झारखंड: मैनहर्ट घोटाले में सरयू राय ने  हाई कोर्ट में दाखिल की क्रिमिनल रिट

मैनहर्ट घोटाले की जांच के लिए एमएलए सरयू राय ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सरयू राय ने अपनी याचिका में एसीबी को प्रतिवादी बनाते हुए कहा है कि इस मामले की जांच में आरोप सिद्ध होने के बाद भी सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। जबकि इस मामले में सभी साक्ष्य भी उपलब्ध हैं। याचिका के साथ कई दस्तावेज संलग्न करते हुए कहा है कि इस मामले में एसीबी जांच हुई थी। इसमें आरोपितों के बयान भी लिए गए हैं, लेकिन सरकार की जांच इससे आगे नहीं बढ़ सकी है।

झारखंड: मैनहर्ट घोटाले में सरयू राय ने  हाई कोर्ट में दाखिल की क्रिमिनल रिट

रांची। मैनहर्ट घोटाले की जांच के लिए एमएलए सरयू राय ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सरयू राय ने अपनी याचिका में एसीबी को प्रतिवादी बनाते हुए कहा है कि इस मामले की जांच में आरोप सिद्ध होने के बाद भी सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। जबकि इस मामले में सभी साक्ष्य भी उपलब्ध हैं। याचिका के साथ कई दस्तावेज संलग्न करते हुए कहा है कि इस मामले में एसीबी जांच हुई थी। इसमें आरोपितों के बयान भी लिए गए हैं, लेकिन सरकार की जांच इससे आगे नहीं बढ़ सकी है।

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आरोप सिद्ध होने के बाद भी सरकार नहीं कर रही कार्रवाई
हाईकोर्ट में वर्ष 2003 में भी मैनहर्ट घोटाले की जांच के लिए याचिका दाखिल की गई थी। इसमें सरकार को रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम बनाने को कहा गया था। उस आदेश के बाद तत्कालीन नगर विकास मंत्री बच्चा सिंह ने टेंडर निकाल कर दो परामर्शियों का चयन किया था। लेकिन इसी बीच सरकार बदल गई। वर्ष 2005 में अर्जुन मुंडा सरकार में रघुवर दास नगर विकास मंत्री बनाये गये। उन्होंने 31  अगस्त को  डीपीआर फाइनल करने के लिए बैठक बुलाई। उसमें फैसला लिया गया कि पहले से चयनित परामर्शी को हटा दिया जाए। बाद में ये मामला हाई कोर्ट में भी गया। आरोपों के अनुसार इसपर लगभग 21 करोड़ रुपये खर्च हुए लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ। इसकी जांच भी कराई गई लेकिन जांच रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सिवरेज-ड्रेनेज निर्माण के लिए डीपीआर तैयार करने के लिए जिस मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया, उसमें अनियमितता का आरोप है।

ट्वीट कर सरयू ने शेयर की जानकारी
सरयू राय ने ट्वीट कर यह जानकारी शेयर किया है। उन्होंने ट्विवटर वाल पर लिखा है कि “मेनहर्ट घोटाला की जांच में आरोप सिद्ध हो जाने, मुख्य अभियुक्त सहित कई अभियुक्तों का जवाबी बयान आ जाने के बावजूद सरकार द्वारा आगे की कार्रवाई नहीं करने के विरुद्ध उन्होंने झारखंड हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की है। याचिका पर सुनवाई की प्रतीक्षा है।”

उल्लेखनीय है कि निर्दलीय एमएलए सरयू राय ने पिछले साल संपन्न हुए झारखंड विधानसभा सत्र के दौरान भी ‘मैनहर्ट’ का मुद्दा उठा चुके हैं। सरयू राय ने बताया कि झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद रांची के कुछ समाजसेवी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दी गई। इसमें कोर्ट ने 2003 में अहम आदेश दिया था। इसमें प्रदेश सरकार को राजधानी रांची में भी सीवरेज-ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने के लिए कहा था। उस आदेश के बाद तत्कालीन नगर विकास मंत्री बच्चा सिंह के आदेशानुसार, परामर्शी बहाल करने के लिए टेंडर निकाल कर दो परामर्शियों का चयन किया गया। लेकिन इसी बीच सरकार बदल गई।

वर्ष 2005 में अर्जुन मुंडा सरकार में रघुवर दास नगर विकास मंत्री बनाये गये। उन्होंने डीपीआर फाइनल करने के लिए 31 अगस्त को बैठक बुलाई। बैठक में  फैसला लिया गया कि पहले से चयनित परामर्शी को हटा दिया जाये। बाद में ये मामला हाईकोर्ट में भी गया। आरोपों के अनुसार इसपर तकरीबन 21 करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ। इसकी जांच भी करायी गई लेकिन जांच रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। झारखंड की राजधानी रांची में सिवरेज-ड्रेनेज निर्माण के लिए डीपीआर तैयार करने के लिए जिस मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया, उसमें अनियमतता का आरोप है।