नई दिल्ली: ED ने नेशनल हेराल्ड ऑफिस को किया सील, बिना परमिशन नहीं खुलेगा ताला

ईडी ने नेशनल हेराल्ड बिल्डिंग में स्थित यंग इंडिया लिमिटेड के ऑफिस को सील कर दिया है। ईडी यह भी निर्देश दिया कि एजेंसी की पूर्व अनुमति के बिना कैंपस को नहीं खोला जाए। ईडी की ओर से जारी इस निर्देश के बाद दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) मुख्यालय के बाहर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिये गये हैं।

नई दिल्ली: ED ने नेशनल हेराल्ड ऑफिस को किया सील, बिना परमिशन नहीं खुलेगा ताला
  • AICC मुख्यालय के बाहर बढ़ाई गई सुरक्षा

नई दिल्ली। ईडी ने नेशनल हेराल्ड ल्डिंग में स्थित यंग इंडिया लिमिटेड के ऑफिस को सील कर दिया है। ईडी यह भी निर्देश दिया कि एजेंसी की पूर्व अनुमति के बिना कैंपस को नहीं खोला जाए। ईडी की ओर से जारी इस निर्देश के बाद दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) मुख्यालय के बाहर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिये गये हैं।

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Additional police force deployed outside the AICC headquarters in Delhi pic.twitter.com/elZCIAdS5y

— ANI (@ANI) August 3, 2022

ED के ऑफिसियस सोर्सेज ने बताया कि बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत कांग्रेस के स्वामित्व वाले नेशनल हेराल्ड ऑफिस में यंग इंडियन के कैंपस को अस्थायी रूप से सील कर दिया। न्यूज एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि अस्थायी सीलबंदी 'सबूतों को संरक्षित करने' के लिए लगाई गई है। इस सबूतों को अभी तक एकत्र नहीं किया जा सका है क्योंकि मंगलवार को रेड के दौरान संबंधित पक्ष के अधिकृत प्रतिनिधि मौजूद नहीं थे। सोर्सेज ने यह भी बताया कि बाकी नेशनल हेराल्ड ऑफिस उपयोग के लिए खुला है।

