Dhanbad: सीसी हाजरा मेमोरियल हॉस्पिटल को बंद करने का आदेश, हेल्थ डिपार्टमेंट ने लगाया 50 हजार रुपये का जुर्माना

कोयला राजधानी धनबाद के बैंक मोड़ टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित डॉ सीसी हाजरा मेमोरियल हॉस्पिटल 28 जनवरी" 2023 की  रात आग लगने पांच लोगों की मौत हो गई थी। हेल्थ डिपार्टमेंट ने डॉ सीसी हाजरा मेमोरियल हॉस्पिटल बंद करने का आदेश दिया है। हॉस्पिटल  संचालक पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

Dhanbad: सीसी हाजरा मेमोरियल हॉस्पिटल को बंद करने का आदेश, हेल्थ डिपार्टमेंट ने लगाया 50 हजार रुपये का जुर्माना
  • हाजरा हॉस्पिटल में 28 जनवरी की रात आग लगने से हुई थी पांच लोगों की मौत

धनबाद। कोयला राजधानी धनबाद के बैंक मोड़ टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित डॉ सीसी हाजरा मेमोरियल हॉस्पिटल 28 जनवरी" 2023 की  रात आग लगने पांच लोगों की मौत हो गई थी। हेल्थ डिपार्टमेंट ने डॉ सीसी हाजरा मेमोरियल हॉस्पिटल बंद करने का आदेश दिया है। हॉस्पिटल  संचालक पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

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डॉ सीसी हाजरा मेमोरियल हॉस्पिटल 28 जनवरी 2023 की रात आग लगने से डॉक्टर विकास हाजरा, उनकी वाइफ डॉक्टर प्रेमा  हाजरा सहित पांच लोगों की मौत हो गयी थी।  हादसे की जांच के बाद सामने आया था कि हॉस्पिटल के रजिस्ट्रेशन की अवधि खत्म हो चुकी थी। फायर एनओसी भी नहीं लिया गया था। फायर फाइटिंग सिस्टम भी दुरुस्त नहीं था। हेल्थ डिपार्टमेंट ने जांच रिपोर्ट के आधार पर हॉस्पिटल को बंद करने का आदेश दिया है। 50 हज़ार का फाइन भी किया गया है 
हॉस्पिटल संचालक को कहा गया है कि आवासीय कैंपस में हॉस्पिटल या ओपीडी का काम बंद करें। डॉ विकास हाजरा और डॉक्टर प्रेमा  हाजरा का घर और हॉस्पिटल दोनों एक ही कैंपस में था।  पहले घर में आग लगी, जिसके बाद धीरे-धीरे हॉस्पिटल तक फैल गई।  इस दौरान घर में मौजूद डाक्टर दंपती  सहित पांच लोगों की मौत हो गई थी।
हॉस्पिटल में लगी आग बुझाने का प्रयास किया गया लेकिन उसके पहले डॉक्टर विकास हाजरा सहित पांच लोगों की मौत हो गई थी। आग लगने  के बाद  हॉस्पिटल स्टाफ समेत अन्य लोगों को  बचाने के क्रम में  किसी तरह डॉक्टर विकास हाजरा के कमरे  के अंदर के घुसे तो उन्होंने देखा कि डॉक्टर विकास हाजरा आग  से बचने के लिए बाथरुम में नहाने वाले पानी के टब  में अपने को डुबोये  हुए थे।  लेकिन आग लगने के कारण कमरे में इतनी अधिक गैस फैल गई थी कि उनका दम  घुट  गया था। दूसरे कमरे में डॉक्टर प्रेमा  हाजरा आग  से बचने के लिए कंबल में लिपटी हुई थी। हाज़रा  मेमोरियल अस्पताल का निर्माण स्वर्गीय डॉक्टर केके  हाजरा ने 1982 में किया था।
अगलगी की घटना में नहीं मिला कोई चश्मदीद
डॉ सीसी हाजरा मेमोरियल हॉस्पिटल में 28 जनवरी, 2023 को अगलगी की घटना पर स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में खुद क्लीनिक एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का पालन कराने वाले हेल्थ डिपार्टमेंट के अफसर व स्टाफ ही घेरे में आ गये हैं। हाजरा हॉस्पिटल में डाॅक्टर दंपती समेत पांच लोगों की मौत जलकर हुई या धुएं से दम घुटकर, इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नहीं जुटा पाए हैं। विभाग को हाजरा अस्पताल में अगलगी की घटना के बाद एक भी प्रत्यक्षदर्शी नहीं मिला, जो घटना के बारे में पूरी जानकारी दे सके। हॉस्पिटल क्लीनिक एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का पालन नहीं हो रहा था। अफसर भी निरीक्षण नहीं करते थे। स्वास्थ्य विभाग की ओर से घटना के बाद एक टीम बनाई गई थी। इसमें तत्कालीन सिविल सर्जन आदि ने जांच की थी, लेकिन रिपोर्ट में इसका उल्लेख नहीं हो पाया है कि पांच लोगों की मौत कैसे हुई है।रिपोर्ट में बताया गया है अस्पताल प्रबंधन का कहना है डा. समीर हाजरा, उनकी पत्नी प्रेमा हाजरा व तीन अन्य की मौत दम घुटने से हुई, लेकिन जब अस्पताल प्रबंधन से अग्निशमन, बिजली के कागजात की मांग की गई, तब बताया गया कि यह सभी कागज आग में जल गए।

इनके खिलाफ हो सकती है विभागीय कार्रवाई
तत्कालीन सीएस एवं डीडीएम पर पहले से चल रही कार्रवाई मामले पर तत्कालीन सिविल सर्जन डा. आलोक विश्वकर्मा, जिला डाटा मैनेडर (डीडीएम) एवं लीनिक स्टैब्लिशमेंट एक्ट का काम देख रही सीमा कुमारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई होने वाली है। अधिवक्ता कुंदन कुमार सिन्हा के आवेदन पर कार्मिक अवर सचिव सुनील कुमार ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह को कार्रवाई करने की निर्देश दिया है। दोनों के खिलाफ अनिवार्य सेवानिवृत्ति की मांग कुंदन सिन्हा ने की है।

हॉस्पिटल नहीं थी अग्निशमन की कोई व्यवस्था
आरोप है कि क्लीनिक स्टैब्लिशमेंट एक्ट के लाइसेंस से पहले अग्निशमन विभाग से एनओसी लेना अनिवार्य है, लेकिन हाजरा अस्पताल में अग्निशमन की कोई व्यवस्था नहीं थी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कभी इसकी जांच नहीं करते थे। नियमों को ताक पर रख कर स्टैब्लिशमेंट एक्ट का लाइसेंस दे दिया था। एक्ट के तहत लाइसेंस का रिन्युअल प्रत्येक वर्ष होता है, लाइसेंस इश्यू करने से पहले अस्पताल का भौतिक निरीक्षण अनिवार्य है, लेकिन इसे नहीं किया गया। जांच में यह बात भी सामने आई कि अस्पताल का फायर एनओसी नहीं है। बावजूद पदाधिकारियों ने अस्पताल का लाइसेंस रद क्यों नहीं किया।