Jharkhand: CA नरेश केजरीवाल के ठिकानों पर रेड, UAE–USA की शेल कंपनियों से करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग !

Jharkhand ED Raid: रांची के टॉप CA नरेश केजरीवाल के ठिकानों पर ED की बड़ी कार्रवाई। UAE–USA की शेल कंपनियों के जरिए 1500 करोड़ के संदिग्ध लेनदेन का खुलासा। दवा घोटाले के आरोपी IAS प्रदीप कुमार की मनी लॉन्ड्रिंग में फर्जी HUF बनाने का आरोप। पूरी डिटेल Threesocieties.com पर।

Jharkhand: CA नरेश केजरीवाल के ठिकानों पर रेड, UAE–USA की शेल कंपनियों से करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग !
रेड में कई अहम दस्तावेज जब्त।
  • फर्जी HUF बनाकर दवा घोटाले के आरोपी IAS को दी थी मदद
  • 1500 करोड़ का ट्रांसफर और विदेशी शेल कंपनियों का बड़ा नेटवर्क बेनकाब

रांची। झारखंड में आर्थिक अपराध से जुड़े सबसे बड़े मामलों में से एक उजागर हो गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार सुबह रांची, मुंबई और सूरत में प्रसिद्ध चार्टर्ड अकाउंटेंट नरेश कुमार केजरीवाल के ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई की। छापेमारी का संबंध UAE, नाइजीरिया और अमेरिका में चलाई जा रही शेल कंपनियों के माध्यम से करोड़ों के संदेहास्पद लेनदेन से है।

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सूत्रों के मुताबिक, नरेश केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने विदेशी शेल कंपनियों के जरिए लगभग 1500 करोड़ रुपये फर्जी टेलीग्राफिक ट्रांसफर (TT) के जरिए भारत में भेजे और करीब 900 करोड़ रुपये विदेशी खातों में जमा पाए गए, जिनका कोई वैध स्रोत नहीं मिला।

 दवा घोटाले में फंसे IAS प्रदीप कुमार को बचाने के लिए बनाया गया फर्जी HUF

जांच में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ—CA नरेश केजरीवाल ने दवा घोटाले के आरोपी तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव डॉ. प्रदीप कुमार की काली कमाई को सफेद दिखाने के लिए फर्जी हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) बनाया।

 कैसे किया गया मनी लॉन्ड्रिंग का खेल?

“नंदलाल HUF” के नाम से फर्जी परिवार खड़ा किया गया।

प्रदीप कुमार के भाई राजेंद्र कुमार को ‘कर्ता’ दिखाया गया।

HUF के नाम पर आयकर रिटर्न दायर किया गया।

HUF के खाते में 42.97 लाख रुपये जमा दिखाए गए।

जांच में राजेंद्र कुमार ने स्वीकार किया कि उसे HUF के बारे में कुछ पता ही नहीं था।

IAS प्रदीप कुमार का आय–खर्च पैटर्न भी संदिग्ध

वर्ष 2000–2008 के बीच कुल आय: ₹97.95 लाख

कुल खर्च: ₹39.99 लाख

बचत: ₹60.96 लाख

मिली संपत्ति: ₹1.03 करोड़

अतिरिक्त (अवैध) संपत्ति: ₹42.28 लाख

संपत्ति के स्रोत छुपाने के लिए यह फर्जी HUF तैयार किया गया था।

 KVP–IVP का खेल भी फेल

डॉ. प्रदीप कुमार ने सफाई में KVP और IVP की राशि जमा होने का दावा किया, लेकिन जांच में पाया गया कि:

24 KVP (₹10,000 के) और 110 IVP एक ही दिन खरीदे गए थे।

ED ने इन दावों को फर्जी और गढ़ा हुआ बताया।

UAE और USA की शेल कंपनियों से अरबों का अवैध लेनदेन

आयकर विभाग की पहले की छापेमारी में ED को ऐसे दस्तावेज मिले जिनसे पता चला:

केजरीवाल ने UAE, USA और नाइजीरिया में कई शेल कंपनियां चलाईं

कंपनियों का संचालन भारत से किया जा रहा था।

इन कंपनियों के जरिए 900 करोड़ रुपये से अधिक जमा मिले।

1500 करोड़ रुपये हवाला जैसे TT ट्रांसफर भारत भेजे गए।

ईडी छापेमारी में क्या मिला?

