यूपी: विकास दुबे एनकाउंटर की जांच के लिए आयोग गठित, रिटायर जस्टिस शशिकांत अग्रवाल होंगे चेयरमैन

उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट ने कानपुर के बहुचर्चित चौबेपुर के बिकरू गांव कांड तथा विकास दुबे इनकाउंटर की जांच के लिए एकल जांच आयोग गठित किया है।

यूपी: विकास दुबे एनकाउंटर की जांच के लिए आयोग गठित, रिटायर जस्टिस शशिकांत अग्रवाल होंगे चेयरमैन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट ने कानपुर के बहुचर्चित चौबेपुर के बिकरू गांव कांड तथा विकास दुबे इनकाउंटर की जांच के लिए एकल जांच आयोग गठित किया है। रिटायर जस्टिस शशिकांत अग्रवाल  विकास दूबे संपूर्ण कांड की जांच करेंगे। सीएम योगी आदित्यनाथ अब विकास दुबे केस में दूध का दूध और पानी का पानी करने के मूड में हैं।

आयोग का कार्यकाल फिलहाल दो महीने का

विपक्ष तथा अन्य लोगों के काफी हंगामा करने के कारण वह सीएम सख्त हैं। विकास दूबे इनकाउंटर के लिए एसआइटी गठित की है। वहीं पूरे मामले की जांच के लिए एकल जांच आयोग गठित किया है। आयोग का हेडक्वार्टर कानपुर में होगा। आयोग का कार्यकाल फिलहाल दो महीने तय किया गया है। स्टेट गवर्नमेंट की ओर से रविवार को नोटिफिकेशन जारी कर दी है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि बिकरू गांव की घटना और उसके बाद तीन जुलाई से 10 जुलाई की अवधि के दौरान इस प्रकरण से संबंधित विभिन्न स्थानों पर पुलिस और क्रिमिनलों के बीच हुई एक लोक महत्व का विषय है। इस कारण इस संबंध में जांच करना आवश्यक है। आयोग विकास दुबे तथा उसके सहयोगियों के द्वारा गत 2/3 जुलाई की रात्रि बिकरू गांव में अंजाम दी गई उस घटना की गहनता से जांच करेगा। इसमें सीओ आठ पुलिसकर्मियों की मर्डर हुई थी तथा छह अन्य पुलिसकर्मी घायल हुए थे।

आयोग बिकरू कांड, विकास इनकाउंटर, उसके साथियों की मुठभेड़ की जांच करेगा

स्टेट गवर्नमेंट के प्रवक्ता ने बताया कि आयोग गत 10 जुलाई को पुलिस एवं विकास दुबे के बीच हुई इनकाउंटर की भी गहनतापूर्वक जांच करेगा। 2/3 जुलाई से लेकर 10 जुलाई के बीच पुलिस और इस प्रकरण से संबंधित अपराधियों के बीच हुई प्रत्येक इनकाउंटर की भी गहनतापूर्वक जांच करेगा। आयोग विकास दुबे और उसके साथियों की पुलिस तथ अन्य विभागों या व्यक्तियों से संबंध की भी जांच करेगा। भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए अपने सुझाव भी देगा।आयोग इन बिंदुओं से संबंधित किसी अन्य पहलू का भी गहनता से परीक्षण करेगा। इसके अलावा आयोग राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट अन्य बिंदुओं की भी जांच करेगा। आयोग नोटिफिकेशन जारी किए जाने की तिथि से दो माह की अवधि में अपनी जांच पूरी कर लेगा। इसकी अवधि में किसी प्रकार का परिर्वतन सरकार के आदेश से किया जायेगा।

तीन मेंबरवाली एसआईटी को 31 जुलाई तक गवर्नमेंट को सौंपनी है रिपोर्ट
यूपी गवर्नमेंट ने कानपुर मामले में जांच को लेकर एसआईटी का भी गठन किया है। अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित एसआईटी में एडीजी हरिराम शर्मा और डीआईजी जे रविंदर गौड़ शामिल हैं। एसआईटी 31 जुलाई तक सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। टीम जांच में विकास और उसके गैंग के सबसे करीबी लोगों की एक साल की कॉल डीटेल खंगालेगी। एसआईटी की टीम रविवार को बिकरू गांव पहुंची थी। 

