ओड़िसा 26 साल पहले हुआ था लापता, परिजन कर चुके थे अंतिम संस्कार, अब भरतपुर में मिली जिंदा होने की खबर

ओड़िसा से एक व्यक्ति जो 26 वर्ष पहले ख़राब मानसिक हालत के चलते अपने घर से लापता हो गया था। उसे मृत समझकर परिजन अंतिम संस्कार भी कर चुके थे। अब अचानक उसके जिंदा होने का पता चला। इस शख्स की पत्नी भी विधवा की तरह जीवन व्यतीत कर रही थी। शख्स के जिन्दा होने की सूचना से घरवालों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसका बेटा उसे लेने के लिए रविवार को भरतपुर स्थित 'अपना घर' आश्रम पहुंचा। 

ओड़िसा 26 साल पहले हुआ था लापता, परिजन कर चुके थे अंतिम संस्कार, अब भरतपुर में मिली जिंदा होने की खबर

जयपुर। ओड़िसा से एक व्यक्ति जो 26 वर्ष पहले ख़राब मानसिक हालत के चलते अपने घर से लापता हो गया था। उसे मृत समझकर परिजन अंतिम संस्कार भी कर चुके थे। अब अचानक उसके जिंदा होने का पता चला। इस शख्स की पत्नी भी विधवा की तरह जीवन व्यतीत कर रही थी। शख्स के जिन्दा होने की सूचना से घरवालों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसका बेटा उसे लेने के लिए रविवार को भरतपुर स्थित 'अपना घर' आश्रम पहुंचा। 

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यह है मामला 
उड़ीसा के कटक का रहने वाले 64 वर्षीय स्वप्नेश्वर दस लगभग 26 साल पहले घर से लापता हो गये थे। 26 साल बाद रविवार को वह अपने बेटे से मिल सके लेकिन वह उसे पहचान नहीं सका। क्योंकि जब वह घर से लापता हुए थे तब उनके पुत्र संजय कुमार दास की उम्र सिर्फ 13 साल थी। अब वह पुत्र शादीशुदा है। उसके भी बच्चे भी हैं।
 बताया जाता है कि स्वपनेश्वर दास दिमागी रूप से बीमार हो गया था। वह 26 साल पहले घर से निकल गया था। उस दौरान उसका बड़ा बेटा 13 साल और छोटा बेटा 10 साल का था। घरवालों ने दास को मरा हुआ समझ लिया था। मौत के बाद की सभी रस्में अदा कर अंतिम संस्कार तक कर दिया गया था। उनकी पत्नी एक विधवा का जीवन जीने लगी थी। लेकिन अब परिवारवालों को पता लगा कि दास जिंदा हैं और भरतपुर के 'अपना घर' आश्रम में रह रहे हैं।
स्वप्नेश्वर दास के पुत्र संजय कुमार दास ने कहा कि जब में वह नौवीं क्लास में पढ़ते थे तब उनके पिता स्वप्नेश्वर दास घर से लापता हो गये थे। परिजनों ने उन्हें काफी तलाश की लेकिन उनका कहीं पता नहीं चल सका था। उड़ीसा में एक रस्म है कि जो व्यक्ति लापता हो जाता है और 12 साल तक नहीं मिलता है तो उसे मृत समझकर अंतिम संस्कार की सारी रस्में अदा कर दी जाती हैं। हालांकि मेरी मां स्वर्णलता दास को उम्मीद थी कि मेरे पति जिंदा हैं, इसलिए उन्होंने 12 साल की जगह 24 साल तक अपने पति स्वप्नेश्वर दास का इंतजार किया। तब जाकर परिजनों के दबाव के बाद स्वप्नेश्वर दास के अंतिम संस्कार की सभी रस्में निभाई गईं। 

तमिलनाडु के आश्रम से लाकर भरतपुर आश्रम में कराया एडमिट 
तमिलनाडु के विल्लुपुरम स्थित अनभु ज्योति आश्रम से 144 प्रभुजनों (दीन दुखी, बेसहारा लोगों) को 13 मार्च 2021 में में भरतपुर के अपना घर आश्रम में शिफ्ट किया गया था। इसमें से एक स्वप्नेश्वर दास भी शामिल थे। वह दिमागी रूप से बीमार थे। अपना घर आश्रम में स्वप्नेश्वर दास का इलाज चला और जब वह धीरे-धीरे मानसिक रूप से ठीक होने लगे तो उन्होंने अपने घर का पता बताया। अपना घर आश्रम ने कटक के बेल्लिसही पुलिस से संपर्क किया। पुलिस के जरिये स्वप्नेश्वर दास के परिजनों को संपर्क किया गया। उसके बाद स्वप्नेश्वर दास के परिजनों की वीडियो कॉल से बात कराई गई जिसके बाद परिजनों ने स्वप्नेश्वर दास को पहचान लिया। स्वप्नेश्वर दास का बड़ा बेटा संजय कुमार दास अपने पिता को लेने के लिए रविवार को भरतपुर अपना घर आश्रम आया।अपना घर आश्रम के निदेशक डॉ बीएम भारद्वाज ने बताया कि स्वप्नेश्वर दास को तमिलनाडु आश्रम से यहां बीते साल शिफ्ट किया गया था। उनकी मानसिक हालत ख़राब थी, जिसका इलाज कराया गया। इलाज के बाद जब वह सही होने लगे तो उन्होंने अपने घर का पता बताया। उसके बाद उसके परिजन से संपर्क पुलिस द्वारा किया गया और आज उनका पुत्र उन्हें लेने के लिए आया है।