बिहार:गया मोक्षभूमि में पितृपक्ष पर कोरोना का असर, पिंडवेदियां सूनी, मेला एरिया में पसरा सन्नाटा

दो दिसंबर से 17 दिवसीय पितृपक्ष शुरू हो चुका है। लेकिन इस बार विश्व प्रसिद्ध मोक्ष नगरी गया में सन्नाटा पसरा है। कोरोना संक्रमण के कारण पितृपक्ष मेला भी लॉकडाउन हो गया है। संक्रमण के कारण धार्मिक-सामाजिक आयोजनों पर रोक लगी हुई है। इस का्रण पितृपक्ष मेला 2020 को भी स्थगित कर दिया है।

बिहार:गया मोक्षभूमि में पितृपक्ष पर कोरोना का असर, पिंडवेदियां सूनी, मेला एरिया में पसरा सन्नाटा
  • लॉकडाउन में पितृपक्ष मेला के आयोजन पर लगा ब्रेक
  • विष्णुपद मंदिर के कपाट बंद 

गया। दो दिसंबर से 17 दिवसीय पितृपक्ष शुरू हो चुका है। लेकिन इस बार  विश्व प्रसिद्ध मोक्ष नगरी गया में सन्नाटा पसरा है। कोरोना संक्रमण के कारण पितृपक्ष मेला भी लॉकडाउन हो गया है। संक्रमण के कारण धार्मिक-सामाजिक आयोजनों पर रोक लगी हुई है। इस का्रण पितृपक्ष मेला 2020 को भी स्थगित कर दिया है। पितृपक्ष के पहले दिन आज मेला एरियामें कोई नजर नही आ रहा है। मेला एरिया में दुकानें को खुली हैं, लेकिन कस्टमर नहीं हैं।

गया की बोर्डर सील, तीर्थयात्रियों की एंट्री पर रोक

गया में इंटर डिस्ट्रिक व इंटर स्टेट बोर्डरों को पितृपक्ष मेले तक सील कर दिया गया है। मेला तक गया में तीर्थयात्रियों की एंट्री नहीं होगी सीलिंग प्वाइंट बनाकर मजिस्ट्रेट व पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की गई है। जिले में एंट्री करने वाले मार्गों पर बैरियर लगा कर जांच की जा रही है। तीर्थ यात्रियों को वापस भेजा जा रहा है। तीर्थ यात्री गया तक नहीं पहुंचें, इसके लिए सूचना भी सोशल मीडिया पर भी प्रसारित की गई है।

गया जिला प्रशासन ने बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के विशेष सचिव के आदेश के अनुसार पितृपक्ष मेले 2020 के स्थगन को लेकर सख्त निर्णय लिये हैं। आदेश नहीं मानने वाले तीर्थ यात्रियों के खिलाफ महामारी अधिनियम 1857 सहित अन्य कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी। सभी एसडीएम,एसडीपीओ व डीएसपी अपने-अपने एरिया में पूरी ऐहतियात व सतर्कता बरतने  के निर्देश दिये गये हैं। 

विष्णुपद मंदिर के कपाट बंद
पितृपक्ष में श्रद्धालुओं से भरे रहने वाले विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर का कपाट बंद है। मेला एरियाभी सुनसान है। सभी 54 पिंडवेदियों, विष्णुपद, देवघाट व फल्गु नदी का भी यही हाल है। है। श्रद्धालु पूर्णिमा के दिन फल्गु नदी में पांव पूजन कर गया में श्राद्ध के कर्मकांड शुरू करते हैं। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है। पितरों को जलांजलि देने वाले पुत्र नजर नहीं आ रहे हैं। पिंडदान के मुख्य पुरोहित गयापाल पंडा भी अपने अपने घरों पर हैं।