एसआइटी जांच शुरु

एक टीम ने अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी के नेतृत्व में बिकरू गांव जाकर पुलिस से विकास दुबे के गैंग से पुलिस की मुठभेड़ की जांच शुरू कर दी है तो दूसरी टीम विकास दुबे के कानपुर में एनकाउंटर की जांच करेगी। प्रदेश सरकार ने विकास दुबे मामले में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया। यह आयोग बिकरू गांव में मुठभेड़ और एनकाउंटर की गहनता से जांच करेगा। एक सदस्यीय आयोग में इलाहाबाद हाईकोर्ट से सेवानिवृत न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल को रखा गया है। इस आयोग का मुख्यालय कानपुर में होगा। आयोग को दो महीनों में अपनी रिपोर्ट देनी होगी। आयोग विकास दुबे सहित सभी मुठभेड़ की जांच करेगा।
कानपुर के अफसर भी आयेंगे जांच के घेरे में
एसआईटी जांच से बीते एक साल से कानपुर में तैनात रहे पुलिस और प्रशासन के अफसरों की मुश्किलें बढ़ सकती है। कुख्यात क्रिमिनल विकास पर 60 से ज्यादा गंभीर एफआइआर दर्ज होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी। केस की रिव्यू का जिम्मा इलाके के कांस्टेबल से लेकर जोन के एडीजी के ऊपर होता है। विकास दूबे और उसका गैंग वर्षों से इलाके में दहशत का पर्याय बना था, लेकिन किसी भी लेवल से उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई।  

विकास मामले से संबंधित अभियुक्तों और उनके सहयोगियों के साथ पुलिसकर्मियों की संलिप्तता की भी जांच                        

एसआईटी विकास मामले से संबंधित अभियुक्तों और उनके सहयोगियों के साथ पुलिसकर्मियों की संलिप्तता की जांच करेगी। उसे अभियुक्तों व उनके आर्थिक मददगारों की सम्पत्तियों तथा आय के स्रोतों की जांच ईडी व आइटी से कराने पर अपनी संस्तुति उपलब्ध कराने को भी कहा गया है। जांच आदेश के अनुसार एसआईटी को पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में आये कारणों की भी जांच करनी है।एसआइटी  को यह पता लगाना है कि अभियुक्त विकास दुबे के विरुद्ध प्रचलित मुकदमों में अब तक क्या प्रभावी कार्रवाई की गई? विकास तथा उसके साथियों को सजा दिलाने के लिए की गई कार्रवाई क्या पर्याप्त थी? इतने विस्तृत आपराधिक इतिहास वाले अपराधी की जमानत निरस्तीकरण की दिशा में क्या कार्रवाई की गई? मुकदमा अपराध संख्या 65/2020 के मामले में जमानत निरस्तीकरण की कार्रवाई क्यों नहीं की गई? एसआईटी को इस तथ्य का भी विस्तृत परीक्षण करने को कहा गया है कि अभियुक्त विकास दुबे के विरुद्ध कितनी जन-शिकायतें आईं और उन पर थानाध्यक्ष चौबेपुर तथा जिले के अन्य अधिकारियों ने क्या जांच की और पाए गए तथ्यों के आधार पर क्या कार्रवाई की?

विकास दुबे मोबाइल के एक साल की सीडीआर की होगी जांच 
गवर्नमेंट ने एसआईटी को यह पता लगाने का भी निर्देश दिया है कि विकास दुबे तथा उसके साथियों के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट व एनएसए आदि अधिनियमों के तहत क्या कार्रवाई की गई।था यदि कार्रवाई किए जाने में लापरवाही रही तो किस लेवल पर लापरवाही रही। विकास दुबे एवं उसके साथियों के पिछले एक वर्ष के सीडीआर का भी जांच करने को कहा गया है। विकास के संपर्क में आये सभी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध संलिप्तता के साक्ष्य मिलने की दशा में उपयुक्त एवं कड़ी कार्रवाई करने की संस्तुति करने के निर्देश भी दिये गये हैं। 

 विकास व गैंग के आर्म्स लाइसेंस भी जांच के दायरे में 

एसआईटी यह भी पता लगायेगी कि घटना के दिन क्या अभियुक्तों के पास उपलब्ध आर्म्स एवं उसके फायर पॉवर के विषय में सूचना संकलन में लापरवाही की गई? यह चूक किस लेवल पर हुई।र क्या थाने में इसकी समुचित जानकारी नहीं थी। एसआईटी को इस तथ्य की भी जांच करके दोषियों को चिह्नित करना है। कहा जा रहा है कि विकास दुबे और उसके साथियों के पास लाइसेंस आर्म्स भी थे। एसआईटी को यह पता लगाने को कहा गया है कि इतने अधिक अपराधों में संलिप्त रहने के बाद भी इन्हें आर्म्स लाइसेंस किसके द्वारा एवं कैसे दिया गया। लगातार अपराध करने के बाद भी यह लाइसेंस और आर्म्स उसके पास कैसे बना रहा?

