बिहार: 20 साल में तीन किलोमीटर लंबी नहर खोदने वाले गया के लौंगी भुइयां को आनंद महिंद्रा ने ईनाम में दिया ट्रैक्टर 

बिहार में गया जिले के एक किसान लौंगी भुइयां 20 साल में तीन किलोमीटर लंबी नहर खोदकर मिसाल कायम किया है। लुंगी ने इमामगंज और बांकेबाजार ब्लॉक के बोर्डर स्थित लहथुआ एरिया में अपने गांव कोठीलावा के पास की पहाड़ियों से नीचे आने वाले वर्षा जल जमा करने के लिए  तीन किलोमीटर लंबी नहर खोदकर देशभर के लोगों का  ध्यान आकर्षित किया। तीन किमी लंबी नहर खोदने वाले लुंगी को महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद ने महिंद्रा ट्रैक्टर ईनाम में देने का फैसला किया है।

बिहार: 20 साल में तीन किलोमीटर लंबी नहर खोदने वाले गया के लौंगी भुइयां को आनंद महिंद्रा ने ईनाम में दिया ट्रैक्टर 

नई दिल्ली। बिहार में गया जिले के एक किसान लौंगी भुइयां 20 साल में तीन किलोमीटर लंबी नहर खोदकर मिसाल कायम किया है। लुंगी ने इमामगंज और बांकेबाजार ब्लॉक के बोर्डर स्थित लहथुआ एरिया में अपने गांव कोठीलावा के पास की पहाड़ियों से नीचे आने वाले वर्षा जल जमा करने के लिए  तीन किलोमीटर लंबी नहर खोदकर देशभर के लोगों का  ध्यान आकर्षित किया। तीन किमी लंबी नहर खोदने वाले लुंगी को महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद ने महिंद्रा ट्रैक्टर ईनाम में देने का फैसला किया है।
आनंद महिंद्रा बोले-ताजमहल से कम नहीं अकेले खोदी नहर
आनंद महिंद्रा ने लुंगी भुइयां की मदद करने के लिए ट्विटर का मदद लिया। किसान के लिए मदद की मांग करते हुए एक ट्वीट के जवाब में आनंद महिंद्रा ने लिखा, "जैसा कि आप जानते हैं, मैंने ट्वीट किया था कि मुझे लगता है कि उनकी नहर ताज या पिरामिडों के समान प्रभावशाली है। हम @MahindraRise पर इसे एक सम्मान मानते हैं। हम उन्हें ट्रैक्टर भेंट करना चाहते हैं। उन तक किस तरह पहुंचा जाए।उन्होंने ट्विटर पर भुइयां के मेंसेंजर से महिंद्रा टीम के साथ पहुंचकर ट्रैक्टर को किसान तक पहुंचाने के लिए कहा। 


लौंगी ने पर्वतपुरुष दशरथ मांझी के नक्शेकदम पर चलते 20 साल में तीन किलोमीटर लंबी नहर (सिंचाई के लिए खोदी गई छोटी नहर) एक अकेले शख्स ने खोद दी। जज्बे और जुनून का ये काम किया है गया के लौंगी भुईंया ने। लौंगी ने बीस वर्षों में प्रखंड की सीमा पर पांच किलोमीटर लंबी, चार फीट चौड़ी व तीन फीट गहरी नहर खोद दी। उनके कारनामे के चर्चे जब आम हुए तो मदद के लिए हाथ में बढ़ने लगे। अब लौंगी को महिंद्रा समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आनंद महिंद्रा ने ट्रैक्टर देने का वादा किया है। 

ट्रैक्टर देने में गर्व महसूस होगा

शनिवार को ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा-गया के लौंगी भुईंया ने अपनी जिंदगी के कई वर्ष लगाकर नहर खोद दी। उन्हें कुछ नहीं चाहिए, सिवाए एक ट्रैक्टर के। यूजर ने आगे लिखा कि मेरी आनंद महिंद्रा से मांग है कि वो लौंगी को सम्मानित करें, इससे उन्हें गर्व महसूस होगा। इस पर आनंद महिंद्र ने लिखा, लौंगी की नहर ताज महल से कम नहीं है। हमें लैंगी को ट्रैक्टर देने में गर्व महसूस होगा, बताएं कैसे आपतक पहुंचा जाए।  
ट्रैक्टर देने में गर्व महसूस होगा

