धनबाद के जज उत्तम आनंद मर्डर केस: सीबीआइ ने बदली जांच टीम, अब स्पेशल टीम करेगी इन्वनिस्टिगेशन

सीबीआई ने जज उत्तम आनंद मर्डर केस जांच कर रही टीम को बदल दिया है। जांच में लगी सीबीआइ की दिल्ली क्राइम ब्रांच की पूरी जांच टीम ही बदल दी गई है। जांच की जिम्मेदारी सीबीआइ के धुरंधर और धनबाद के माफिया घरानों की गतिविधियों से परिचित ऑफिसर्स मुकेश शर्मा व अन्य को दी गई है। 

धनबाद के जज उत्तम आनंद मर्डर केस: सीबीआइ ने बदली जांच टीम, अब स्पेशल टीम करेगी इन्वनिस्टिगेशन

धनबाद। सीबीआई ने जज उत्तम आनंद मर्डर केस जांच कर रही टीम को बदल दिया है। जांच में लगी सीबीआइ की दिल्ली क्राइम ब्रांच की पूरी जांच टीम ही बदल दी गई है। जांच की जिम्मेदारी सीबीआइ के धुरंधर और धनबाद के माफिया घरानों की गतिविधियों से परिचित ऑफिसर्स मुकेश शर्मा व अन्य को दी गई है। 

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नई टीम में डीएसपी मुकेश शर्मा शामिल
सीबीआइ की नई टीम ने धनबाद पहुंचकर अपना काम शुरू भी कर दिया है। सोर्सेंज के अनुसार सीबीआइ की नई जांच टीम में डीएसपी मुकेश शर्मा को शामिल किया गया है। शर्मा धनबाद से परिचित हैं। उन्होंने वर्ष 2002 में हुए कोयला व्यवसायी प्रमोद सिंह मर्डर केस की जांच की थी। शर्मा ने एनएचएआइ के बहुचर्चित इंजीनियर सत्येंद्र दुबे हत्याकांड की जांच की थी। मामले का खुलासा किया था। सीबीआइ ने पहले जो जांच टीम बनाई थी उसमें एएसपी विजय कुमार शुक्ला आइओ थे। सीबीआइ की जांच टीम में शामिल पुराने और नये अफसरों ने बुधवार को घटनास्थल धनबाद के रणधीर वर्मा चौक का मुआयना किया। मौके पर सीबीआइ के डीआइजी और एसपी भी थे।
हाईकोर्ट बार-बार उठा रही सीबीआई जांच के तरीके पर सवाल
सीबीआइ की जांच के तौर-तरीकों पर हाई कोर्ट द्वारा बार-बार सवाल उठाये जाने के बाद यह कदम उठाया गया है। अब देखना सीबीआइ जज उत्तम आनंद हत्याकांड में अपनी साख किस तरह बचाती है। नये टीम के सामने सीबीआइ की साख बचाने की चुनौती है। इस मामले की 28 जनवरी को हाई कोर्ट रांची में सुनवाई है। 
हाई कोर्ट खारिज की थी सीबीआइ की कहानी

