झारखंड: एक्स मिनिस्टर व सीनीयर कांग्रेस लीडर ओपी लाल का निधन, कोरोना संक्रमित होने के बाद रिम्स में थे एडमिट

कीकृत बिहार के एक्स मिनिस्टर व सीनीयर कांग्रेस लीडर ओपी लाल का रविवार को रांची के रिम्स में निधन हो गया। कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें रांची रिम्म्स में एडमिट कराया गया था। 78 वर्षीय ओपी लाल 1985 से लेकर 1995 तक तीन टर्म बाघमारा के एमएलए रहे थे।

झारखंड: एक्स मिनिस्टर व सीनीयर कांग्रेस लीडर ओपी लाल का निधन, कोरोना संक्रमित होने के बाद रिम्स में थे एडमिट

रांची। एकीकृत बिहार के एक्स मिनिस्टर व सीनीयर कांग्रेस लीडर ओपी लाल का रविवार को रांची के रिम्स में निधन हो गया। कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्हें रांची रिम्म्स में एडमिट कराया गया था। 78 वर्षीय ओपी लाल 1985 से लेकर 1995 तक तीन टर्म बाघमारा के एमएलए रहे थे। इंटक व आरसीएमएस के महत्वपूर्ण  पदों पर रहे लाल की गिनती कोयलांचल के बड़े लेबर लीडर में थी।कांग्रेस नेताओं के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक दलों समेत अन्य संगठनों से जुड़े नेताओं ने ओपी लाल के निधन पर शोक जताया है।

एक पखवारे से थे इलाजरत
कोरोना संक्रमित होने के बाद एक पखवारा पहले ओपी लाल को 15 दिन पहले उन्हें धनबाद से लाकर रांची के मेडिका हॉस्पीटल कराया गया था।  तीन दिन पहले उनकी स्थिति बिगड़ने और सांस लेने में कठिनाई होने के बाद रिम्स में ए़डमिट कराया गया,जहां आज उन्होंने अंतिम सांस ली। ओपी लाल ने अपने पीछे चार पुत्र, दो पुत्री और पत्नी समेत भरा-पूरा परिवार छोड़ गये है। फैमिली मेंबर की ओर से  यह भी जानकारी दी गयी है कि उनकी कोरोना रिपोर्ट कुछ दिन पहले निगेटिव आ चुकी थी, इसके बावजूद सांस लेने में कठिनाई के कारण रिम्स में इलाजरत थे।

कांग्रेस नेताओं ने जताया शोक

झारखंड कांग्रेस प्रसिडेंट वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ0 रामेश्वर उरांव, विधायक दल के नेता सह ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम, कृषि मंत्री बादल और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर समेत अन्य नेताओं ने ओपी लाल के निधन पर शोक व्यक्त किया है।डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि लगभग पांच दशक तक सक्रिय राजनीति में रह कर समाज सेवा करने वाले ओपी लाल के निधन से पार्टी को अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि कोयलांचल क्षेत्र में पार्टी संगठन को मजबूती प्रदान करने और इंटक के माध्यम से कोयला श्रमिकों को कांग्रेस से जोड़ने में उनकी सराहनीय भूमिका रही। उन्होंने कहा कि ओ.पी.लाल के निधन से राज्य ने एक महान नेतृत्व कर्ता खो दिया है।आलमगीर आलम ने कहा कि एकीकृत बिहार में मंत्री रहे ओपी लाल की छवि एक ऐसे श्रमिक नेता की थी, जो हर वक्त गरीब मजदूरों के हक के लिए आवाज बुलंद करने में लगा रहता था, उनके निधन से श्रमिकों ने एक अपने एक मसीहा को खो दिया है।

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख  ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि ओपी लाल के निधन की खबर से वे मर्माहत है। इस दुःख की घड़ी में उनकी संवेदना, पूर्व विधायक के परिजनों और चाहने वाले लोगों के साथ है।हेल्थ मिनिस्टर बन्ना गुप्ता ने  शोक व्यक्त करते हुए कहा कि ओपी लाला का लगातार उन्हें सानिध्य मिलता रहा था, ईश्वर उन्हें श्रीचरणों में स्थान दें और परिजनों को दुःख सहने की साहस दें। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि ओपी लाल के निधन से राज्य ने एक महान नेतृत्व कर्ता खो दिया है। पिछले दशकों से राजनीतिक और सामाजिक जीवन में कभी भी उन्होंने विश्राम नहीं लिया।  बीमार होने के पहले तक भी वह अपनी सक्रिय रहे। सीनयीर कांग्रेस लीडर मयूर शेखर झा ने कहा कि ओपी लाल के निधन से कांग्रेस व मजदूर राजनीति को अपूर्णीय क्षति हुई है। कोयलांचल की राजनीति में उन्हें लाल साहब अभिभावक की तरह मदद करते रहे। ईश्वर उनके परिजनों को दुख सहने की शक्ति दें। 

