बिहार: मेरे अंदर सफल राजनेता बनने  की क्षमता नहीं, मै बन सकता तो अब तक बन गया होता: गुप्तेश्वर पांडेय

बिहार के एक्स डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा है कि मेरे अंदर सफल राजनेता बनने की क्षमता नहीं है। मैं बन सकता तो अब तक बन गया होता। उन्होंने पॉलिटिक्स छोड़ने के भी संकेत दिए।

बिहार: मेरे अंदर सफल राजनेता बनने  की क्षमता नहीं, मै बन सकता तो अब तक बन गया होता: गुप्तेश्वर पांडेय

पटना। बिहार के एक्स डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा है कि मेरे अंदर सफल राजनेता बनने की क्षमता नहीं है। मैं बन सकता तो अब तक बन गया होता। उन्होंने पॉलिटिक्स छोड़ने के भी संकेत दिए।

इसलिए एमएलए बनना चाहते थे पांडेय
गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि पूरे देश में ऐसा DGP खोज के निकाल दीजिए जो एमएलए का चुनाव लड़ने के लिए DGP पद से छह महीने पहले इस्तीफा दिया हो। मैं एमएलए इसलिए बनना चाहता था कि कमज़ोर वर्ग के साथ खड़ा हो सकूं।

गेरुआ पहन मन रमा रहे एक्स डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय, VIR देकर ज्वाइन किया था JDU
गुप्तेश्वर पांडेय इन दिनों नई भूमिका में दिख रहे हैं। वे इन दिनों मठ-मंदिरों और धार्मिक सत्संग में मन लगा रहे हैं। कभी आजकल गेरुआ वस्त्र धारण कर प्रवचन दे रहे हैं। एक्सडीजीपी अब धार्मिक मंचों पर कथावाचन कर लोगों को जीवन का मर्म समझा रहे हैं। इन दिनों रामभक्त हनुमान की भक्ति में लीन हैं। भाव भी बदल गया है, भूमिका भी नई। सुबह भगवान के भजन से होती है और देर शाम तक यह सिलसिला जारी रहता है। 
अभी कथा सुनने-सुनाने में रमा है मन

उन्होंने कहा कि मन अभी कथा सुनने और सुनाने में रमा हुआ है। तन-मन-धन से अभी इसी में जुटे हुए हैं। संस्कृत से स्नातक किया है। पहले भी धार्मिक पुस्तकें पढऩे का शौक रहा है। इस कारण कथावाचन में किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही है। इस समय अयोध्या में कथावाचन कर रहे हैं। हनुमान गढ़ी में नित्य पूजा कर सबके कल्याण की कामना कर रहे हैं। डीजीपी रहते हुए भी वह धार्मिक व आध्यात्मिक कार्यो में नियमित शामिल होते थे, पर अब पूरी तरह इसमें रम गये हैं।

अयोध्या,मथुरा और वृंदावन भी घूमे 
उन्होंने  बताया कि सत्संग के लिए जहां से भी बुलावा आता है, वहीं पहुंच जाते हैं। अभी हाल में मथुरा और वृंदावन की भी यात्रा की थी। सेवानिवृत्ति के बाद बिहार में भी कई जिलों के धार्मिक आयोजनों में पहले भी शामिल होते रहे हैं। 16 जुलाई से उनका वृंदावन में कार्यक्रम निर्धारित है, जहां भागवत कथावाचन करेंगे।आयोजकों का दावा है कि उन्हें सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग आएंगे। कई अन्य जगहों से धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण मिला है।

गुप्तेश्वर पांडेय बोले-पॉलिटिक्स में दिलचस्पी नहीं, कथा कहना मेरा पुराना पैशन

बिहार के एक्स DGP गुप्तेश्वर पांडेय ने  कहा कि उनकी दिलचस्पी अब पॉलिटिक्स से खत्म होते जा रही है। भगवान की ओर बढ़ते जा रही है।न्यूज चैनल एबीपी न्यूज से बात करते हुए गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि मेरा स्वभाव अब सतोगुण की ओर हो गया है। इस कारण  से राजनीति से मेरा ध्यान हट चुका है। पांडेय ने कहा कि अब भगवान की सेवा छोड़ अब वे कुछ नहीं करेंगे।

एक्स डीजीपी ने कहा कि इंसान के भीतर जब तक रजोगुण रहता है, तब तक उसे इज्जत प्रतिष्ठा की चिंता रहती है, लेकिन जब यह गुण समाप्त हो जाता है और सतोगुण का प्रवेश कर जाता है तो इंसान का ध्यान भगवान की ओर चला जाता है। उन्होंने कहा कि कथा कहना उनका बचपन से ही पैशन था, परंतु नौकरी की वजह से वे ऐसा नहीं कर पाए।

