Bihar: Anand Mohan से दूरी बना रहे हैं BJP लीडर, मंच पर देखकर नीचे से लौट गये MP-MLA

बिहार में आनंद मोहन की जेल रिहाई का अब बीजेपी खुलकर विरोध कर रही है। बीजेपी लीडर्स ने आनंद मोहन से दूरी बनानी शुरु कर दी है। अररिया में एक गैर राजनीतिक कार्यक्रम में आनंद मोहन को देखकर बीजेपी के एमपी व एमएलए मंच के नीचे से चले गये। आनंद मोहन के साथ मंच शेयर करने से इनकार कर दिया। जेल से निकलने के बाद आनंद मोहन का यह पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था। यह कार्यक्रम क्षत्रिय समाज ने फारबिसगंज में वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा के अनवारण के लिए आयोजित किया था। 

Bihar: Anand Mohan से दूरी बना रहे हैं BJP लीडर, मंच पर देखकर नीचे से लौट गये MP-MLA
आनंद मोहन से बीजेपी एमपी- एमएलए को परहेज।।

पटना। बिहार में आनंद मोहन की जेल रिहाई का अब बीजेपी खुलकर विरोध कर रही है। बीजेपी लीडर्स ने आनंद मोहन से दूरी बनानी शुरु कर दी है। अररिया में एक गैर राजनीतिक कार्यक्रम में आनंद मोहन को देखकर बीजेपी के एमपी व एमएलए मंच के नीचे से चले गये। आनंद मोहन के साथ मंच शेयर करने से इनकार कर दिया। जेल से निकलने के बाद आनंद मोहन का यह पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था। यह कार्यक्रम क्षत्रिय समाज ने फारबिसगंज में वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा के अनवारण के लिए आयोजित किया था। 

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बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई को लेकर शुरू में कन्फ्यूज दिख रही बीजेपी अब पूरी तरह उनकी रिहाई का खिलाफत कर रही है। इस राजनीतिक कड़वाहट का पहला नजारा अररिया में देखने को मिला। जेल से निकलने के बाद आनंद मोहन अपने पहले सार्वजनिक कार्यक्रम में में अररिया के फारबिसगंज पहुंचे थे। क्षत्रिय समाज ने वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा के अनावरण का कार्यक्रम रखा था। इसमें आनंद मोहन, लवली आनंद के अलावा बीजेपी के एमपी प्रदीप सिंह,एमएलए विद्यासागर केसरी उर्फ मंचन केसरी,जयप्रकाश यादव गेस्ट थे।मंच पर लगे बैनर पर नाम भी था लेकिन बीजेपी के सभी लीडर कुंवर सिंह प्रतिमा पर फूल चढ़ाकर मंच के नीचे से ही लौट गये।

मिनिस्टर शहनवाज व आरजेडी लीडर रहे मंच पर

वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में अररिया के  बीजेपी एमपी प्रदीप सिंह, फारबिसगंज के बीजेपी विधायक विद्यासागर केसरी उर्फ मंचन केसरी, नरपतगंज के बीजेपी एमएलए जय प्रकाश यादव, नगर परिषद की मुख्य पार्षद वीणा देवी, भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष चांदनी सिंह सहित दर्जनों बीजेपी लीडर आयोजन स्थल पर पहुंचे। सभी बीजेपी लीडर्स सेवीर कुंवर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम के मंच से किनारा कर लिया। मंच पर आरजेडी लीडर व मिनिस्टर शाहनवाज आलम अन्य लोगों के साथ बैठे रहे। 
कार्यक्रम में बतौर स्पेशल गेस्ट के रूप में एमपी प्रदीप सिंह, एमएलए विद्यासागर केशरी और सम्मानित अतिथि के रूप मेंनगर परिषद की मुख्य पार्षद वीणा देवी को शामिल होना था। इस कार्यक्रम के लिए एमपी प्रदीप सिंह फारबिसगंज पहुंच कर एमएलएके आवास पर बैठे रहे। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों को भी संबोधित किया। बीजेपी के एक्स एमएलए देवयंती यादव, मुख्य पार्षद वीणा देवी कार्यक्रम स्थल पर दर्शक दीर्घा में बैठी रहीं। अचानक कार्यक्रम स्थल से बीजेपी लीडर धीरे-धीरे निकल गये।
आनंद मोहन के मंच पर चढ़ने के बाद आया बीजेपी नेताओं का काफिला
जैसे ही एक्स एमपी आनंद मोहन व लवली आनंद मंच मंचासीन हुए बीजेपी एमपी व एमएलए की गाड़ियों का काफिला आयोजन स्थल पर पहुंच गया। मंच से एमपी व एमएलए के समर्थन में नारेबाजी भी हुई। लेकिन एमपी प्रदीप सिंह सहित एमएलए काफिले से उतरे और सीधे वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद वहां से निकल गये।एमपी प्रदीप सिंह ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि क्षत्रिय समाज द्वारा शहर के बीचों-बीच कुंवर सिंह की प्रतिमा का अनावरण हो रहा है। कार्यक्रम में मंच पर नहीं जाने के सवाल पर कन्नी काटते हुए एमपी ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है। कार्यक्रम में हमारे कई एमएलए का नाम नहीं था इसलिए उन्होंने मंच पर जाना उचित नहीं समझा। 
सुप्रीम कोर्ट का नीतीश गवर्नमेंट को नोटिस
सजायाप्ता आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आठ मई को सुनवाई के दौरान बिहार के नीतीश कुमार गवर्नमेंट व अन्य को नोटिस जारी किया है।गोपालगंज के डीएम रहे IAS अफसर जी कृष्णैया की की मर्डर के मामले में दोषी उम्र कैद की सजा काट रहे आनंद मोहन को जेल के नियमों में संशोधन कर 27 अप्रैल को रिहा कर दिया था। बिहार गवर्नमेंट के इस फैसले को कृष्णैया की वाइफ उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उमा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार गवर्नमेंट समेत अन्य को नोटिस जारी किया है। 

