महाराष्ट्र:सेना और सीमाएं मजबूत हुई हैं, लिंचिंग शब्द का इस्तेमाल कर भारत को बदनाम करने की कोशिश:भागवत

  • नागपुर में आरएसएस का शस्त्र पूजा व पथ संचालन
  • भारत एक हिंदू राष्ट्र
  • आर्टिकल 370 हटाने पर मोदी व शाह की तारीफ की
  • इकोनॉमी और महिला शक्तिकरण पर गर्वमेंट का साथ दिया
नागपुर:विजयादशमी के मौके पर मंगलवार को संघ मुख्यालय नागपुर के रेशमीबाग में आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा की और स्वयंसेवकों का पथ संचालन किया. कार्यक्रम में एसचीएसल के संस्थापक शिव नाडर बौतर चीफ गेस्ट मौजूद थे. मौके पर सेंट्रल मिनिस्टर नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र देवेंद्र फडणवीस, एक्स आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह समेत अन्य संघ के गणवेश में मौजूद थे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस चीफ भागवत ने  कहा कि संघ अपने इस नजरिये पर अडिग है कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है. राष्ट्र के वैभव और शांति के लिए काम कर रहे सभी भारतीय 'हिंदू' हैं.संघ की अपने राष्ट्र की पहचान के बारे में, हम सबकी सामूहिक पहचान के बारे में, हमारे देश के स्वभाव की पहचान के बारे में स्पष्ट दृष्टि और घोषणा है, वह सुविचारित और अडिग है कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है.संघ पहले से कहता रहा है, हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है. धर्म सबका एक है, मानव धर्म. 'मेरी ही बात सही है' नहीं, 'मेरी भी बात सही है' का भाव होना चाहिए. बंधु धर्म को हिंदू धर्म कहते हैं. कुछ लोग कहते हैं, इसे हिंदू नहीं भारतीय कहो. ठीक है, आप कहो, हम समझते हैं कि आप क्या कहना चाहते हैं. संघ कहता है कि हिंदू तो इसमें मुसलमानों का विरोध की बात कहां से आ गई है. हिंदू का संगठन करना, किसी का विरोध करना नहीं है. उन्होंने पाकिस्तान के पीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि अपने गलत काम छुपाने के लिए संघ को कोसो, ये मंत्र इमरान खान ने भी सीख लिया है. भावत ने कहा कि लिंचिंग शब्द हमारी परंपरा का हिस्सा नहीं है. लिंचिंग जैसा शब्द भारत का है ही नहीं क्योंकि भारत में ऐसा कुछ होता ही नहीं था.लिंचिंग शब्द बाहरी है जिसका इस्तेमाल करके भारत को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.एक समुदाय के लोगों द्वारा दूसरे समुदाय के व्यक्ति को चोट पहुंचाने वाली खबरें आती हैं. ऐसा दूसरे समुदाय की तरफ से भी होता है. कभी-कभी कुछ नहीं होता तो भी बात बढ़ाई जाती है. दोनों तरफ से एक घटना के लिए पूरे समुदाय में जिम्मेदार समझा जाता है. समाज को एक करने वाली ताकतों को उसमें घसीटा जाता है.उन्होंने कहा कि लिंचिंग जैसा शब्द हमारे यहां कभी था नहीं. जहां ऐसी घटनाएं होती रही हैं, वहां से ऐसा शब्द आया. हमारे यहां ऐसी घटनाएं नहीं हुईं. यहां कुछ ऐसी घटनाएं हुईं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हुई. बाहर से आये शब्दों का इस्तेमाल कर हमारे देश को बदनाम करने की कोशिश होती है. उन्होंने कहा कि संघ का नाम लिंचिंग की घटनाओं से जोड़ा गया, जबकि संघ के स्वयंसेवकों का ऐसी घटनाओं से कोई संबंध नहीं होता. इतनी विविधता वाले लोग शांति से दुनिया में कहीं भी नहीं रहते. उन्होंने कहा कि जहां भी जायेंगे, वहां की कानून व्यवस्था का पालन करके ही हम रहेंगे, यही संस्कार संघ के स्वयंसेवकों को मिलता है.अब अपना समाज है, अपना देश है, अपने लोग हैं. सारा भारत, सारे भारतीयों का है. सबको कानून का पालन करके ही रहना चाहिए. ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए कानून को सख्त करना चाहिए. इसमें अपना-पराया नहीं देखना चाहिए. स्वयंसेवक सत्ता में है तो उसकी यही सीख है. कहीं मतभेद है, तो संवाद से निर्णय होना चाहिए. तब भी बात न बने तो कानून है. निर्णय मन से स्वीकार नहीं है, तो अपील करने का प्रावधान है. संघ प्रमुख ने कहा कि भारत के चुनावों पर पूरी दुनिया की नजर थी.