दिल्ली: UPSC छात्र की लिव-इन पार्टनर ने रची खौफनाक साजिश, फॉरेंसिक साइंस की स्टूडेंट ने ऐसे किया कत्ल ...
दिल्ली के गांधी विहार में UPSC छात्र की हत्या की चौंकानेवाली साजिश। फॉरेंसिक साइंस की छात्रा अमृता चौहान ने लिव-इन पार्टनर का गला दबाकर घी, तेल और शराब से जलाया, फिर गैस सिलेंडर खोल कर रची ‘हादसे’ जैसी साजिश।
- फॉरेंसिक साइंस की छात्रा अमृता चौहान ने अपने लिव-इन पार्टनर की हत्या
- घी, तेल और शराब उड़ेलकर जलाया
- गैस सिलेंडर खोल कर रची ‘हादसे’ जैसी साजिश
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के गांधी विहार इलाके में मिली एक जली हुई लाश ने पुलिस को शुरू में तो यह सोचने पर मजबूर कर दिया था कि यह एक हादसा है, लेकिन जांच आगे बढ़ी तो सामने आई एक ऐसी कहानी जिसने सबको हैरान कर दिया।
यह भई पढ़ें:उत्तर प्रदेश: अब ‘कबीरधाम’ नाम से जाना जायेगा लखीमपुर का ‘मुस्तफाबाद
32 वर्षीय रामकेश मीणा, जो सिविल सर्विसेज (UPSC) की तैयारी कर रहे थे, की हत्या उनकी ही लिव-इन पार्टनर अमृता चौहान (21) ने अपने पूर्व प्रेमी और उसके दोस्त की मदद से की थी। अमृता कोई आम लड़की नहीं, बल्कि फॉरेंसिक साइंस में बीएससी की पढ़ाई कर चुकी थी — यानी उसे पता था कि अपराध के सबूत कैसे मिटाए जाते हैं।
साजिश की शुरुआत: जब अमृता को मिला ‘प्राइवेट वीडियो’ का राज
अमृता और मीणा मई 2025 से लिव-इन में रह रहे थे। कुछ महीनों बाद अमृता को पता चला कि मीणा ने उसके निजी वीडियो गुप्त रूप से बना लिए हैं।कई बार कहने के बावजूद जब मीणा ने वीडियो डिलीट नहीं किए, तो अमृता ने पुलिस में शिकायत करने के बजाय “क्राइम की क्लास” में सीखी चीजों को इस्तेमाल करने का मन बना लिया।उसने अपने पुराने प्रेमी सुमित कश्यप (27) से संपर्क किया और ‘एक योजना’ तैयार की — जिसमें सुमित का दोस्त संदीप कुमार (29) भी शामिल हो गया।
5-6 अक्टूबर की रात: जब पहुंची ‘मौत की टीम’
तीनों मुरादाबाद से दिल्ली पहुंचे। गांधी विहार में चौथी मंजिल पर मीणा का फ्लैट था। सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि रात 2:30 बजे के करीब तीन लोग—दो पुरुष और एक महिला—इमारत में घुसते हैं, और 2:57 पर बाहर निकलते हैं। कुछ मिनट बाद ही वहां जोरदार धमाका हुआ और पूरा कमरा जलकर राख हो गया।
‘हादसे’ की तरह दिखाने के लिए अमृता ने लगाया दिमाग
अमृता ने मीणा का पहले गला दबाकर कत्ल किया, फिर घी, तेल और शराब उड़ेलकर उसके शरीर को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद गैस सिलेंडर का वॉल्व खोल दिया ताकि अंदर गैस भर जाए और धमाके से सबकुछ हादसे जैसा लगे। तीनों आरोपी बाहर निकलते वक्त लोहे के गेट को अंदर से छोटे छेद के जरिए बंद कर गए, ताकि किसी को शक न हो कि कोई अंदर आया था।
सुमित, जो एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर था, सिलेंडर का इंतजाम लेकर आया था।
सबूतों से खुला राज
फॉरेंसिक जांच में जब पुलिस को जलने के बाद भी असामान्य रासायनिक पदार्थों के निशान मिले, तो शक और गहराया। अमृता की लोकेशन और कॉल डिटेल्स से पता चला कि वह वारदात के वक्त पास में ही थी। 18 अक्टूबर को अमृता को मुरादाबाद से गिरफ्तार किया गया, जिसने पूरी साजिश कबूल कर ली।उसके बाद सुमित (21 अक्टूबर) और संदीप (23 अक्टूबर) भी पकड़े गए।
क्या-क्या बरामद हुआ
पुलिस ने तीनों आरोपियों के पास से बरामद किया—
एक हार्ड डिस्क,
एक ट्रॉली बैग,
मीणा की शर्ट,
और दो मोबाइल फोन।
हार्ड डिस्क में मौजूद वीडियो सबूतों को नष्ट करने की कोशिश की गई थी।
DCP राजा बांठिया बोले
“अमृता ने अपने फॉरेंसिक नॉलेज का इस्तेमाल अपराध को हादसे जैसा दिखाने में किया। लेकिन तकनीकी सबूतों ने उसकी चालाकी को बेनकाब कर दिया।”
केस का निष्कर्ष
यह केस एक बार फिर याद दिलाता है कि "अपराध चाहे कितना भी सोचा-समझा क्यों न हो, सच किसी न किसी तरह सामने आ ही जाता है।"






