जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक लोकसभा से भी पास, स्टेट में देश का हर नियम कानून होगा मान्य

लोकसभा में शनिवार को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2021 पास हो गया। इस विधेयक में मौजूदा जम्मू-कश्मीर कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अफसरों को अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर का हिस्सा बनाने का प्रविधान है।

जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक लोकसभा से भी पास, स्टेट में देश का हर नियम कानून होगा मान्य

नई दिल्ली। लोकसभा में शनिवार को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2021 पास हो गया। इस विधेयक में मौजूदा जम्मू-कश्मीर कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अफसरों को अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर का हिस्सा बनाने का प्रविधान है। यह विधेयक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) अध्यादेश की जगह लेगा जो पिछले महीने लाया गया था। राज्यसभा से पहले ही यह विधेयक पास हो चुका है।

कई बदलाव होगा

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक अमल में आने से मौजूदा जम्मू-कश्मीर कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारी अब अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर का हिस्सा होंगे। यही नहीं भविष्य में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए अफसरों के सभी आवंटन अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर से होंगे। अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर के अधिकारी केंद्र के तय नियमों के अनुसार काम करेंगे।  
विधेयक को क्यों लाया गया
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की भारी कमी है जिसकी वजह से केंद्र की ओर से चलाई जा रही योजनाएं प्रभावित होती हैं। अत: इस कैडर को अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम प्रदेशों के कैडर में विलय करने की जरूरत है। इससे दूसरे अधिकारियों को जम्मू-कश्मीर में तैनात करने में सहूलियत होगी। साथ ही जम्मूस-कश्मीोर और लद्दाख में अधिकारियों की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी। 
कांग्रेस लीडर अधीर रंजन चौधरी ने जताई आपत्ति 
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में इस विधेयक को पारित करने के लिए रखा। उन्होंहने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के सपने को पूरा किया है। दोनों राज्यों को विकास की ओर ले जाने की कोशिशें जारी हैं। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने अध्यादेश पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यदि इस तरह से नियमित अध्यादेश लाए जायेंगे। यह संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं होगा। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी ने राज्य को दो हिस्सों में बांटने का फैसला एकतरफा था। 
विपक्ष को शाह ने दिया करारा जवाब 
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के नेताओं को करारा जवाब देते हुए कहा कि केद्र सरकार ने अनुच्छेद-370 हटाकर पिछले डेढ़ साल में जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए जितना काम किया है उतना पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विधेयक का जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है। मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों से वादा करता हूं कि उन्हेंी पूर्ण राज्य का दर्जा निश्चित मिलेगा। पहले जम्मू-कश्मीर में तीन परिवार के लोग ही शासन कर रहे थे इसलिए वो अनुच्छेद-370 के पक्ष में रहते थे। इस विधेयक से अधिकारियों की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी।
अमित शाह ने जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार काम गिनाते हुए विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार के काम गिनाते हुए कहा कि आपकी चार पीढ़ी ने जितना काम किया है उतना काम हमने डेढ़ साल के अंदर किया है। 17 महीने में स्वास्थ्य क्षेत्र में काम हुए। पनबिजली प्रोजेक्ट में 3490 मेगवाट का काम हुआ। 100 परसेंट लोगों को घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य प्राप्त हो गया है। 3,57,405 लोगों को 70 साल से बिजली नहीं मिली थी, उनको 17 महीने में बिजली देने का काम किया गया।
अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर में वर्षों तक शासन करने वाले तीन परिवार बतायें कि उन्होंने वहां के लोगों के स्वास्थ्य के लिए क्या किया? मैं सदन को गौरव के साथ बताना चाहता हूं कि 17 महीने में हमने जम्मू कश्मीर में पीएमडीपी के तहत स्वास्थ्य मंत्रालय से 881 करोड़ रुपये की धनराशि भेज दी है। 75 प्रोजेक्ट पूरी हो गई हैं, 2022 तक 39 अन्य प्रोजेक्ट पूरी हो जायेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर के उद्योग में सबसे बड़ी बाधा थी कि वहां कोई भी उद्योग लगाना चाहे तो उन्हें जमीन नहीं मिलती थी। आर्टिकल 370 हटने के बाद, जमीन के कानून में हमने परिवर्तन किया और अब ऐसी स्थिति हुई है कि कश्मीर के अंदर उद्योग लग पायेंगे। 
होम मिनिस्टर ने बताया कि बैक टू विलेज कार्यक्रम के तहत जम्मू कश्मीर बैंक को 15,000 छोटे छोटे ऋण के मामले दिये गये हैं। मुझे बताते हुए आनंद है कि इनमें से लगभग 4600 महिला सहित 13,000 मामलों को लोन देने का काम भी पूरा कर लिया गया है, वो अपनी छोटी छोटी इकाइयां स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 44,000 कश्मीरी पंडितों के परिवारों को जिनके पास राहत कार्ड है। उन्हें 13,000 रुपये प्रति महीने सरकार देती है। निशुल्क राशन देते हैं। ये हमारे समय में विस्थापित नहीं हुए। कांग्रेस इन्हें सुरक्षा नहीं दे पाई, इसलिए ये विस्थापित हुए। 3000 नौकरियां दे दी गईं हैं। 6,000 लोगों को कश्मीर घाटी में 2022 तक घर देकर हम बसा देंगे।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख को राजनीति का हिस्सा हम न बनाएं। बहुत सारी चीजें हैं राजनीति करने के लिए। मगर ये देश का संवेदनशील हिस्सा है, उनको कई घाव लगे हैं। उनको मरहम लगाना हमारा काम है। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 जाने के बाद जम्मू कश्मीर में किसी के साथ भी अन्याय हो, ऐसी आशंका को ही समाप्त कर दिया गया है। 2014-15 से 2019 तक 4,164 करोड़ रुपये की राशि लद्दाख में भेजी गई है। 31-10-2019 से 31-03-2020 तक 3,518 करोड़ रुपये हम लद्दाख के लिए भेज चुके हैं। मैं फिर से जम्मू कश्मीर के लोगों से वादा करता हूं कि पूर्ण राज्य का स्टेटस आपको निश्चित मिलेगा। आपके राज्य का विकास जो अटक गया है, उसे पटरी पर चढ़ाकर पूर्ण राज्य का दर्जा जरूर वापस देंगे।