झारखंड: एजुकेशन मिनिस्टर जगरनाथ महतो को चेन्नई के एमजीएम हॉस्पीटल से हुए डिस्चार्ज, 25 मई के बाद लौट सकते हैं रांची

झारखंड के एजुकेशन मिनिस्टर जगरनाथ महतो को महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर ( MGM) चेन्नई से डिस्चार्ज कर दिया गया है। वह गुरुवार को ही हॉस्पीटल से बाहर आ गये हैं।

झारखंड: एजुकेशन मिनिस्टर जगरनाथ महतो को चेन्नई के एमजीएम हॉस्पीटल से हुए डिस्चार्ज, 25 मई के बाद लौट सकते हैं रांची

रांची। झारखंड के एजुकेशन मिनिस्टर जगरनाथ महतो को महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर ( MGM) चेन्नई से डिस्चार्ज कर दिया गया है। वह गुरुवार को ही हॉस्पीटल से बाहर आ गये हैं।
डॉक्टर्स ने सभी रिपोर्ट नार्मल आने के बाद उन्हें स्वस्थ बताकर हॉस्पीटल से डिस्चार्ज किया है। हॉस्पीटल से से डिस्चार्ज होने के बाद वह चेन्नई स्थित एक निजी फ्लैट में रह कर स्वास्थ्य लाभ लेंगे। हॉस्पीटल में 25 मई को दोबारा उनका चेकअप किया जायेगा। मिनिस्टर की ओर से कहा गया है कि हेल्थ चेकअप के बाद वे झारखंड लौट आयेंगे।
नौ फरवरी को हुए थे डिस्चार्ज, दोबारा कराये गये थे एडमिट

एजुकेशन मिनिस्टर की ओर से कहा गया है कि फिजियोथेरेपी से बॉडी में काफी इम्प्रूवमेंट आया है। अब खुद से हॉस्पीटल कैंपस में टहलने लगे हैं। झारखंड लौटते ही कई बड़े काम उन्हें करने हैं। झारखंड की जनता के हित में अभी बहुत सारे काम करना हैं। मैंने मौत को मात दिया है, यह नवजीवन संपूर्ण रूप से जनता को समर्पित होगा। उल्लेखनीय है कि लंग्स ट्रांसप्लांट के बाद नौ फरवरी, 21 को जगरनाथ को हॉस्पीटल से डिस्चार्ज कर दिया गया था। इसके बाद वह चेन्नई में ही स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे। इसी बीच तबीयत में कुछ गिरावट आने के बाद उन्हें दोबारा हॉस्पीटल में एडमिट कराया गया था।
आठ माह से हॉस्पीटल में थे मिनिस्टर
एजुकेशन मिनिस्टर जगरनाथ महतो साढ़े आठ माह से भी अधिक समय से अस्पताल में हैं। वह 2020 की 28 सितंबर को कोरोना पॉजिटिव हुए थे। इसके बाद बीजीएच से रांची रिम्स में एडमिट हुए। सेहत में सुधार नहीं होने पर उन्हें मेडिका में एडमिट कराया गया। मेडिकाल गंभीर हालत में उन्हें एयरलिफ्ट कर चेन्नई एमजीएम में शिफ्ट कराया था। डॉक्टरों ने आखिरी विकल्प को अपनाते हुए पिछले साल 10 नवंबर को उनका लंग्स ट्रांसप्लांट किया था। डॉ. अपार जिंदल ने मिनिस्टर का लंग्स ट्रांसप्लांट किया था।इसके के बाद तीन महीने तक हॉस्पीटल में डॉक्टर्स की देखरेख में थे। नौ फरवरी को डॉक्टरों ने उन्हें हॉस्पीटल से छुट्टी दे दी थी।