मानस के प्रसंगों की कर रहे हैं व्याख्या 

गुप्तेश्वर पांडेय का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें वे ईश्वर के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों पर वे तंज कसते दिख रहे हैं। वे कह रहे हैं कि जिस तरह आपका होना ही आपके पिता के होने का प्रमाण है, उसी तरह ईश्वर का भी प्रमाण है। वे कहते हैं कि मैंने ईश्वर का नहीं देखा, लेकिन इसकी वजह से ईश्वर के अस्तित्व पर कोई सवाल नहीं हो सकता है।गुप्तेश्वर पांडेय ने विगत 14 जून को उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट से अयोध्या के हनुमान गढ़ी की एक तस्वीर पोस्ट की थी। इसमें उन्होंने बताया था कि लोकमंगल और अपने लिए ज्ञान, वैराग्य और भक्ति की भीख मांगने के लिए हनुमान गढ़ी में अपने इष्टदेव हनुमान जी के दरबार में हाज़िरी लगायी। उन्होंने सभी को सुबुद्धि और सबका कल्याण होने की कामना की।

डीजीपी और गायक से बने राजनेता अब संत तक की भूमिका में
बक्सर जिले से ताल्लुक रखने वाले आइपीएस अफसर गुप्तेश्वर ने लंबे अरसे तक पुलिस की नौकरी करते हुए कानून की बारीकियों पर पकड़ तो बनाई ही है। वे संगीत और अध्यात्म में भी शुरू से ही गहरी रुचि रखते रहे हैं। वे हमेशा चर्चाओं में रहते हैं और उनसे जुड़े तमाम रोचक किस्से हैं।

सुदूरवर्ती गांव में हुई प्रारंभिक पढ़ाई

बक्सर जिले के सुदूरवर्ती गांव गेरुआबांध में रहकर उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी की थी। पिछले दिनों नौकरी से रिटायर होने के बाद वे अपने प्राइमरी स्कूल में गये, जहां उन्होंने पढ़ाई की थी। उन्होंने स्कूल का वीडियो फेसबुक पर शेयर किया। एक मठ के बेहद मामूली कमरों में उन्होंने जमीन पर बोरी बिछाकर अपनी पढ़ाई की। बाद में उच्च शिक्षा के लिए वे पटना आकर पटना यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। संस्कृत विषय से यूपीएससी क्लीयर करने पर उन्हें भारतीय राजस्व सेवा में चयनित होने का मौका मिला। उन्होंने दोबारा कोशिश में यूपीएससी से आइपीएस में चयनित हुए।

1987 से 2020 तक पुलिस की नौकरी
गुप्तेश्वर पांडेय ने बिहार पुलिस में एसपी के रैंक से लेकर डीजीपी तक के पद पर उन्होंने नौकरी की। 1987 में शुरू हुआ पुलिस सेवा का सफर 2020 में VRS लेने के साथ खत्म हुआ। पुलिस अफसर के तौर पर अपनी पारी खत्म करने के बाद उन्होंने जेडीयू से जुड़कर बिहार की राजनीति का रूख किया था, हालांकि इसके बाद कुछ खास प्रगति इस दिशा में नहीं हो सकी। उन्हें पहले विधानसभा और बाद में विधान परिषद के लिए टिकट मिलने की संभावना जताई गई थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इससे पहले भी एक बार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने वीआरएस लिया था। बक्सर लोकसभा से टिकट नहीं मिलने पर वापस पुलिस की नौकरी में लौट गये। 

दो विधानसभा सीटों पर थी पांडेय की नजर

पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त चर्चा थी कि सीएम कुमार की पार्टी उन्हें उनके गृह जिले बक्सर की सदर विधानसभा सीट या भोजपुर जिले के अंतर्गत शाहपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा सकती है। ये दोनों सीटें ब्राह्मण बहुल हैं और दोनों सीटों पर मौजूदा एमएल ब्राह्मण समुदाय से हैं।

सुशांत सिंह राजपूत मामले से नेशनल लेवल पर हुए थे चर्चित

गुप्तेश्वर पांडेय बालीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड मामले में  नेशनल लेवल पर चर्चित हुए थे। सुशांत के पिता के कंपलेन पर बिहार में मर्डर की केस दर्ज की गयी थी। डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पांडेय ने मुंबई पुलिस की लचर जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए बिहार से एक आइपीएस अफसर के नेतृत्व में बिहार पुलिस की टीम को मुंबई भेजा था। बिग बास फेम दीपक ठाकुर ने उनके लिए एक गाना गाया था- राबिन हुड बिहार के...।

कुशल वक्ता और गायक भी हैं पांडेय

गुप्तेश्वर पांडेय एक कुशल वक्ता के साथ-साथ गायक भी हैं।  अध्यात्म और समाज से जुड़े कई विषयों पर वह अच्छी जानकारी रखते हैं। बिहार का डीजीपी बनने से पहले उन्होंने शराबबंदी के समर्थन में युवाओं के एक अभियान से जुड़कर राज्य के तमाम हिस्सों में सभाएं कीं। प्रवचनकर्ता के रूप में उनकी वाणी को लोग सराह रहे हैं। एक जमाने में एक के बाद एक उनके कई गाने टी-सिरीज से रिलीज हुए।