शनिवार को ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा-गया के लौंगी भुईंया ने अपनी जिंदगी के कई वर्ष लगाकर नहर खोद दी। उन्हें कुछ नहीं चाहिए, सिवाए एक ट्रैक्टर के। यूजर ने आगे लिखा कि मेरी आनंद महिंद्रा से मांग है कि वो लौंगी को सम्मानिक करें, इससे उन्हें गर्व महसूस होगा। इस पर आनंद महिंद्र ने लिखा, लौंगी की नहर ताज महल से कम नहीं है। हमें लैंगी को ट्रैक्टर देने में गर्व महसूस होगा, बताएं कैसे आपतक पहुंचा जाए।  
कुदाल, खंती व टांगी लेकर निकल पड़े
लौंगी का कहना है कि सिंचाई का साधन होता तो लोग अच्छी खेती कर सकते थे। यह बात उनके दिमाग में घूम रही थी। वे जंगल में रोज पशुओं को चराने ले जाते थे। उन्होंने देखा कि एक जगह सारे पशु पानी पीने जाते हैं। वहां पर जलस्रोत था, पानी यूं ही बह रहा था। यहीं से नहर खोदने का विचार दिमाग में आ गया। वे दूसरे दिन से ही हाथों में कुदाल, खंती व टांगी लेकर निकल पड़े।
नाम रखा लौंगी
65 साल के लौंगी की पत्नी रामरती देवी ने उन्हें कभी नहीं रोका।दो पुत्र हैं, एक बाहर और दूसरा घर पर ही रहता है। खोदाई शुरू की तो लोग हंसने लगे कि लौंगिया पगला गया है। लेकिन उन्होंने अपना काम जारी रखा। आज करीब तीन किलोमीटर लंबी नहर बन चुकी है। उनके कार्य को देख जलछाजन विभाग के अधिकारियों ने एक बड़ी मेड़ बनवा दी है, जिसका नाम लौंगी आहर रखा है। तीन किलोमीटर लंबी, चार फीट चौड़ी व तीन फीट गहरी नहर के कारनामे के चर्चे जब आम हुए तो मदद के लिए हाथ में बढ़ने लगे। 

दशरथ मांझी द माउंटेनमैन
उल्लेखनीय है कि लौंगी का पराक्रम बिहार के दशरथ मांझी की याद दिलाता है। माउंटेनमैन के नाम से विख्यात दशरथ मांझी ने  पत्नी के प्रेम में पहाड़ का सीना काटकर रास्ता बनाने वाले गया के ही रहने वाले थे। उन पर फिल्में भी बनीं, सड़कें बनीं और उनसे लोग इंस्पायर्ड हुए। दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी के लिए रास्ता बनाने को पहाड़ काटने के लिए 22 साल लगा दिया था।
द सेकेंड माउंटेनमैन लौंगी भुइयां
अब दूसरे 'मांउटेनमैन' लौंगी भुइयां की चर्चा हो रही है। वे भी गया के ही रहने वाले हैं। इमामगंज और बांकेबाजार ब्लॉक को बोर्डर पर जंगल में बसे कोठीलवा गांव के लोगों की गरीबी दूर करने के लिए लौंगी भुइयां ने तीन किलोमीटर लंबी पईन(नहर) खोद डाला। अगस्त 2001) ही अकेले पईन की खुदाई बंगेठा सगवाही जंगल से शुरू कर दी। लौंगी ने बताया कि वे अकेले हाथ में कुदाल, खंती व टांगी लेकर निकल पड़ते थे। जब खुदाई शुरू की तब लोगों ने उनका मजाक उड़ाया। लोग पागल कहने लगे। लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की।