रोहतास: TB से एक ही फैमिली के छह लोगों की मौत, झाड़-फूंक से इलाज ,अकेली रह गई आठ साल की बच्ची

बिहार के रोहतास जिले के नासरीगंज ब्लॉक के खीरीयांव पंचायत अंतर्गत गनौरी बिघा गांव में झाड़-फूंक के चक्कर एक पूरा फैमिली उजड़ गया। टीबी की चपेट में आकर फैमिली के मुखिया कृष्णा चौधरी (48)) की भी शुक्रवार को मौत हो गई। अब इस फैमिली की एकमात्र सदस्य बच्ची प्रीति (आठ) बची हुई है। 

रोहतास: TB से एक ही फैमिली के छह लोगों की मौत, झाड़-फूंक से इलाज ,अकेली रह गई आठ साल की बच्ची
कृष्णा की मौत के बाद उनके घर पहुंचे पड़ोसी.

पटना। बिहार के रोहतास जिले के नासरीगंज ब्लॉक के खीरीयांव पंचायत अंतर्गत गनौरी बिघा गांव में झाड़-फूंक के चक्कर एक पूरा फैमिली उजड़ गया। टीबी की चपेट में आकर फैमिली के मुखिया कृष्णा चौधरी (48)) की भी शुक्रवार को मौत हो गई। अब इस फैमिली की एकमात्र सदस्य बच्ची प्रीति (आठ) बची हुई है। 

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चाचा-चाची के साथ रहती है बच्ची
टीबी रोग ने इस परिवार के छह लोगों की जिंदगी छीन ली। अब इस फैमिली की एक बच्ची बची है जो कि अपने चाचा-चाची के साथ रहती है। डॉक्टर्स की मानें तो यह बीमारी आज के समय में लाइलाज नहीं रही। बावजूद इसके समाज में टीबी रोग से बेइज्जती होने व झाड़ फूंक कराकर ठीक होने के चक्कर में एक भरा पूरा परिवार उजड़ गया। मृतक के भाई दिनेश चौधरी ने बताया की कृष्णा चौधरी का पुत्र श्री भगवान (18)अपनी मौसी के यहां सिक्किम में रहकर 10वीं की पढ़ाई करता था। दिनेश ने बताया कि जब वो वहां से लौटा तो टीबी से ग्रसित था। धीरे-धीरे यह बीमारी फैमिली के अन्य मेंबर्स में भी फैल गई। सबसे पहले वर्ष 2020 में श्री भगवान की मौत हो गई। इसके बाद कृष्णा की सबसे बड़ी बेटी शांति देवी, शोभा कुमारी व तीसरी बेटी का कुछ समय अंतराल में निधन हो गया।

इलाज ना कराना व झाड़ फूंक के चक्कर में समस्या गंभीर होती गई

विगत 28 दिसंबर को कृष्णा की पत्नी का भी निधन हो गया। फैमिली के सात मेंबर्स में से पांच की मौत पांच वर्षों के अंतराल में हो गई। फैमिली के मुखिया कृष्णा ने भी शुक्रवार दोपहर बाद परिवार दम तोड़ दिया। पंचायत की मुखिया मंजू देवी ने बताया कि बीमारी को छिपाकर इलाज ना कराना व झाड़ फूंक के चक्कर में समस्या गंभीर होती गई। फैमिली को सामाजिक संगठन के लोगों ने हरसंभव मदद का प्रयास किया, लेकिन बीमारी लास्ट फेज में होने की वजह से किसी को भी बचाया नहीं जा सका।

फैमिली में बची एकमात्र मेंबर प्रीति अपने चाचा-चाची के साथ रहने की वजह से इस बीमारी से फिलहाल बची हुई है।इस संबंध में पीएचसी एमओआईसी डा. एनके आर्या का कहना है कि उक्त फैमिली को इलाज के लिए लाने के लिए कई बार एम्बुलेंस भेजी गई, लेकिन उन लोगों ने आने से मना कर दिया। इससे उन्हें बेहतर चिकित्सकीय सुविधा नहीं मिल पाई।