जमीनों पर अवैध कब्जे में अफसरों की भूमिका की भी जांच होगी

एसआईटी को विकास दुबे और उसके साथियों के द्वारा अवैध रूप से अर्जित सम्पत्ति, व्यापारिक एवं आर्थिक गतिविधियों का परीक्षण करते हुए उनके संबंध में भी जांच करने को कहा गया है। कहा गया है कि लेकल पुलिस ने इस मामले में किसी प्रकार की ढिलाई या लापरवाही की इसका उल्लेख करें। यदि ऐसा हुआ है तो किस लेवल के अफसर दोषी हैं? एसआईटी यह भी पता लगायेगी कि अभियुक्त विकास दुबे और उसके साथियों ने क्या गवर्नमेंट या रैयती जमीनों पर अवैध कब्जा किया है? यदि कब्जा किया है तो क्या इसमें अफसरों की भी भूमिका है और वे अफसर कौन-कौन हैं? उनका उत्तरदायित्व भी निर्धारित किया जाए। अवैध कब्जा हटवाना जिन अफसरों की जिम्मेदारी थी, यदि उन्होंने अवैध कब्जा नहीं हटवाया तो उनका भी उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए।
चार मैनेजर हड़प लिये हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की काली कमाई के 18 करोड़ रुपये
 
विकास दुबे को वसूली से आने वाली कमाई को सफेद करने का कंट्रेक्टर जय बाजपेयी के आलावा चार अन्य 'मैनेजर' के जिम्मे था। ये लोगब्लैक एंड व्हाइट का धंधा करते थे। जांच एजेंसियों के सोर्सेज के अनुसार बिकरू कांड से पहले इन चारों मैनेजर के पास विकास के 18 करोड़ रुपये थे। विकास की मौत के बाद यह राशि चारों ने हड़प ली है। जय के अलावा रडार में लिए गये अन्य लोगों की जांच में यह खुलासा हुआ है। विकास भले ही क्राइम में शातिर था लेकिन पैसे को कहां इन्वेस्ट करना है, कैसे खपाना है और किस सेक्टर में खपाना ये दिमाग जय के अलावा चार अन्य मैनेजर लगाते थे।

18 करोड़ की रकम का आधा हिस्सा इंटरेस्ट पर

विकास का रहन-सहन साधारण था लेकिन जय की जिंदगी एशो-आराम से गुलजार है। यही हाल अन्य चारों का है जो विकास की काली कमाई से ऐश करते थे। सोर्सेज का कहना है कि विकास ने 18 करोड़ की रकम का आधा हिस्सा इंटरेस्ट पर बांट रखा था। इससे उन्हें 55 लाख रुपये महीने की कमाई होती थी। इसका आधा हिस्सा विकास के पास जाता था। शेष रकम से उनके मैनेजर मौज उड़ाते थे। आधी रकम बिजनसमैन व कारोबारियों के  के कारोबार में खपाई गयी थी। फैक्टरी इंडस्ट्लिस्ट के नाम होती थी और पैसा विकास का लगता था। यहां से भी हर महीने बंधी रकम विकास के पास इन्हीं मैनेजरों के जरिए पहुंचती थी।

2500 मोबाइल नंबर्स की निगरानी
विकास दुबे का 'कैशियर' जय बाजपेई  देखते ही देखते करोड़पति कैसे बन गया। जय वर्ष 2013 में एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करता था। बताया जाता है कि जय बाजपेई समेत विकास दुबे के चार मैनेजर उसकी काली कमाई को वाइट मनी में बदलते थे।बताया जाता है कि विकास दुबे का रहने का ढंग बहुत सामान्य लगता था लेकिन उसकी असल जिंदगी ऐशो आराम से लबरेज थी। एरिया के फैक्ट्रियों से वसूली हो या फिर चलते ट्रकों को लूटना, विकास दुबे की जिंदगी का यह आम किस्सा था। 
बिकरू से बैंकॉक तक की विकास दुबे की संपत्ति पर ED की नजर
विकास दुबे के एनकांउटर के बाद ईडी अब उसके करीबियों तथा फाइनेंसर जय वाजपेयी पर शिकंजा कस रहा है। स्टेट गवर्नमेंट विकास दुबे के आर्थिक साम्राज्य की कुंडली खंगाल रही है। विकास दुबे के परिवार और सहयोगियों पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हो सकता है। अरबों रुपये की बेनामी संपतियों के मालिक जय वाजपेयी ही विकास के ब्लैक मनी को इन्वेस्ट करता था। वह विकास दुबे से करोड़ों रुपया लेकर लोगों को ब्याज पर देने का भी बड़ा काम करता था।