तलाशी के दौरान ईडी की टीमें निम्नलिखित जब्त कर रही हैं—

विदेशी ट्रांजैक्शन की फाइलें

बैंक रिकॉर्ड

डिजिटल डाटा

इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस

विदेशी निवेश से जुड़े दस्तावेज

शेल कंपनियों के बही-खाते

सूत्रों की मानें तो दस्तावेजों के आधार पर जल्द ही अन्य सहयोगियों व बड़े नेटवर्क पर भी कार्रवाई संभव है।

मामला बड़ा, कार्रवाई अभी जारी

यह कार्रवाई झारखंड के वित्तीय जगत में बड़ा तूफान लेकर आई है।
ED का फोकस अब इस बात पर है कि:

शेल कंपनियों के जरिए पैसा किन नेटवर्क तक गया?

हवाला चैनल कैसे ऑपरेट किया जाता था?

और कौन लोग जुड़े हुए हैं?

आने वाले दिनों में बड़े खुलासे होने की संभावना है।

फर्जी हिंदू अविभाजित परिवार(HUF) बनाया

CA नरेश केजरीवाल ने दवा घोटाले में फंसे तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर प्रदीप कुमार को मनी लॉन्ड्रिंग में मदद करने के लिए फर्जी हिंदू अविभाजित परिवार(HUF) बनाया। इसके बाद प्रदीप कुमार की काली कमाई को इस फर्जी HUF की संपत्ति बतायी थी। साथ ही राजेंद्र कुमार को इस फर्जी परिवार का मुखिया(कर्ता) बता कर उसके नाम पर संपत्ति खरीदी। ईडी ने इस मामले में डॉक्टर प्रदीप कुमार के साथ CA के ख़िलाफ भी आरोप पत्र दायर कर रखा है।

ईडी ने जांच में पाया कि दवा घोटाले की अवधि तक तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर प्रदीप कुमार की कुल आमदनी 97.95 लाख रुपये थी। यह आमदनी प्रदीप कुमार के वैध स्रोतों से 2000-2008 तक के बीच हुई थी। इस अवधि में उनका कुल खर्च 39.99 लाख रुपये थी। इस तरह उनकी कुल बचत 60.96 लाख रुपये पायी गयी थी. इसके मुकाबले उनके पास कुल 1.03 करोड़ रुपये की संपत्ति पायी गयी थी। यानी उनके पास वैध आमदनी के मुकाबले 42.28 लाख रुपये की संपत्ति अधिक थी। इस संपत्ति को खरीदने के लिए धन के स्रोत को वैध साबित करने के लिए फर्जी हिंदू अविभाजित परिवार बनाया था।

ईडी ने मामले की जांच के दौरान पाया कि नरेश केजरीवाल तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर प्रदीप कुमार के CA थे। प्रदीप कुमार की काली कमाई की लॉन्ड्रिंग के लिए “नंदलाल HUF” बनाया गया था। नंद लाल HUF में प्रदीप कुमार के भाई राजेंद्र कुमार को कर्ता बनाया गया। HUF के नाम पर आयकर रिटर्न दाखिल किया गया। पूछताछ के दौरान राजेंद्र कुमार ने यह स्वीकार किया कि उसे नंद लाल HUF और उसके मुखिया होने की जानकारी नहीं है। HUF के नाम पर दायर आयकर रिटर्न की भी जानकारी नहीं है। बाद में डॉक्टर प्रदीप कुमार ने भी ईडी को दिये गये अपने बयान में यह स्वीकार किया कि CA की सलाह पर नंदलाल HUF बनाया गया था। इसी फर्जी HUF के खाते में 42.97 लाख रुपये की राशि जमा दिखाया गयी थी।

जांच रिपोर्टों के अनुसार, नरेश केजरीवाल संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), नाइजीरिया और अमेरिका में कई अघोषित विदेशी शेल संस्थाओं को नियंत्रित करते पाये गये। इन संस्थाओं का संचालन भारत से ही किया जाता था, जिससे इनकी वास्तविकता पर संदेह और गहरा गया। आयकर विभाग के अनुसार, इन शेल कंपनियों में 900 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा की गई है, जो किसी वैध स्रोत से मेल नहीं खाती। इतना ही नहीं, इन विदेशी खातों और संस्थाओं के माध्यम से लगभग 1,500 करोड़ रुपये फर्जी टेलीग्राफिक ट्रांसफर (TT) के जरिए भारत में वापस भेजे गये। यह लेनदेन हवाला और अवैध क्रॉस-बॉर्डर फंडिंग की आशंका को और मजबूत करता है। विदेशी संपत्तियों का खुलासा नहीं, बढ़ा संदेह जांच में पाया गया कि नरेश केजरीवाल ने इन विदेशी संस्थाओं, खातों और लेनदेन का वैधानिक फाइलिंग में कहीं भी उल्लेख नहीं किया।