शहाबुद्दीन को दिल्ली हाई कोर्ट से सशर्त कस्टडी पैरोल मिली, तीन दिन तक 6 घंटे जेल के बाहर रह सकेगा बाहुबली

तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे बिहार के बाहुबली व एक्स एमपी मो. शहाबुद्दीन को दिल्ली हाई कोर्ट ने छह घंटे की सशर्त कस्टडी पैरोल की अनुमति दे दी है। जस्टिस एजे भंभानी की बेंच ने किसी भी तीन दिन में छह-छह घंटे की कस्टडी पैरोल की अनुमति देते हुए ठोस सुरक्षा इंतजाम के निर्देश दिये हैं।

शहाबुद्दीन को दिल्ली हाई कोर्ट से सशर्त कस्टडी पैरोल मिली, तीन दिन तक 6 घंटे जेल के बाहर रह सकेगा बाहुबली
  • पिता की मौत और बीमार मां से मुलाकात करने के लिए शहाबुद्दीन ने मांगी थी पैरोल 

नई दिल्ली। तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे बिहार के बाहुबली व एक्स एमपी मो. शहाबुद्दीन को दिल्ली हाई कोर्ट ने छह घंटे की सशर्त कस्टडी पैरोल की अनुमति दे दी है। जस्टिस एजे भंभानी की बेंच ने किसी भी तीन दिन में छह-छह घंटे की कस्टडी पैरोल की अनुमति देते हुए ठोस सुरक्षा इंतजाम के निर्देश दिये हैं।

बेंच ने स्पष्ट किया कि कस्टडी पैरोल के लिए शहाबुद्दीन को मुलाकात के लिए दिल्ली में ही एक स्थान की जानकारी पहले ही जेल सुपरिटेंडेंट को देनी होगा। उक्त स्थान का सत्यापन करने के साथ ही राज्य पुलिस वहां पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम करेगी। शहाबुद्दीन ने 19 सितंबर को पिता की मौत होने और मां के बीमार होने के आधार पर कस्टडी पैरोल की मांग की थी।कोर्ट ने कहा कि शहाबुद्दीन 30 दिन के भीतर इच्छानुसार कोई भी तीन डेट चुन सकता है। उसे सुबह छह बजे से शाम चार बजे के बीच छह घंटे के लिए मुलाकात करने की अनुमति होगी। इन छह घंटों में यात्रा समय भी शामिल होगा। बेंच ने कहा कि याचिककर्ता इस दौरान अपनी मां, पत्नी व अन्य रिश्तेदारों के अलावा किसी से भी मुलाकात नहीं कर सकेगा। 

शहाबुद्दीन की तरफ से कोर्ट में सीनीयर एडवोकेट सलमान खुर्शीद ने कहा था कि 19 सितंबर को याचिकाकर्ता के पिता का निधन हो गया था। इसके बाद से ही उसकी मां बीमार चल रही हैं। वह उनके साथ समय बिताना चाहता है। ऐसे में उसे कस्टडी पैरोल दी जाए। उन्होंने जेल मैनुअल का हवाला देते हुए कहा था कि परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर कस्टडी पैरोल दिए जाने का प्रावधान है। दिल्ली गवर्नमेंट की ओर से पेश हुए वकील संजय लाव ने पीठ से कहा था कि बिहार में शहाबुद्दीन की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस जिम्मेदार नहीं हो सकती है। शहाबुद्दीन को कोरोना काल में सिवान ले जाना भी मुश्किल है। फिलहाल ट्रेनों का परिचालन समान्य नहीं है। शहाबुद्दीन को ले जाने के लिए पुलिस की पूरी एक बटालियन भेजनी होगी।

बिहार गवर्नमेंट के एडवोकेट ने कोर्ट में कहा था कि शहाबुद्दीन तिहाड़ जेल में हैं इसलिए उनकी सुरक्षा दिल्ली सरकार व पुलिस को सुनिश्चित करनी चाहिए। शहाबुद्दीन की कस्टडी पैरोल की याचिका पर दस नवंबर को विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद विचार किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान बेंचने कहा था कि पिता की मौत व बीमार मां की स्थिति को देखते हुए कस्टडी पैरोल देने पर विचार किया जा सकता है, लेकिन बिहार और दिल्ली सरकार यह सुनिश्चित नहीं कर पा रही है कि उनकी कस्टडी में शहाबुद्दीन सुरक्षित रहेगा। इस पर बेंच ने सुझाव दिया था कि शहाबुद्दीन का परिवार ही दिल्ली आकर उससे मुलाकात करे।


सिवान में दो भाइयों की तेजाब से नहला कर मर्डर के मामले में उम्र कैद सी सजा पाये शहाबुद्दीन अभी तिहाड़ जेल में बंद है। शहाबुद्दीन पर मर्डर व किडनैपिंग सहित दर्जनों गंभीर मामले दर्ज हैं। इन मामलों मों वह चार्जशीटेड है।  सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शहाबुद्दीन को साल 2018 में बिहार की सिवान जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल में स्थानांतरित किया गया था।