JDU संगठन से कटा हरिवंश का पत्ता, राष्ट्रीय कार्यकारिणी में में नहीं मिली जगह

जनता दल (यूनाइटेड) ने पार्टी की 98 सदस्यीय नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा कर दी है। जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश का नाम गायब है। हरिवंश को छोड़कर संसद के दोनों सदनों में पार्टी के सभी सदस्यों और बिहार कैबिनेट के सभी जद (यू) मिनिस्टर्स का नाम राष्ट्रीय कार्यकारिणी की लिस्ट में है।

JDU संगठन से कटा हरिवंश का पत्ता, राष्ट्रीय कार्यकारिणी में में नहीं मिली जगह
हरिवंश व नीतीश (फाइल फोटो)।
  • नीतीश के बाद दूसरे नंबर पर ललन को मिली जगह
  • मंगनीलाल मंडल बने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
  • संजय झा सहित 22 महासचिव बनाये गये

नई दिल्ली। जनता दल (यूनाइटेड) ने पार्टी की 98 सदस्यीय नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा कर दी है। जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश का नाम गायब है। हरिवंश को छोड़कर संसद के दोनों सदनों में पार्टी के सभी सदस्यों और बिहार कैबिनेट के सभी जद (यू) मिनिस्टर्स का नाम राष्ट्रीय कार्यकारिणी की लिस्ट में है।

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जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 98 सदस्य

जेडीयू के एक लीडर ने कहा कि जदयू के सभी सांसद राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदेन सदस्य हैं। पार्टी के लोकसभा में बिहार से 16 सांसद हैं। राज्यसभा में हरिवंश सहित पांच एमपी हैं।नीतीश कुमार की पार्टी जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन कर दिया गया है। इसमें सीएम नीतीश कुमार सहित 98 सदस्य हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह ने बुधवार को नई कार्यकारिणी की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के परामर्श पर नई कार्यकारिणी बनी है।
जेडीयू के नेशनल प्रसिडेंट रह चुके सीएम नीतीश कुमार का लिस्ट में पहले नंबर पर नाम है। दूसरे नंबर पर वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का नाम है। इसके बाद उपाध्यक्ष एक्स एमपी मंगनी लाल मंडल का नाम है। मंगनीलाल मंडल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं केसी त्यागी विशेष सलाहकार सह मुख्य प्रवक्ता बनाए गए हैं। सांसद आलोक कुमार कोषाध्यक्ष बनाए गये हैं। कार्यकारिणी में 22 महासचिव और सात सचिव हैं।

कार्यकारिणी में 22 महासचिव और सात सचिव
बिहार के मिनिस्टर संजय झा, राज्यसभा एमपी रामनाथ ठाकुर,लोकसभा एमपीगिरिधारी यादव, संतोष कुमार कुशवाहा,चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, आरपी मंडल, विजय कुमार मांझी, एक्स मिनिस्टर रामसेवक सिंह, दशई चौधरी, भगवान सिंह कुशवाहा और एक्स एमुी अली अशरफ फातमी महासचिव बनाये गये हैं। कहकशां परवीन, रामकुमार शर्मा, गुलाम रसूल बलियावी, धनंजय सिंह, एमएलसी अफाक अहमद खान, कपिल हरिश्चंद्र पाटिल, एक्स एमएलए राजीव रंजन (प्रवक्ता), कमर आलम, सुनील कुमार, हर्षवर्द्धन सिंह एवं राज मान सिंह भी महासचिव हैं। विद्यासागर निषाद, रवींद्र प्रसाद सिंह, रंजन प्रसाद, संजय वर्मा, अनूप पटेल, दयानंद राय एवं संजय कुमार राष्ट्रीय सचिव हैं।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य
एमपी बशिष्ठ नारायण सिंह, बिहार के मिनिस्टर बिजेंद्र प्रसाद यादव, विजय कुमार चौधरी, अशोक चौधरी, श्रवण कुमार, लेशी सिंह, मदन सहनी, शीला मंडल, जयंत राज, सुनील कुमार, मो. जमा खान एवं रत्नेश सदा व विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया है।पार्टी के सभी सांसद राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदेन सदस्य बनाये गएये हैं। जदयू के सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष के अलावा कई एक्स एमएलए, एक्स एमपी और एक्स मिनिस्टर राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य होंगे।

नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने के बाद भी हरिवंश बने हुए राज्यसभा के डिप्टी स्पीकर
बिहार में नीतीश कुमार पिछले साल ही एनडीए की बजाय महागठबंधन के सीएम बन चुके हैं। इसके बाद भी राज्यसभा के डिप्टी स्पीकर हरिवंश नारायण सिंह ने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है। यही नहीं पार्टी की लाइन से इतर वह इस पद पर बने हुए हैं। संसद भवन का उद्घाटनका जेडीयू ने बहिष्कार किया था। लेकिन राज्यसभा उपसभापति के नाते हरिवंश समारोह में पहुंचे थे।  
हरिवंश नहीं देंगे इस्तीफा; बने रहेंगे राज्यसभा के उपसभापति
बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने के जनता दल (यूनाइटेड) के फैसले ने न केवल बिहार में राजनीतिक समीकरण को बदल दिया, बल्कि पटना से लेकर दिल्ली तक के सियासी गलियारों में सरगर्मी बढ़ा दी है। लगातार यह चर्चा हो रही है कि क्या राज्यसभा के उपसभापति और जेडीयू एमपी हरिवंश अपने पद पर बने रहेंगे या इस्तीफा देने जा रहे हैं। पिछले साल ही  हरिवंश के एक करीबी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि जेडीयू नेता एक संवैधानिक पद पर हैं और जो लोग इस तरह के पद पर बैठे हैं वे अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान किसी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं होते हैं। उन्होंने कहा, "उन्हें इस्तीफा क्यों देना चाहिए?"
जेडीयू ने बैठक में भी नहीं बुलाया
पटना में नीतीश कुमार द्वारा नौ अगस्त 2022 को बुलाई गई जेडीयू की बैठक में हरिवंश के शामिल नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर राज्यसभा के उपसभापति के सहयोगी ने कहा, "उन्हें बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था। इसलिए वह वहां नहीं गए थे, लेकिन नीतीश कुमार के लिए उनके मन में बहुत सम्मान है।" हालांकि दो माह पूर्व नीतीश कुमार से सीएम आवास में हरिवंश की मुलाकात हुई थी।हरिवंश को 8 अगस्त, 2018 को राज्यसभा के उपसभापति के रूप में चुना गया था। 14 सितंबर, 2020 को संसद के ऊपरी सदन में अपने दूसरे कार्यकाल के लिए लौटने के बाद उन्हें राज्यसभा के उपसभापति के रूप में फिर से चुना गया था। 
संवैधानिक होता है उपसभापति का पद
राज्यसभा के एक पूर्व महासचिव ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उपसभापति, अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद संवैधानिक होता है। देश या राज्य या किसी भी राजनीतिक दल की राजनीतिक स्थिति में बदलाव के बावजूद उनके प्रभाव में कोई परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए।  उन्होंने कहा, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी पार्टी सत्ता में है या विपक्ष में। संवैधानिक पद पर ऐसे लोग सदन के नियम का पालन करने के लिए बाध्य हैं और संविधान उनके लिए सर्वोच्च होना चाहिए। मेरा मानना है कि राज्यसभा के उपसभापति का पद गैर-राजनीतिक है।" 

ऐसे कई  कई उदाहरण
एक उदाहरण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रोफेसर पीजे कुरियन (कांग्रेस) 21 अगस्त 2012 को राज्यसभा के उपसभापति चुने गए थे और वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में सरकार बदलने के बावजूद एक जुलाई 2018 तक अपने पद पर बने रहे। इसके अलावा उन्होंने कहा, "नजमा हेपतुल्ला (कांग्रेस) 18 नवंबर, 1988 से 4 जुलाई, 1992, फिर 10 जुलाई 1992 से 4 जुलाई 1998 और 9 जुलाई 1998 से 10 जून 2004 तक राज्यसभा की उपसभापति रहीं। इस बीच 4 मौकों पर सरकार बदली, लेकिन वह उपसभापति के रूप में अपने कार्यालय में बनी रहीं।”उन्होंने आगे कहा कि माकपा नेता सोमनाथ चटर्जी 4 जून 2004 को 14वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए थे। माकपा केंद्र में तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार की सहयोगी थी। भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के मुद्दे पर माकपा ने जुलाई 2008 में सरकार से समर्थन वापस ले लिया। हालांकि, चटर्जी ने लोकसभा अध्यक्ष का पद संभालना जारी रखा।