सुप्रीम कोर्ट का सेंट्रल गर्वमेंट को निर्देश सभी जिले में 60 दिनों के अंदर POCSO कोर्ट बनायें

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल गर्वमेंट को निर्देश दिया है कि सभी जिले में POCSO कोर्ट की स्थापना करें. POCSO कोर्ट की स्थापना ऐसे जिलों में की जानी चाहिए जहां POCSO अधिनियम के तहत 100 या उससे अधिक मामले लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेष अदालतों को 60 दिनों के अंदर-अंदर बच्चों पर यौन उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई शुरु करने की कोशिश करनी चाहिए.।कोर्ट ने गर्वेमेंट को यह भी कहा कि वह चार हफ्तों में इसकी प्रगति रिपोर्ट दाखिल करें. पॉक्सो कानून POCSO एक्ट का पूरा नाम 'The Protection Of Children From Sexual Offences Act' है. महिला और बाल विकास मंत्रालय ने पोक्सो एक्ट-2012 को बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न और अन्य जघन्य अपराधों को रोकने के लिए बनाया था. वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गयी है. 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार या छेड़छाड़ इस कानून के दायरे में आ जाता है. यह कानून लड़के और लड़की दोनों को ही समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है.पॉक्सों एक्ट के तहत रजिस्टर्ड केस की की स्पेशल कोर्ट में सुनवाई होती है.