ईडी द्वारा की गई कार्रवाई के बाद दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के घर की सुरक्षा बढ़ाई है। ईडी की ओर से यह कार्रवाई ऐसे वक्त में की गई है जब इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार विपक्षी दलों को प्रताड़ित करने के लिए ईडी का दुरुपयोग कर रही है।  कांग्रेस सदस्यों ने बुधवार को लोकसभा में जमकर हंगामा किया। कांग्रेस ने लोकसभा में दावा किया कि जांच एजेंसी ईडी विपक्षी दलों को कुचलने के लिए बीजेपी सरकार का औजार बन चुकी है।  उल्लेखनीय है कि नेशनल हेराल्ड केस में ईडी के अधिकारी सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ कर चुकी है।
नेशनल हेराल्ड विवाद
नेशनल हेराल्ड का कार्यालय बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस के प्रथम तल पर स्थित है।इमारत के भूतल पर सामने ही नेशनल हेराल्ड को शुरू करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की बड़ी तस्वीर लगी है। नेहरू ने आजादी की लड़ाई को धार देने के लिए लखनऊ में इस अखबार को शुरू किया था। इसलिए इसकी टैग लाइन फ्रीडम इज इन पेरिल, डिफेंड इट विद आल योह माइट रखी गई थी। इसका मतलब है स्वतंत्रता संकट में है, अपनी पूरी ताकत से इसकी रक्षा करें।इस अखबार में प्रमुख रूप से पंडित जवाहरलाल नेहरू के लेख छपते थे। इस अखबार से अंग्रेज सरकार इतनी भयभीत थी कि 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 84 साल पुराने इस अखबार के संपादक इस समय जफर आगा हैं। मौजूदा समय में सात मंजिला इमारत हेराल्ड हाउस के भूतल और प्रथम तल पर पासपोर्ट कार्यालय है। पासपोर्ट कार्यालय को दोनों तल पर किराए पर जगह दी गई है। इसके अलावा अन्य तल भी किराये पर आवंटित हैं। इसके साथ ही प्रथम तल पर स्थित नेशनल हेराल्ड से के ऑफिस में 15 से ज्यादा स्टाफ कार्यरत हैं। यहीं से साप्ताहिक रूप से प्रत्येक रविवार को आठ पेज के अंग्रेजी अखबार नेशनल हेराल्ड का संपादन होता है। इसकी एक कापी की कीमत 20 रूपये है। 
नेशनल हेराल्ड की स्थापना से लेकर अब तक के सफर 
20 नवंबर 1937: एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की स्थापना के साथ इसका कंपनी के रूप में पंजीकरण हुआ।
नौ सितंबर 1938: जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड।
1942-1945 तक नेशनल हेराल्ड को ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया।
1938 में के. रामा राव इस अखबार के संपादक बनें। उन्होंने 1946 तक इस अखबार का संपादन किया।
1946 के बाद मणिकोंडा चलपति राव इस अखबार के संपादक बने। वे 1978 तक इस अखबार के संपादक रहे।
1978 में जाने-माने पत्रकार खुशवंत सिंह इसके संपादक बने। 1990 से 1982 तक सुभारत भट्टाचार्य ने नेशनल हेराल्ड का संपादकीय दायित्व संभाला।
अगस्त 1947 में जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड बोर्ड के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया।
1962-63: दिल्ली-मथुरा रोड पर 5-ए, बहादुर शाह जफर मार्ग, आइटीओ के पास एजेएल को 0.3365 एकड़ भूमि आवंटित की गई।
10 जनवरी, 1967: प्रिटिंग प्रेस चलाने के लिए भवन निर्माण हेतू भूमि और विकास कार्यालय के द्वारा एजेएल के पक्ष में स्थायी लीज डीड तैयार की गई।
1968 में नेशनल हेराल्ड का दिल्ली संस्करण लांच हुआ।
22 मार्च 2002: मोती लाल वोरा को एजेएल का चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया।
साल 2008: अखबार के संचालन के दौरान एजेएल को भारी नुकसान हुआ। अखबार का संचालन बंद कर दिया गया।
नवंबर 2010: यंग इंडिया नाम की एक कंपनी का गठन हुआ। इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 परसेंट हिस्सेदारी थी।
दिसंबर 2010: एजेएल के ऊपर कांग्रेस के 90 करोड़ रुपये बकाया होने की खबर सामने आई।
29 दिसंबर 2010: रजिस्ट्रार आफ कंपनीज के पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार इस डेट को एजेएल के शेयरधारकों की संख्या 1057 थी।
26 फरवरी 2011: कांग्रेस ने एजेएल की 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था। यानी पार्टी ने इसे 90 करोड़ का लोन दे दिया।
2011: यंग इंडिया लिमिटेड ने 90 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार को प्राप्त करने के लिए एजेएल को मात्र 50 लाख रुपये का भुगतान किया था। यंग इंडिया ने इस 50 लाख के बदले कर्ज को माफ कर दिया और एजेएल पर यंग इंडिया नियंत्रण हो गया।
एक नवंबर 2012: सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली की एक कोर्टमें एक निजी शिकायत दर्ज की। इसमें आरोप लगाया गया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ने निजी कंपनी यंग इंडिया के जरिए एजेएल का अधिग्रहण कर धोखाधड़ी और जमीन हथियाने का काम किया है।
दो नवंबर 2012: कांग्रेस ने सफाई दी कि कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड अखबार को फिर से चलाने के लिए एजेएल को लोन दिया था।
सात जनवरी 2013: भूमि और विकास आफिस ने एजेएल को व्यावसायिक उद्देश्यों के इमारतों को किराये पर देने का अधिकार दिया।
2014: ईडी ने इस केस की जांच शुरू की। ईडी यह पता लगाना चाहती थी कि क्या इस केस में किसी तरह की मनी लॉन्डिंग हुई है या नहीं।
26 जून 2014: अदालत ने सोनिया और राहुल गांधी को आरोपी के रूप में कोर्ट में समन किया।
19 दिसंबर 2015: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत दूसरे आरोपियों को पटियाला कोर्ट ने नियमित जमानत दे दी।
2016: सुप्रीम कोर्ट ने का कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई रद्द करने से इनकार कर दिया। हालांकि कोर्ट ने सभी आरोपितों को व्यक्तिगत पेशी से छूट प्रदान कर दी।
एक अक्टूबर 2016: नीलाभ मिश्रा को एजेएल के डिजिटल स्वरूप का संपादक नियुक्त किया गया। 14 नवंबर 2016 को नेशनल हेराल्ड की अंग्रेजी की वेबसाइट लांच की गई।
पांच अक्टूबर 2016: भूमि एवं विकास आफिस ने एजेएल को नोटिस जारी किया और कहा कि एजेएल की संपत्ति का इस्तेमाल प्रेस के कामों के लिए नहीं किया जा रहा है।
अक्टूबर 2018: दिल्ली हाई कोर्ट ने एजेएल को बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया।
फरवरी 2019: गांधी परिवार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
एक जून 2022: ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पेश होने का नोटिस भेजा।
सात शहरों में है संपत्ति
नेशनल हेराल्ड की बेशकीमती संपत्तियों की अनुमानित कीमत 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। ये संपत्तियां देश के सात प्रमुख शहरों में प्राइम लोकेशन पर हैं।नेशनल हेराल्ड की शुरुआत देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वर्ष 1938 में लखनऊ से की थी। इसका उद्देश्य देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराना था। इसके लिए एक कंपनी बनी थी, जिसका नाम था एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (Associated Journals Limited - AJL)। एजेएल कंपनी, अंग्रेजी के नेशनल हेराल्ड के साथ हिंदी का नवजीवन (Navjeevan Hinde News Paper) और उर्दू का कौमी आवाज समाचार पत्र (Qaumi Awaz Urdu News Paper) भी प्रकाशित करती थी।

