Shibu Soren Death: तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन, उतार-चढ़ाव भी देखे
झारखंड की राजनीति के प्रमुख चेहरे और तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन हो गया। उनके राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उन्होंने आदिवासी समाज को पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

रांची। झारखंड के कद्दावर नेता और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक दिशोम गुरु शिबू सोरेन का निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और रांची के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन से झारखंड और भारत की राजनीति में शोक की लहर है।
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राजनीतिक सफर की शुरुआत
शिबू सोरेन ने झारखंड को एक अलग राज्य का दर्जा दिलाने के आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष किया और JMM के जरिए एक मजबूत राजनीतिक मंच तैयार किया। उन्होंने कई बार सांसद और तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
उतार-चढ़ाव भरा रहा जीवन
उनका जीवन कई विवादों और संघर्षों से भरा रहा। एक समय उन पर कानूनी मामलों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन वह हमेशा जनता के नेता के रूप में जाने गए। आदिवासी समाज में उन्हें "गुरुजी" कहकर सम्मानित किया जाता था।
झारखंड के लिए योगदान
शिबू सोरेन ने राज्य की संस्कृति, भाषा और अधिकारों के संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाये। वह न केवल एक राजनेता बल्कि एक जननायक थे जिन्होंने आदिवासी पहचान को राष्ट्रीय मंच पर आवाज़ दी।दिशोम गुरु शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। उनका पहला कार्यकाल 11 दिन का था जब वे बहुमत साबित नहीं कर पाए। दूसरा कार्यकाल भाजपा के समर्थन से 145 दिन का रहा लेकिन गठबंधन में मतभेदों के कारण सरकार गिर गई। तीसरा कार्यकाल 151 दिन का था यह कार्यकाल भी भाजपा के समर्थन वापस लेने से समाप्त हो गया। उनके तीनों कार्यकाल अपेक्षाकृत छोटे रहे।
दिशोम गुरु ने लोकसभा के चुनावों में जीत दर्ज की, तो उच्च सदन राज्यसभा के भी सदस्य बने। दो-दो बार केंद्रीय मंत्री बने। तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। हालांकि, न केंद्रीय मंत्री के रूप में वह कभी अपना कार्यकाल पूरा कर पाये, न मुख्यमंत्री के रूप में। हर बार उन्हें कार्यकाल के बीच में इस्तीफा देना पड़ा। कभी जेल जाने की वजह से, तो कभी उपचुनाव में हार की वजह से।
मुख्यमंत्री का पहला कार्यकाल
दो मार्च 2005 से 12 मार्च 2005: 11 दिन
शिबू सोरेन का बतौर झारखंड के सीएम सबसे छोटा कार्यकाल था। 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। गवर्नर ने सबसे बड़े गठबंधन के नेता के रूप में शिबू सोरेन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन वे सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाये और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
मुख्यमंत्री का दूसरा कार्यकाल
27 अगस्त 2008 से 19 जनवरी 2009:145 दिन (लगभग चार महीने 23 दिन)
झारखंड के सीएम के रुप में शिबू सोरेन ने दूसरे कार्यकाल में बीजेपी के समर्थन से सरकार बनायी। हालांकि, विभिन्न राजनीतिक घटनाक्रमों और गठबंधन के भीतर मतभेदों के कारण यह सरकार भी ज़्यादा समय तक नहीं चल पायी।
तीसरा कार्यकाल
30 दिसंबर 2009 से 29 मई 2010: 151 दिन (लगभग पांच महीने)
शिबू सोरेन का तीसरा और आखिरी मुख्यमंत्री कार्यकाल था। इस बार भी उन्हें भाजपा के समर्थन से सरकार बनाने का मौका मिला। हालांकि, राज्यसभा चुनाव में वोटिंग को लेकर हुए विवाद के बाद भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया, जिससे उनकी सरकार गिर गयी।