नियमों में संशोधन कर दी गई रिहाई
एक्स एमपी आनंद मोहन को पांच दिसंबर 1994 को हुई गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की पीट-पीट कर मर्डर मामले में आरोपी बनाया गया। लंबे समय तक मुकदमा चला। इसके बाद साल 2007 में आनंद मोहन को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। तब से वे बिहार की सहरसा जेल में सजा काट रहे थे। हाल ही में नीतीश सरकार ने जेल के नियमों में संशोधन कर 27 कैदियों को रिहा किया, जिनमें आनंद मोहन भी शामिल थे। आनंद मोहन की रिहाई पर सियासी बवाल मचा, लेकिन इस पर आनंद मोहन की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई।
आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ हाईकोर्ट में PIL
आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दलित संगठन से जुड़े अमर ज्योति ने भी 26 अप्रैल को पटना हाईकोर्ट में PIL दायर की। कारागार अधिनियम 2012 को संशोधित कर सरकार ने जो अधिपत्र निकाला है। उसके खिलाफ याचिका दायर की गई है। अमर ज्योति (30) भोजपुर के पीरो के रहने वाले हैं। उन्होंने कोर्ट से सरकार की ओर से जारी उस अधिपत्र को निरस्त करने की अपील की है।
आनंद मोहन ऐसे जेल से बाहर आये
आनंद को हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके तहत उन्हें 14 साल की सजा हुई थी। आनंद ने सजा पूरी कर ली थी, लेकिन मैनुअल के मुताबिक, सरकारी कर्मचारी की मर्डर के मामले में दोषी को मरने तक जेल में ही रहना पड़ता है। नीतीश सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया। इसका संकेत जनवरी में नीतीश कुमार ने एक पार्टी इवेंट में मंच से दिया था कि वो आनंद मोहन को बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं। 10 अप्रैल को स्टेट गवर्नमेंट ने इस मैनुअल में बदलाव कर दिया। आनंद मोहन समेत 27 दोषियों की रिहाई के आदेश सोमवार को जारी किये गये थे। आनंद मोहन पर तीन और केस चल रहे हैं। इनमें उन्हें पहले से बेल मिल चुकी है।
पहले यह था नियम
26 मई 2016 को जेल मैनुअल के नियम 481(i) (क) में कई अपवाद जुड़े, जिसमें काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या जैसे जघन्य मामलों में आजीवन कारावास भी था। नियम के मुताबिक ऐसे मामले में सजा पाए कैदी की रिहाई नहीं होगी और वह सारी उम्र जेल में ही रहेगा।
ऐसे किया बदलाव किया गया
10 अप्रैल 2023 को जेल मैनुअल से ‘काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या’ अंश को हटा दिया गया। इसी से आनंद मोहन या उनके जैसे अन्य कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हुआ।
फ्लैश बैक
बिहार के मुजफ्फरपुर में गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की पांच दिसंबर, 1994 को भीड़ ने पहले पीटा और फिर गोली मारकर मर्डर कर दी थी। इस मामले में आरोप लगा था कि इस भीड़ को आनंद मोहन ने ही उकसाया था। साल 2007 में इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, 2008 में हाइकोर्ट की तरफ से ही इस सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया। 2012 में आनंद मोहन ने सुप्रीम कोर्ट में सजा कम करने की अपील की थी, जो खारिज हो गयी थी। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की मर्डर मामले में आनंद मोहन अपनी 14 साल की कारावास अवधि पूरी कर चुके हैं। आनंद मोहन सिंह बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव के कहने वाले हैं। उनके दादा एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1990 में की थी।आनद मोहन एमएलए व एमपी रह चुके है। उनकी वाइफ लवली आनंद भी एमएलए व एमपी रह चुकी है। 
गोपालगंज डीएम मर्डर केस में क्या हुआ
पांच दिसंबर 1994-डीएम जी कृष्णैया की मर्डर
तीन अक्टूबर 2007-आनंद मोहन समेत तीन को फांसी। 29 बरी। कुछ को उम्रकैद |
10 दिसंबर 2008-हाईकोर्ट ने आनंद मोहन की फांसी को उम्र कैद में बदला।
10 जुलाई 2012- हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही बताया।
10 अप्रैल 2023- मैनुअल से काम के दौरान सरकारी सेवक की मर्डर का बिंदु हटा।
आनंद मोहन का पॉलिटिकल करियर
1990-पहली बार एमएलए बने, महिषी विधानसभा से चुनाव जीता।
1996- समता पार्टी के टिकट पर शिवहर से लोकसभा चुनाव जीता।
1998- लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता पार्टी के टिकट पर शिवहर से जीते।
19990 और 2004 में भी शिवहर से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन दोनों ही बार हार गये।