साल 2014 में जो परिवर्तन आया था, वह पूर्व की सरकार से नाराजगी थी, या सकारात्मक बदलाव की मांग थी. इस पर भी दुनिया की नजरें थी. विश्व को अब ध्यान में आया होगा, कि लोकतंत्र पश्चिम ने हमें दिया है, ऐसा नहीं है.साल 2014 में जिस सरकार को चुनकर दिया था, 2019 में भी उसी सरकार को चुना. इससे साफ हो गया कि यह सकारात्मक बदलाव की मांग थी.भागवत ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का उल्लेख करते हुए सेंट्रल गर्वमेंट की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि साहसी और कठोर निर्णय लेने की क्षमता इस सरकार में है, यह भी साफ हो गया. जनसंघ का पहला आंदोलन आर्टिकल 370 हटाने को लेकर ही था. राज्यसभा और लोकसभा में अन्य दलों का सहयोग लेकर इस काम को किया गया. पीएम और गृहमंत्री इसके लिए बधाई के पात्र हैं. उन्होंने इसरो के चंद्रयान-2 मिशन की तारीफ करते हुए कहा कि चांद के दक्षिणी ध्रुव को किसी ने छूने का साहस नहीं किया था, हमने किया. पूर्ण सफलता नहीं मिली, लेकिन दुनिया ने हमारी सराहना की. हमारे वैज्ञानिकों के इस साहस के कारण ही देश की जनता में वैज्ञानिकों के प्रति विश्वास बढ़ा है.संघ प्रमुख ने कहा कि 'सिर्फ इतने से काम नहीं चलेगा. अभी बहुत दूर जाना है. भारत को दुनिया का अग्रणी देश बनाने के लिए बहुत आगे जाना है. यह काम बहुत कठिन है.ऐसा न होने देना चाहने वाले लोग भी हैं. वे रोड़ा अटकाने की कोशिश करते हैं. इन सब बाधाओं को हटाकर गंतव्य को प्राप्त करना होता है. सकंट आते हैं, उन्हें दूर करना होगा. कुछ प्रश्न होते हैं, उनके उत्तर देने होंगे. चुनौतियों का सामना करना होता है. हमारा देश पहले से अधिक सुरक्षित है, सेना का मनोबल और सीमा बंदोबस्त और बेहतर हुआ है, पिछले दिनों हम सबको इसका आभास हुआ है. पूर्व की सीमा पर और चौकसी की जरूरत है. देश के अंदर होने वाली उग्रवादी घटनाओं में कमी आई है. भागवत ने महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए कहा कि'हमारी मातृशक्ति न घर में सुरक्षित और न ही बाहर, यह हमारे लिए शर्म जैसी स्थिति है. उन्हें स्वतंत्रता दीजिए, सहायता दीजिए, बाधा उत्पन्न मत कीजिए. उन्नति के मार्ग पर वे चल सकें, इतना बल उनके पैरों में है. घर में संस्कार का वातावरण होना चाहिए. भ्रष्टाचार कहां से आता है। व्यसन कहां दिखता है? व्यसन मुक्ति के प्रश्न का उत्तर घर के वातावरण से देना होगा.उन्होंने  कहा कि आजकल कहा जा रहा है कि मंदी आई. मंदी है या नहीं, मुझे नहीं पता. यदि ऐसा है तो चिंता करनी चाहिए, लेकिन चर्चा करने का कोई औचित्य नहीं है. सरकार ने उपाय करते हुए संवेदनशीलता का परिचय दिया है. सरकार अकेले नहीं कर पाएगी, हमें भी कुछ करना होगा. हमारे आर्थिक क्षेत्र में कई दिग्गज लोग हैं. वे केवल अपने मुनाफे की चिंता करने वाले लोग नहीं हैं. ऐसी किसी भी समस्या से हम आसानी से बाहर आ सकते हैं, ऐसी क्षमता हमारी है. इसका सबसे पहला उपाय यह है कि हमें खुद को सशक्त बनाना है. हम सशक्त नहीं होंगे तो बाहर के लोग भी हमारी मदद नहीं कर पायेंगे.भागवत ने कहा कि हम स्वदेशी वाले लोग हैं, लेकिन स्वदेशी का मतलब दुनिया से आर्थिक संबंध खत्म करना नहीं है. अपनी शर्तों पर अन्य देशों से व्यापारिक संबंध बनाने का नाम है स्वदेशी. भारत पर दुनिया का विश्वास है. उन्होंने सवाल किया कि क्या शिक्षा सिर्फ पेट भरने के लिए है क्या? पेट भरने के लिए शिक्षा देनी नहीं पड़ती, व्यवस्था वैसा सीखा देती है. शिक्षा व्यक्ति को अच्छा बनाने के लिए दी जाती है. नई शिक्षा नीति आ गई है, अच्छा है. पाठ्यक्रम के साथ अन्य चीजों पर ध्यान देना होगा.