झारखंड हाई कोर्ट के जज मर्डर केस की जांच की मोनेटरिगं कर रही है। कोर्ट के आदेश पर सीबीआई प्रत्येक सप्ताह जांच की प्रगित रिपोर्ट पेश कर रही है। चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की बेंच में 21 जनवरी को धनबाद के जज उत्तम आनंद मर्डर मामले में सुनवाई हुई थी। अदालत ने सीबीआइ जांच पर असंतोष जताते हुए मोबाइल लूटने के लिए हत्या का तर्क खारिज कर दिया। सीबीआइ की प्रगति रिपोर्ट देखकर कहा- ऐसा प्रतीत होता है कि वह इस मामले से अब थक गई है। इससे पीछा छुड़ाने के लिए नई कहानी गढ़ रही है। कोर्ट ने दोनों आरोपितों की नार्को टेस्ट रिपोर्ट पढ़कर सुनाई। इसमें यह निष्कर्ष दिया गया है कि किसी ने उन्हें जज को मारने का काम सौंपा था। सीबीआइ ने इस रिपोर्ट से सहमति भी जताई। इसके बाद अदालत ने कहा- रिपोर्ट से यही प्रतीत हो रहा है कि दोनों आरोपित जज को पहले से जानते थे। घटना को अंजाम देने के लिए उन्होंने जज की रेकी की थी। घटना के समयक्त जज के पास मोबाइल नहीं था। ऐसे में सीबीआइ की यह थ्योरी नहीं चलेगी कि मोबाइल छीनने के लिए मर्डर की गई है। इससे पहले सीबीआइ की ओर से कोर्ट में एक मैप पेश किया गया, जिसमें जज के मार्निंग वाक का डिटेल था। सीबीआइ की ओर से बताया गया कि जिस स्थान पर जज मार्निंग वाक कर रहे थे, वह पूरा क्षेत्र सीसीटीवी कैमरे की जद में था। घटना के समय उस लोकेशन में जितने भी मोबाइल फोन सक्रिय थे, सभी की जांच की गई, लेकिन किसी में भी आरोपितों के साथ बात होने का सबूत नहीं मिला। 
सीबीआई की साख पर भी सवाल खड़ा करेगा 
सीबीआई की ओर से कोर्ट में एक मैप पेश किया गया, जिसमें जज के मॉर्निंग वॉक का डिटेल था। सीबीआई की ओर से बताया गया कि जिस स्थान पर जज मॉर्निंग वॉक कर रहे थे, वह पूरा क्षेत्र सीसीटीवी कैमरे की जद में था। घटना के समय जितने भी मोबाइल फोन सक्रिय थे, सभी की जांच की गयी, लेकिन किसी में भी आरोपियों के साथ बात होने का सबूत नहीं मिले। जज को टक्कर मारने के पहले रेकी भी नहीं हुई थी।इस पर कोर्ट ने नाराजगी जतायी और कहा कि जिस तरह से घटना को अंजाम दिया गया उससे प्रतीत होता है कि जज की रेकी भी हुई होगी। सीबीआई इसका पता नहीं लगा पा रही है। सीबीआई जिस तरीके से काम कर रही है और जिस धारा में आरोप पत्र दाखिल किया गया है, उससे आरोपी बच सकते हैं। इस दौरान कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि इस मामले में फिर से नार्को और ब्रेन मैपिंग की क्यों जरूरत पड़ी, अगर दोनों रिपोर्ट एक-दूसरे के विरोधाभासी होते हैं, तो फिर किस पर विश्वास किया जायेगा। मामले में अभी तक सब कुछ करने के बाद भी रिजल्ट नहीं मिल रहा है, तो यह काफी दुखदाई है। इसका खुलासा नहीं हुआ तो यह सीबीआई की साख पर भी सवाल खड़ा करेगा।
सिर्फ मोबाइल छीनने की नियत से नहीं की गई बल्कि इसके पीछे बहुत बड़ा षड्यंत्र
कोर्ट ने कहा कि मामले में अभी तक सब कुछ करने के बाद भी रिजल्ट नहीं मिल रहा है, तो यह काफी दुखदाई है। इसका खुलासा नहीं हुआ तो यह सीबीआई के साख पर भी सवाल खड़े करेगा।कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की ओर से दाखिल रिपोर्ट में यह कहा गया है कि आरोपित दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते थे। यह भी जानते थे कि वह किसे टक्कर मार रहे हैं। क्योंकि उन्होंने नारको टेस्ट में राहुल ने कहा है कि लखन ने जज साहब को टक्कर मार दी है। उनके हाथ में सिर्फ रुमाल था। इससे प्रतीत होता है कि यह घटना सिर्फ मोबाइल छीनने की नियत से नहीं की गई बल्कि इसके पीछे बहुत बड़ा षड्यंत्र है।
फ्लैश बैक
जज उत्तम आनंद वर्ष 2021 की 28 जुलाई  से सुबह लगभग पांच बजे मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। रणधीर वर्मा चौक के समीप ऑटो ने जज को धक्का मार दिया। वह बेहोश होकर गिर गये। घायल जज को SNMMCH ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जज के घर वापस नहीं आने पर पत्नी कीर्ति सिन्हा ने रजिस्ट्रार को फोन कर इसकी सूचना दी। रजिस्ट्रार ने मामले की सूचना एसएसपी धनबाद को दी, इसके बाद पुलिस महकमा जज को ढूंढने में लग गया था। इसके बाद उनके एक्सीडेंट होने का पता। पहले इसे सामान्य सड़क हादसा माना गया लेकिन सीसीटीवी फुटेज में एक ऑटो को जानबूझकर धक्का मारते दिखने पर सनसनी फैल गई। मामले में जज की पत्नी कृति सिन्हा की कंपलेन पर धनबाद पुलिस स्टेशन में केस नंबर 300/21 दर्ज की गयी थी। मामले में जज की वाइफ के कंपेलन पर धनबाद पुलिस स्टेशन ऑटो ड्राइवर के खिलाफ मर्डर की एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने गिरिडीह से ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथ बैठे राहुल वर्मा को अरेस्ट कर लिया। 
सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया
मामले में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया। मामले में झारखंड गवर्नमेंट ने एडीजी (ऑपरेशन) संजय आनंद लाठकर के नेतृत्व में एसआईटी गठित की। एसआईटी को अब तक की जांच में सुनियोजित मर्डर से जुड़ा कोई एवीडेंस नहीं मिला था। पुलिस मामले में ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा व उसके सहयोगी राहुल वर्मा को अरेस्ट कर जेल भेजा गया। जज को धक्का मारने वाला ऑ़टो भी बरामद कर लिया गया है। झारखंड सरकार ने 30 जुलाई को मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी। इसी आधार पर सीबीआई बीते चार अगस्त ने मामले में एफआइआर दर्ज कर जिला पुलिस की केस को टेकओवर कर लिया था। अब सीबीआई दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच-1 इस मामले की जांच कर रही है। मामले में सीबीआई ने 20 अक्टूबर को चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई ने आईपीसी की धारा 302, 201 और 34 के तहत चार्जशीट दाखिल की थी।
आरोपियों की हो चुकी है नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग
सीबीआई ने ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथी राहुल वर्मा को रिमांड पर लेकर पूछताछ की है। छह अगस्त के कोर्ट के आदेश के बाद सात अगस्त को सीबीआई दोनो आरोपितों को रिमांड पर ले गई थी। दोनों की साइ डिटेक्टर समेत अन्य जांच करायी जा चुकी है।11 अगस्त को दोनों को वापस जेल भेज दिया गया था। सीबीआई की स्पेशल सेल ने नौ अगस्त को कोर्ट से दोनों आरोपीयों से सच्चाई पता करने के लिए नार्को टेस्ट,ब्रेन मैपिंग टेस्ट सहित चार अन्य टेस्ट कराने की अनुमति ली थी। नौ एवं 10 अगस्त को सिंफर के गेस्ट हाऊस सत्कार में राहुल और लखन का लाई डिटेक्टर टेस्ट ,ब्रेन इलेक्ट्रिकल आक्सीलेशन व अन्य टेस्ट किया गया था। टेस्ट में मिली जानकारी के बाद सीबीआई की टीम फॉरेंसिक एक्सपर्ट के साथ घटनास्थल पर आई थी। सीबीआई धनबाद रेलवे स्टेशन से घटनास्थल तक पहुंचने के तमाम रास्तों में लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला था। परंतु अब तक सीबीआई मामले की गुत्थी नहीं सुलझा सकी है। सीबीआइ घटनास्थाल पर तीन बार क्राइम सीन रिक्रियेट की है। सीबीआई दोनों आरोपियों की अहमदाबाद में नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग करायी है।दोनों की फिस से ब्रैन मैपिंग व अन्य जांच करायी जा रही है। 
जज को जानबूझकर धक्का मारा लेकिन साजिश का नहीं चला पता
सीबीआइ अभी तक सीबीआई टक्कर मारने के पीछे की मंशा नहीं भांप पाई है। लखन और राहुल सीबीआई से भी बार-बार यही कह रहे हैं कि नशे में धुत्त रहने के कारण ऑटो रोड किनारे दौड़ रहे व्यक्ति की तरफ मुड़ गया, जिससे उन्हें टक्कर लग गई। हालांकि सीबीआई दोनों के बयान को अंतिम सत्य नहीं मान रहे हैं। सीबीआइ परिस्थितिजन्य और वैज्ञानिक साक्ष्यों से टीम घटना के तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। दोनों के मोबाइल सीडीआर, घटनास्थल से मिले कॉल डंप, फोरेंसिक जांच के परिणाम के अलावा चिह्नित लोगों से लगातार हो रही पूछताछ के जरिए मामले में नये एंगल की तलाश हो रही है। दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की कर चुकी है। हाईकोर्ट सीबीआई जांच की मोनेटरिंग कर रही है। प्रत्येक सप्ताह सीबीआइ जांच की प्रगति रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करती है। सीबीआइ की अब तक की जांच से हाई कोर्ट असंतुष्ट है। सीबीआई की ओर से हाई कोर्ट में बतायी गयी है कि जज को जानबूझकर धक्का मारा गया था। हालांकि इसके पीछे साजिश का अभी तक पता नहीं चल सका है। सीबीआइ अभी तक की जांच में स्पष्ट नहीं कर पायी है कि जज की मर्डर क्यों की गयी और इस षड्यंत्र के पीछे कौन लोग हैं।