आजादी के बाद नेशनल हेराल्ड का प्रभाव और प्रसार दोनों बढ़ा। लिहाजा एजेएल कंपनी को सात शहरों में प्राइम लोकेशन पर भूखंड (Plot) आवंटित किए गए। आज नेशनल हेराल्ड के इन भूखंडों पर कहीं बार चल रहा तो कहीं मॉल खुल गया है। एक भूखंड तो कांग्रेसी नेता ने ही धोखे से बेच दिया। आइये जानते हैं किन-किन शहरों में है ये संपत्ति, क्या है इसकी मौजूदा कीमत और वर्तमान में कैसे हो रहा इसका उपयोग?
मयखाना बनी लखनऊ की संपत्ति
नेशनल हेराल्ड की पहली संपत्ति उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ऐतिहासिक केसरबाग क्षेत्र में मुख्य मार्ग पर है। दो एकड़ की इस संपत्ति में दो बिल्डिंग हैं, नेहरू भवन और नेहरू मंजिल। दोनों बिल्डिंग कुल 35,000 वर्ग फुट में बनी हुई हैं। नेहरू भवन में राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट  द्वारा संचालित इंदिरा गांधी नेत्र चिकित्सालय एवं रिसर्च सेंटर चलता है। दो मंजिला नेहरू मंजिल में वर्तमान में 207 दुकानें हैं, जिनमें से ज्यादातर पर ताला लगा हुआ है। एक में बीयर की दुकान है, जहां शाम होते ही मयखाना सज जाता है। अन्य दुकानों पर लगे बोर्ड वहां पर चल रही अलग-अलग वाणिज्यिक गतिविधियों की तरफ इशारा करते हैं। बिल्डिंग के केयर टेकर संजीव कुमार ने ने बताया कि केवल दो दुकानों का किराया आता है। शेष दुकानों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्होंने दिल्ली कार्यालस से संपर्क करने की सलाह दी। उन्हें अन्य दुकानों की जानकारी नहीं है।
दिल्ली की संपत्ति से सात करोड़ रुपये सालाना किराया
दिल्ली के बहादुरशाह जफर मार्ग पर आईटीओ के करीब पांच मंजिला हेराल्ड हाउस है। इसका कुल निर्मित क्षेत्रफल एक लाख वर्ग फुट है। इसकी भवन की अनुमानित कीमत 500 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसकी दो मंजिलों पर विदेश मंत्रालय द्वारा वर्ष 2012 से पासपोर्ट सेवा केंद्र  संचालित किया जा रहा है। दो अन्य मंजिलों पर टीसीएस कंपनी द्वारा पासपोर्ट आवेदनों की प्रोसेसिंग का काम किया जाता है। पांचवीं मंजिल यंग इडिया के प्रयोग के लिए खाली रखी गई है। इस बिल्डिंग से कुछ वर्ष पहले तक सात करोड़ रुपये सालाना का किराया मिलता था, जबकि इस संपत्ति का इस्तेमाल वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता है।

