Dhanbad : नेशनल लोक अदालत ने रचा रिकॉर्ड: 3.70 लाख मामलों का निपटारा, 181 करोड़ से अधिक की रिकवरी

धनबाद में आयोजित नेशनल लोक अदालत में 3.70 लाख से अधिक मामलों का निपटारा हुआ और 181 करोड़ रुपये से ज्यादा की वसूली की गई। जैप जवान की विधवा को मिला 1.25 करोड़ का मुआवजा।

Dhanbad : नेशनल लोक अदालत ने रचा रिकॉर्ड: 3.70 लाख मामलों का निपटारा, 181 करोड़ से अधिक की रिकवरी
नेशनल लोक अदालत आयोजित ।
  • झारखंड में न्याय की तेज़ रफ्तार
  • एक दिन में लाखों लोगों को मिली राहत

धनबाद। झारखंड में न्याय व्यवस्था को सशक्त और आमजन के लिए सुलभ बनाने की दिशा में नेशनल लोक अदालत ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। नालसा (NALSA) के निर्देश पर शनिवार को आयोजित नेशनल लोक अदालत में राज्यभर में कुल 3 लाख 70 हजार 521 विवादों का सफलतापूर्वक निपटारा किया गया। इस दौरान 181 करोड़ 36 लाख 68 हजार 605 रुपये की रिकॉर्ड वसूली की गई, जिससे लाखों वादकारियों को वर्षों से लंबित मामलों से राहत मिली।

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नेशनल लोक अदालत का ऑनलाइन उद्घाटन झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश त्रिलोक सिंह चौहान ने दुमका से किया। धनबाद में आयोजित कार्यक्रम में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश बालकृष्ण तिवारी ने शिरकत की और दुर्घटना पीड़ितों व लाभुकों को मुआवजा राशि के चेक वितरित किए।

सड़क हादसे में शहीद जवान की पत्नी को 1.25 करोड़ का मुआवजा

कार्यक्रम का सबसे भावुक क्षण तब आया, जब सड़क दुर्घटना में शहीद हुए जैप जवान जमाल अख्तर की विधवा निखत परवीन को 1 करोड़ 25 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान किया गया। इस आर्थिक सहायता से निखत परवीन को अपने बच्चों की बेहतर परवरिश और सुरक्षित भविष्य की उम्मीद मिली।

 त्वरित न्याय की मिसाल बनी लोक अदालत

नेशनल लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य लंबित मामलों का त्वरित निपटारा, आपसी सहमति से विवादों का समाधान और आम लोगों को न्यायालयों के चक्कर से राहत दिलाना है। इस प्रक्रिया में न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और प्रशासनिक अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

कार्यक्रम में कई वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी, विधिक सेवा प्राधिकरण के पदाधिकारी, अधिवक्ता और कर्मचारी मौजूद रहे। सभी ने लोक अदालत की सफलता के लिए सहयोगियों के प्रति आभार जताया।नेशनल लोक अदालत ने यह साबित कर दिया कि वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली (ADR) के माध्यम से न्याय तेज़, सुलभ और प्रभावी बनाया जा सकता है। यह पहल झारखंड की न्याय व्यवस्था को नई मजबूती देने वाला कदम मानी जा रही है।