धनबाद के कांग्रेसी ममार्हत
एक्स मिनिस्टर मो मन्नान मल्लिक, कांग्रेस जिला अध्यक्ष ब्रजेद्र प्रसाद सिंह, सीनीयर लीडर विजय कुमार सिंह, अशोक कुमार सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष रवींद्र वर्मा, शंकर प्रजापति, एआइसीसी मेंबर संतोष कुमार सिंह, झारखंड कांग्रेस के सचिव रणविजय सिंह, आरसीएमएस के महामंत्री एके झा, प्रदेश युवक कांग्रेस के उपाध्यक्ष अभिजीत राज, सचिव कुमार गौरव उर्फ सोनू सिंह, युवक कांग्रेस अध्यक्ष कुमार संभव सिंह, एनएसयूआई जिला अध्यक्ष कुमार अभिरव, शमशेर आलम आदि नेताओं ने ओपी लाल के निधन पर गहरा शोक जताया है। 

पांच दशक से पॉलिटिक्स में एक्टिव थे ओपी लाल

पांच दशक से कोयलांचल की पॉलिटिक्स में एक्टिव व तीन दशक से बाघमारा की पॉलिटिक्स तक सूर्य की तरह चमकने वाले एक्स मिनिस्टर ओपी लाल का 78 साल की उम्र में रविवार को अंत हो गया। वर्ष 1984 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की मौत के बाद बाघमारा की पॉलिटिक्स में ओम प्रकाश लाल का तेजी से उदय हुआ। बिहार (एकीकृत बिहार) कांग्रेस ने 1985 बिहार विधानसभा चुनाव में ओरी लाल को बाघमारा से कैंडिडेट बनाया। चुनाव में  माफिया विरोधी लहर में वे पहली बार विजयी हुए। उसके बाद राजनीति में लाल ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा।

लाल की पहल पर कोयलांचल में चला था माफिया विरोधी अभियान
चुनाव जीतने के बाद विंदेश्वरी दुबे की कैबिनेट में ओपी लाल को उत्पाद ,मध निषेद व खान भूतत्त्व मंत्री बनाया गया। कहा जाता है कि सीएम विंदेश्वरी दुबे के खासमखास होने के कारण लाल की गिनती बिहार के सुपर सीएम में आती थी। उस समय मंत्रिमंडल का कोई भी निर्णय बगैर लाल के नही होता था। वह खान एवं भूतत्व राज्य मंत्री, स्वतंत्र प्रभार भी रहे। उस दौरान उन्होंने खनन क्षेत्र में लगी कंपनियों को मजदूरों के हित में कदम उठाने के लिए प्रेरित किया 1985 के बाद  1990 वे 1995 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर ओपी लाल बाघमारा में हैट्रिक बनाने वाले पहले एमएलए बने। वर्ष 2000 में वह समता पार्टी के कैंडिडेट जलेश्वर महतो से पराजित हो गये। वह 2005 में भी जलेश्वर महतो से चुनाव हार गये। इसके बाद वे चुनावी पॉलिटिक्स से दूर हो गये। कांग्रेस ने 2010 के विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर खुद न लड़कर जेडीयू कैंडिडेट जलेश्वर महतो का समर्थन करने की घोषणा की।

सादगी व मधुर वाणी ,सहनशीलता थी लाल की खासियत

सादगी व मधुर वाणी ,सहनशीलता ओपी लाल के जीवन का अंग थी। उन्होंने मिनिस्टर रहने के दौरान व राजनीतिक जीवन में कभी किसी से ऊंची आवज में बात नहीं की। आज तक उन पर कभी कोई आरोप नहीं लगा। दस वर्षों तक मंत्री रहने के बाद भी उनपर कोई आरोप आज तक नही लगा। लाल के एमएलए बनने के बद उनके प्रयास से बिहार गवर्नमेंट ने वर्ष 1985 में धनबाद जिला में माफिया उन्मूलन के खिलाफ जबरदस्त अभियान सरकार ने चलाया था। धनबाद जिला में उस समय माफियाओं की तूती बोलती थी। माफिया के विरोध में कोई आवाज नही उठा सकता था।लाल के प्रयास से इसपर बहुत हद तक रोक लग गई।