बांद्रा में बन गई 11 मंजिला वाणिज्यिक इमारत

मुंबई के बांद्रा में वेस्टर्न एक्सप्रेस-वे पर भी नेशनल हेराल्ड को वर्ष 1983 में 3478 वर्ग मीटर का एक भूखंड आवंटित हुआ था। मुंबई जैसे शहर के मुताबिक ये काफी बड़ा भूखंड है, जिसे समाचार पत्रों के प्रकाशन और नेहरू लाइब्रेरी व रिसर्च सेंटर स्थापित करने के लिए आवंटित किया गया था। इसकी जगह यहां अब 11 मंजिला एक कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स है। एजेएल को ये भूखंड इस शर्त के साथ आवंटित हुआ था कि उसे तीन वर्ष के भीतर इस भूखंड से समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू करना होगा। इसके विपरीत वर्ष 2014 में इस भूखंड पर निर्माण कार्य शुरू हुआ, वो भी कॉमर्शिलय कॉम्प्लेक्स का। मुंबई के आरटीआइ कार्यकर्ता अनिल द्वारा पूर्व में मीडिया को दी गई जानकारी के अनुसार यहां 14 ऑफिस और 135 कारों की पार्किंग संचालित हो रही। अनिल वर्ष 2013 से अब तक तीन बार महाराष्ट्र सीएम को इसका आवंटन निरस्त करने के लिए पत्र लिख चुके हैं। इस भूखंड की अनुमानित कीमत तीन सौन करोड़ रुपये से ज्यादा है।

पटना के अदालतगंज में भूखंड पर कब्जा

पटना के अदालतगंज में भी नेशनल हेराल्ड को एक एकड़ का भूखंड आवंटित हुआ था, जो अब तक खाली है। पिछले कुछ वर्षों में इस भूखंड पर अवैध कब्जा कर झुग्गियां बस चुकी हैं। जबकि कुछ हिस्से पर दुकानें बन चुकी हैं। इस भूखंड की अनुमानित कीमत 60 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसकी जगह एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) एग्जीबिसन रोड पर किराये की जगह से समाचार पत्रों का प्रकाशन करता रहा है।

हुड्डा ने पंचकुला में किया था आवंटन

नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को वर्ष 2005 में पंचकुला के सेक्टर-6 में 3,360 वर्ग मीटर का एक भूखंड आवंटित हुआ था। सबसे बाद में आवंटित ये भूखंड हरियाणा पुलिस मुख्यालय के पास है। वर्ष 2005 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने के तुरंत बाद ये भूखंड आवंटित हुआ था। इस भूखंड पर एक चार मंजिला इमारत है, जो कुछ वर्ष पहले ही बनकर तैयार हुई है। इसकी वर्तमान कीमत 100 करोड़ रुपये से अधिक है।
इंदौर के एबी रोड पर है खाली भूखंड

इंदौर का लाइफ लाइन माने जाने वाले एबी रोड पर भी नेशनल हेराल्ड को 22 हजार वर्ग फुट का एक भूखंड है। इसकी अनुमानित कीमत 25 करोड़ रुपये से ज्यादा है। इसी क्षेत्र में लोकमत, नई दुनिया, प्रभात किरण समेत कई समाचार पत्रों के ऑफिस भी हैं।
कांग्रेस नेता ने धोखे से बेच दी भोपाल की संपत्ति

भोपाल के एमपी नगर में भी नेशनल हेराल्ड के नाम से भूखंड आवंटित था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक कांग्रेस नेता ने ही इस भूखंड को फर्जी तरीके से एक बिल्डर को बेच दिया था। उस बिल्डर ने इस पर एक बिल्डिंग खड़ी की और उसे विभिन्न लोगों को वाणिज्यिक और रिटेल प्रयोग के लिए बेच दिया। वर्तमान स्थिति में बिल्डिंग सहित भूखंड की अनुमानित कीमत 150 करोड़ रुपये से ज्यादा है।