चार भाई बहन हैं धनबाद डीसी माधवी मिश्रा , तीन आइएएस व एक आइपीएस 

2015 बैच की आईएएस अफसर माधवी मिश्रा को धनबाद का डीसी बनाया गया है। माधवी मिश्रा मूल रूप से उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ की हैं।इनके पिता अनिल मिश्रा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के मैनेजर पद से रिटायर ऑफिसर हैं। माधवी कुल चार भाई बहन हैं, जिनमें तीन आइएएस व एक आइपीएस अफसर हैं।

चार भाई बहन हैं धनबाद डीसी माधवी मिश्रा , तीन आइएएस व एक आइपीएस 
एक ही फैमिली में तीन IAS- एक IPS।

धनबाद। 2015 बैच की आईएएस अफसर माधवी मिश्रा को धनबाद का डीसी बनाया गया है। माधवी मिश्रा मूल रूप से उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ की हैं।इनके पिता अनिल मिश्रा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के मैनेजर पद से रिटायर ऑफिसर हैं। माधवी कुल चार भाई बहन हैं, जिनमें तीन आइएएस व एक आइपीएस अफसर हैं।

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पूरे प्रतापगढ़ में मिश्रा परिवार फेमस है। कई बार नेशनल और लोकल मीडिया में चारों भाई - बहन की सफलता की कहानी आने के बाद हर कोई इस परिवार पर गर्व करता है। चार भाई बहन में सबसे बड़ी क्षमा मिश्रा हैं जो आईपीएस अफसर हैं और फ़िलहाल कर्नाटका में एसपी के पद पर पदस्थापित हैं। उसके बाद योगेश मिश्रा का नंबर है जो आईएएस अफसर हैं और फ़िलहाल उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर में ही पोस्टेंड हैं। उसके बाद माधवी मिश्रा का नंबर है। सबसे छोटे हैं लोकेश मिश्रा हैं, जो झारखंड में ही आइएएस हैं।
2014 से फैमिली में शुरू हुई खुशियों की बारिश
अनिल मिश्रा की फैमिली में वर्ष 2014 से खुशियों की बारिश शुरू हुई। इस वर्ष योगेश मिश्रा जो नोएडा में कम्प्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे उन्होंने यूपीएससी सीएसई को पास कर लिया। उनकी 62वीं रैंक आई थी। योगेश ने बताया, हम सभी अपने पैतृक गांव लालगंज में रहकर ही 12वीं तक पढ़ाई की। उसके बाद वो मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान बीटेक करने इलाहाबाद चले गये। वहीं सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब मिल गई और नोएडा चला गया। नौकरी करने के साथ - साथ वे यूपीएससी की तैयारी भी करने लगे और 2014 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। उसके बाद 2015 में एक साथ दो - दो खुशियां एक साथ आई। इस साल सबसे बड़ी बहन क्षमा मिश्रा यूपीएससी पास की और आईपीएस बनीं साथ ही माधवी मिश्रा भी यूपीएससी पास की और आईएएस बनीं।

क्षमा ने गांव में रह कर एमए तक की पढ़ाई की

 क्षमा ने गांव में रह कर एमए तक की पढ़ाई की। उसके बाद 2006 में उनकी शादी पड़ोसी गांव के सुधीर से हो गई, जो उत्तराखंड में जिला आपूर्ति अधिकारी हैं। उन्होंने पत्नी को आगे की पढ़ाई जारी रखी। क्षमा का भी आईपीएस में सिलेक्शन हो गया। अनिल मिश्रा दूसरी बेटी माधवी लालगंज से ही ग्रैजुएशन करने के बाद इकोनॉमिक्स से पोस्ट ग्रैजुएशन करने के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी चली गईं। वहां पढ़ाई पूरी होने के बाद वह जेएनयू से रिसर्च करने के लिए दिल्ली में रहने लगीं। वर्ष 2016 में उनका भी आईएएस में सिलेक्शन हो गया। अब रह गए सबसे छोटे बेटे लोकेश मिश्रा। उन्होंने ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कैमिकल में इंजीनयरिंग करने के बाद राजस्थान के कोटा में एक फर्टिलाइजर कंपनी में नौकरी कर ली। वह भी 2015 में पीसीएस क्वालीफाई कर बीडीओ बन गए। उन्होंने बाद में सिविल सेवा की परीक्षा दी और वर्ष 2016 में ही वह भी आईएएस बन गये।

घर में मेहमान आते थे तो पढ़ाई हो जाती थी बाधित 
चारों भाई –बहन आपस में एक दो साल ही छोटे बड़े हैं। माधवी बताती हैं कि उनके बड़े भाई हमेशा से हम भाई-बहनों को एक साथ ले कर चलने वालों में से हैं। हम दो कमरों के मकान में रहते थे, जब कोई मेहमान आ जाता था तो सबसे ज्यादा हमारी पढ़ाई ही डिस्टर्ब होती थी लेकिन भैया उसे भी मैनेज करते थे। उन्होंने हमेशा हम सभी भाई, बहनों को आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
रक्षाबंधन में निराश बहन को देखकर भाई योगेश ने शुरू की थी तैयारी 
एक इंटरव्यू में योगेश मिश्रा ने बताया कि एक बार रक्षाबंधन में वह अपनी बहन के पास राखी बंधवाने गए तो देखा दोनों बहन निराश होकर बैठी हैं। कारण था एक दिन पहले ही यूपीएससी का परिणाम आना जिसमें दोनों बहन का नहीं हुआ था। तभी योगेश ने ठाना कि पहले वह खुद यूपीएससी परीक्षा पास करेंगे उसके बाद बहन को भी मोटिवेट करके यूपीएससी पास करवाएंगे और हुआ भी वही. 2014 में पहले योगेश ने परीक्षा पास किया उसके बाद 2015 में दोनों बहन क्षमा और माधवी ने परीक्षा पास की।