 विकास दुबे और जय वाजपेयी के बीच होने वाले सारे लेनदेन की जांच करेगी ईडी

ईडी विकास दुबे और जय वाजपेयी के बीच होने वाले सारे लेनदेन की जांच करेगी। जय वाजपेयी अभी फिलहाल एसटीएफ के शिकंजे में है। विकास दुबे ने जय वाजपेयी के माध्यम से देश और विदेश में अपनी बड़ा आर्थिक साम्राज्य खड़ा किया था। विकास दुबे ने करीब 35 वर्ष का आपराधिक जीवन में अरबों रुपयों की अकूत संपत्ति बनायी है। वह जय वाजपेयी के माध्यम से अपनी काली कमीई कई धंधों में लगाता था। उसने रियल एस्टेट में तो इंडिया के साथ ही दुबई व थाइलैंड की राजधानी बैंकाक में बड़ा इन्वेस्ट किया था।विकास दुबे की फरारी के दौरान ही पुलिस और एसटीएफ ने अपनी जांच शुरू कर दी थी। इसी बीच विकास दुबे और जय वाजपेयी का कनेक्शन सामने आया था। 

एसटीएफ तथा पुलिस ने विकास व जय के बीच लेनदेन का ब्यौरा जुटाया
एसटीएफ तथा पुलिस ने विकास व जय के बीच लेनदेन का ब्यौरा जुटाया है। इसके बाद ईडी ने भी जांच की तो विदेशों में निवेश का मामला सामने आ गया है। एसटीएफ तथा पुलिस ने ईडी को जय वाजपेयी के स्टेट बैंक रामकृष्ण नगर में बैंक अकाउंट का डिटेल दिया है। इस अकाउंट में पिछले एक वर्ष में लगभग एक करोड़ का लेन-देन हुआ। इनमें भी लगभग 60 लाख रुपये जय वाजपेयी ने खुद ही निकाले हैं। यह रकम कहां से आती थी और किस काम में खपाई जाती थी इसके लिंक तलाशी जा रही है।  जय वाजपेयी की पत्नी श्वेता के अकाउंट से एक वर्ष में 60 लाख का लेनदेन हुआ। इनमें 45 लाख रुपये खुद श्वेता ने निकाले हैं, जबकि बाकी की रकम चेक के जरिए अन्य लोगों ने निकाला।विकास दुबे की काली कमाई की जांच की जिम्मेदारी शनिवार को ईडी को सौंप दी गई थी।

जय वाजपेयी ने दुबई और बैंकॉक में करीब 25 करोड़ के दो आशियाने खरीद

ईडी विकास दुबे और उसके करीबी जय वाजपेयी की अवैध चल-अचल संपत्तियों, आर्थिक अपराध की कुंडली खंगालेगी। ईडी यह भी खंगालेगी कि विकास दुबे ने जय वाजपेयी के साथ मिलकर देश-विदेश में कहां-कहां और कितनी अवैध संपत्तियां बनाई हैं। विकास दुबे और जय वाजपेयी के पास कानपुर के साथ-साथ उत्तराखंड, मुंबई, नोएडा में करीब दो दर्जन से ज्यादा प्लॉट और मकान हैं। जय वाजपेयी ने दुबई और बैंकॉक में करीब 25 करोड़ के दो आशियाने खरीद रखे हैं।जय वाजपेयी कानपुर के बड़े उद्योगपति और विकास दुबे के लिए प्रॉपर्टी डीलिंग और मनी लॉन्ड्रिंग दोनों का काम करता था।

विकास दुबे ने नोटबंदी के दौरान लगभग पचास करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी खरीदी

विकास दुबे की फरारी के बाद पुलिस ने जब उसके घर रेड मारा था तो उसकी संपत्तियों के कई दस्तावेज मिले थे। विकास दुबे ने अपनी काली कमाई छिपाने के लिए अपने रिश्तेदारों को भी मोहरा बनाया था, उसने अपने रिश्तेदारों के नाम भी प्रॉपर्टी खरीद रखी थी। नोटबंदी से पहले ही विकास दुबे से जय वाजपेयी ने 6.30 करोड़ रुपये की कैश की दो परसेंट इंटरेस्ट पर लेकर बाजार में पांच परसेंट इंटरेस्ट पर दिया था। विकास दुबे ने कई लोगों का पैसा नोटबंदी के दौरान इन्वेस्ट किया था। विकास दुबे ने नोटबंदी के दौरान लगभग पचास करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी खरीदी थी। इसमें काफी पैसा कानपुर के एक व्यवसायी का था।