धनबाद: चासनाला माइंस में 375 मजदूरों ने ले ली थी जल समाधि, घटना से जब दहल उठा था देश, 46वीं बरसी आज

चासनाला माइंस में वर्ष 1975 का 27 दिसंबर को जलप्लावन की घटना से पूरा देश दहल उठा था। इस्को की चासनाला कोलियरी के डीप माइंस में फस्ट शिफ्ट में कार्य पर गये 375 मजदूरों ने कोल माइनिंग करते हुए जल समाधि ले ली थी।

धनबाद: चासनाला माइंस में 375 मजदूरों ने ले ली थी जल समाधि, घटना से जब दहल उठा था देश, 46वीं बरसी आज

धनबाद। चासनाला माइंस में वर्ष 1975 का 27 दिसंबर को जलप्लावन की घटना से पूरा देश दहल उठा था। इस्को की चासनाला कोलियरी के डीप माइंस में फस्ट शिफ्ट में कार्य पर गये 375 मजदूरों ने कोल माइनिंग करते हुए जल समाधि ले ली थी।

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चासनाला के उन अमर शहीदों की सोमवार को 46वीं बरसी है। चासनाला स्थित शहीद स्मारक की शहीद वेदी के पास सर्वधर्म सभा कर व पुष्प अर्पित कर सेल के अफसर, शहीद के परिजन, यूनियन के लोग श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। चासनाला माइंस एक्सीडेंट एशिया की सबसे बड़े माइंस हादसा के तौर पर इतिहास के पन्नों में दर्ज है। इस घटना पर कई वर्षों के बाद काला पत्थर नामक फिल्म भी बनी। यह फिल्म काफी मशहूर हुई थी। 
कई साल तक जांच में पता चला कि अफसरों की लापरवाही से चासनाला में माइंस दुर्घटना हुई थी। माइंस में रिसने वाले पानी को जमा करने को यहां बड़ा बांध बनाया गया था। हिदायत दी गई थी की बांध के 60 मीटर की परिधि में ब्लास्टिग नहीं की जाए। लेकिन अफसरों ने इन निशानों को नजरअंदाज कर हैवी ब्लास्टिग कर दी। इसी लापरवाही के राण 375 मजदूरों ने जल समाधि ले ली। दुर्घटना के बाद कई महीनों तक खदान से पानी निकालने का कार्य हुआ। इसमें पोलैंड, रूस के साइंटिस्ट से भी मदद ली गई थी।

कई माह तक चलता रहा बॉडी का अंतिम संस्कार

चासनाला में हुई माइंस एक्सीडेंट के बाद महीनों तक पानी में रहने के कारण मजदूरों की बॉडी सड़ चुके थे। माइंस से बॉडी निकालने के बाद मृतक की पहचान लैंप (बैटरी वाली बत्ती), टोपी, कपड़े आदि से की गई थी। कई माह तक दामोदर नदी के किनारे बॉडी का अंतिम संस्कार चलता रहा।
जस्टिस एसएन सिन्हा ने की थी माइंस दुर्घटना की जांच

चासानाला माइंस दुर्घटना की जांच जस्टिस एसएन सिन्हा को सौंपी गई थी। जांच में सुरक्षा नियमों की अनदेखी करने का मामला सामने आया था। इस रिपोर्ट को श्रम विभाग को सौंप दिया गया। तत्कालीन प्रोजेक्ट ऑफिसर, मैनेजर, सेफ्टी अफसर व अन्य अफसरों को दुर्घटना के लिए दोषी माना गया था। इस कारण सभी को डिसमिस कर दिया गया था।