झारखंड: चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को संक्रमित खून चढ़ा दिया, सिविल सर्जन सस्पेंड

झारखंड के चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित छह बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने का मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सिविल सर्जन सहित कई अधिकारियों को निलंबित किया और सभी ब्लड बैंकों का ऑडिट कराने का आदेश दिया है।

झारखंड: चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को संक्रमित खून चढ़ा दिया, सिविल सर्जन सस्पेंड
जांच करने पहुंचे अफसर।
  • अधीक्षक, ब्लड बैंक प्रभारी, अस्पताल प्रबंधक और जिला कार्यक्रम प्रबंधक सहित कई निलंबित
  • सभी ब्लड बैंकों का ऑडिट पांच दिनों में करने का निर्देश
  • पीड़ित परिवारों को दो-दो लाख रुपये मुआवजा और मुफ्त इलाज का आश्वासन

रांची। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल में मानवता को झकझोर देने वाली एक बड़ी लापरवाही सामने आयी है। थैलेसीमिया से पीड़ित छह बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ा दिया गया। इस घटना के उजागर होते ही पूरे राज्य के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। सीएम हेमंत सोरेन ने इस गंभीर घटना को अत्यंत पीड़ादायक बताते हुए तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सिविल सर्जन, अधीक्षक, ब्लड बैंक प्रभारी, अस्पताल प्रबंधक और जिला कार्यक्रम प्रबंधक सहित कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।
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मुख्यमंत्री ने कहा — "स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर स्थिति बर्दाश्त नहीं"

सीएम हेमंत सोरेन ने अपने एक्स (Twitter) हैंडल पर पोस्ट करते हुए कहा कि “चाईबासा में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाया जाना बेहद दर्दनाक और चिंता का विषय है। स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर स्थिति किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जायेगी।” उन्होंने इस घटना की पूरी जिम्मेदारी तय करते हुए राज्य के सभी ब्लड बैंकों का ऑडिट कराने का आदेश दिया है। साथ ही, पांच दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।

दो-दो लाख रुपये मुआवजा और मुफ्त इलाज की घोषणा

मुख्यमंत्री ने प्रभावित बच्चों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार सभी संक्रमित बच्चों के इलाज का पूरा खर्च वहन करेगी।

 स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने दी सफाई

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने बताया कि उन्हें दो दिन पहले ही यह मामला जानकारी में आया था।उन्होंने कहा, “मैंने तुरंत उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे। जांच के दौरान एक थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे में एचआईवी संक्रमण की प्रारंभिक पुष्टि हुई है। सिविल सर्जन, एचआईवी यूनिट प्रभारी चिकित्सक और संबंधित टेक्नीशियन को निलंबित किया गया है।”इरफान अंसारी ने यह भी कहा कि जांच टीम यह सुनिश्चित करेगी कि संक्रमित रक्त की आपूर्ति ब्लड बैंक से हुई थी या बाहर से। उन्होंने बताया कि एचआईवी संक्रमण की पुष्टि में लगभग चार सप्ताह लगते हैं, और ‘विंडो पीरियड’ के दौरान यदि संक्रमित रक्त चढ़ाया जाए तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

 जांच में सामने आई चौंकाने वाली लापरवाही

जांच के लिए चाईबासा गई स्वास्थ्य निदेशालय की टीम ने रिपोर्ट में पाया कि एक बच्चे के संक्रमित पाए जाने के बाद भी अस्पताल प्रशासन ने कोई सतर्कता नहीं बरती।स्वास्थ्य विभाग को भी इस घटना की सूचना नहीं दी गई थी। टीम ने ब्लड बैंक प्रभारी को सबसे बड़ी चूक के लिए जिम्मेदार बताया, जबकि सिविल सर्जन को निगरानी नहीं रखने का दोषी माना गया।

 बीजेपी ने मांगा स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा

भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने इस घटना को “राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था का शर्मनाक उदाहरण” बताया है। उन्होंने कहा, “क्या एक जीवन की कीमत सिर्फ 2 लाख रुपये है? केवल निलंबन से काम नहीं चलेगा। स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए और जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।”प्रतुल शाहदेव ने आरोप लगाया कि सरकार की लापरवाही के कारण मासूम बच्चों की जान खतरे में पड़ी है, इसलिए जिम्मेदारी तय करते हुए कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।

आगे क्या?

मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है कि सभी जिलों के ब्लड बैंकों का ऑडिट रिपोर्ट पांच दिनों के भीतर प्रस्तुत की जाए। राज्य एड्स नियंत्रण समिति को इस जांच की जिम्मेदारी दी गई है।इस बीच, चाईबासा के सदर अस्पताल में सुरक्षा और संक्रमण नियंत्रण को लेकर कड़ी निगरानी बढ़ा दी गई है।