 15 महीने का होगा कार्यकाल
  • आर्टिकल 370, पेगासस से लेकर लैंगिक समानता तक कई ऐतिहासिक फैसलों के गवाह रहे हैं जस्टिस सूर्यकांत

नई दिल्ली। भारत को जल्द ही उसका 53वां प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice of India) मिलने जा रहा है। मौजूदा CJI भूषण रामकृष्ण गवई ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत के नाम की सिफारिश केंद्र सरकार से की है। 

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सिफारिश मंजूर होने के बाद जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर 2025 को भारत के अगले चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेंगे। उनका कार्यकाल लगभग 15 महीनों का होगा और वे नौ फरवरी 2027 को सेवानिवृत्त होंगे। सुप्रीम कोर्ट के जज 65 साल की उम्र में रिटायर होते हैं।

हरियाणा से पहले CJI बनेंगे सूर्यकांत

जस्टिस सूर्यकांत हरियाणा से आने वाले पहले व्यक्ति होंगे जो देश के मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। उनका जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले के पेटवाड़ गांव में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।नउनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। शुरुआती शिक्षा उन्होंने गांव के स्कूल से प्राप्त की, जहां बेंच तक नहीं हुआ करती थी। उन्होंने 10वीं की परीक्षा देने के लिए पहली बार शहर देखा था।

करियर और न्यायिक सफर

जस्टिस सूर्यकांत को 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय में आने से पहले वे पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। दो दशकों के न्यायिक करियर में उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए, जिनका सीधा असर लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, भ्रष्टाचार विरोध, पर्यावरण और लैंगिक समानता पर पड़ा।

महत्वपूर्ण फैसले जिनसे जुड़ा नाम जस्टिस सूर्यकांत का

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाले फैसले में रहे शामिल।

राजद्रोह कानून (Sedition Law) पर रोक लगाने वाली बेंच के सदस्य रहे — सरकार को आदेश दिया कि समीक्षा तक कोई नई FIR दर्ज न की जाए।

पेगासस स्पाइवेयर केस की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों की समिति गठित करने वाले बेंच का हिस्सा।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के 1967 के फैसले को पलटने वाली सात-न्यायाधीशों की पीठ में शामिल — जिससे विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार का रास्ता खुला।

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में महिलाओं के लिए 1/3 सीटें आरक्षित करने का ऐतिहासिक आदेश दिया।

वन रैंक-वन पेंशन (OROP) को संवैधानिक मान्यता देने और सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों की समानता के लिए सुनवाई जारी रखी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के सुरक्षा उल्लंघन की जांच के लिए न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में कमिटी गठित करने वाली बेंच का हिस्सा रहे।

बिहार SIR मामले में चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद हटाये गये 65 लाख नामों की पूरी सूची सार्वजनिक की जाए।

 CJI नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है?

परंपरागत रूप से, भारत का मुख्य न्यायाधीश हमेशा सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को बनाया जाता है। मौजूदा CJI जब सेवानिवृत्त होने वाले होते हैं, तब कानून मंत्रालय उनसे उनके उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश मांगता है। इस परंपरा के तहत, CJI भूषण गवई ने केंद्र को जस्टिस सूर्यकांत का नाम भेजा है।

कार्यकाल और सेवानिवृत्ति

जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर 2025 को पदभार ग्रहण करेंगे। उनका कार्यकाल लगभग 15 महीने का होगा। वे नौ फरवरी 2027 को 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होंगे।

 एक ग्रामीण बच्चे से लेकर देश के शीर्ष न्यायाधीश तक का सफर

हिसार के एक छोटे से गांव से निकलकर भारत की न्यायपालिका के सर्वोच्च पद तक पहुंचने की कहानी प्रेरणादायक है। जस्टिस सूर्यकांत का जीवन न्याय, समानता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति समर्पण का उदाहरण है।वे न केवल कानूनी दृष्टि से सशक्त हैं बल्कि समाज के वंचित तबकों की आवाज उठाने वाले जज के रूप में भी पहचाने जाते हैं।