बिहार: पटना के बिहटा दियारा में 15 पोकलेन मशीनों में लगाई आग, गैंगवार में गरजीं बंदूकें

बिहार के पटना, भोजपुर, सारण, अरवल में सोन नदी से सटे जिलों में बालू के इलिगल माइनिंग कर रहे गैंग के बीच रंजिश थम नहीं रही है। पटना जिले के बिहटा पुलिस स्टेशन एरिया के अमनाबाद बालू घाट पर इलिगल बालू के वर्चस्व को लेकर के दो गुटों में जमकर गोलीबारी हुई। इलिगल रूप से माइनिंग कर रहे एक दर्जन से ऊपर पोकलेन मशीन को आग के हवाले कर दिया। 

बिहार: पटना के बिहटा दियारा में 15 पोकलेन मशीनों में लगाई आग, गैंगवार में गरजीं बंदूकें

पटना। बिहार के पटना, भोजपुर, सारण, अरवल में सोन नदी से सटे जिलों में बालू के इलिगल माइनिंग कर रहे गैंग के बीच रंजिश थम नहीं रही है। पटना जिले के बिहटा पुलिस स्टेशन एरिया के अमनाबाद बालू घाट पर इलिगल बालू के वर्चस्व को लेकर के दो गुटों में जमकर गोलीबारी हुई। इलिगल रूप से माइनिंग कर रहे एक दर्जन से ऊपर पोकलेन मशीन को आग के हवाले कर दिया। 

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उख्त घाट पर गोलीबारी हुई है। एक दर्जनों से ऊपर पोकलेन मशीन को वर्चस्व की लड़ाई को लेकर के आग के हवाले कर दिया गया है। फायरिंग व इलिगल माइनिंग की इस घटना से बालू माफियाओं में हड़कंप मचा हुआ है। इसके पहले भी इलिगल माइनिंग में लगी पोकलेन मशीनों को आग के हवाले किया गया था। दो गुटों के बीच वर्चस्व की लड़ाई में यहां अक्सर गोलीबारी और मर्डर भी होती रहती है।आरोप है कि है कि उक्त घाट पर दिन-रात लगातार इलिगल बालू माइनिंग जारी है। लोकल प्रशासन अंजान बना है। यहां जाना भी खतरों से खाली नहीं होता है। पुलिस भी जाने से डरती है। इसी वजह से इलिगल माइनिंग करने वाले दबंग दिन-रात बालू का इलिगल माइनिंग करते हैं। फिलहाल घटना का कारण स्पस्ट नहीं हो पाया है।

बिहटा थानाध्यक्ष रंजीत कुमार ने बताया कि सूचना मिली है। मामले की छानबीन की जा रही है।लोकल लोगों का कहना है कि महुली महाल के इलाके में कानून नहीं सरगनाओं का हुकुम फरमान होता है। आनाकानी करने पर सिनेमा के जैसे गोलियों की बौछार होती है। इस खूनी संघर्ष मे पटना, भोजपुर, छपरा आदि के माफिया आमने सामने आ रहे हैं। अगर समय रहते प्रशासन बिगड़ती स्थिति को काबू नहीं करता है तो भयानक रूप ले सकता है।
उल्लेखनीय कि सोन नदी के दियारा एरिया में बिहटा ब्लॉक के अमानबाद मौजे के 1/197 खेसरा में स्थित लगभग 323 एकड़ भूमि की एक टोक बना है। इसका साइड इलाका पटना, भोजपुर है। दो जिलों की सीमा होने के कारण बालू माफिया इसका फायदा लंबे समय से उठा रहे हैं। दोनों जिलों की पुलिस एक-दूसरे की सीमा बताकर वहां जाने से इनकार करती रहती है। इसका फायदा बालू माफिया को भरपूर मिल रहा है। कई एकड़ में फैले इलाके को बालू माफियाओं ने नो मेंस लैंड का नाम दे रखा है। इस एरिया में पूर्व से फौजी और सिपाही के आतंक की तूती बोलती है। मर्डर से लेकर पुलिस कप्तान पर भी गोलीबारी की घटना हो चुकी है।