एमपी: पिता ने बेटे को 105 किमी साइकिल पर बैठाकर परीक्षा सेंटर पहुंचाया, पढ़ाई का खर्च उठायेंगे आनंद महिंद्रा

मध्य प्रदेश के धार जिले के बयडीपुरा गांव का 38 वर्षीय शोभाराम ने अपने बेटे आशीष की एग्जाम के डेट से एक दिन पहले लगभग तीन-चार दिन के खाने-पीने के सामग्री के साथ सफर शुरू किया। सही समय पर दूसरे दिन सुबह धार टाउन स्थित भोज गर्ल्स स्कूल में बने एग्जाम सेंटर पर अपने बेटे को एग्जाम देने के लिए पहुंचा दिया। बिजनसमैन आनंद महिंद्रा ने ट्वीट कर इस मजदूर के हिम्मत को सलाम करते हुए बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाने की बात भी कही है। 

एमपी: पिता ने बेटे को 105 किमी साइकिल पर बैठाकर परीक्षा सेंटर पहुंचाया, पढ़ाई का खर्च उठायेंगे आनंद महिंद्रा

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के धार जिले के बयडीपुरा गांव का गरीब एवं अनपढ़ मजदूर शोभाराम ने अपने बेटे आशीष को 10वीं बोर्ड की पूरक परीक्षा दिलाने के लिए 105 किलोमीटर दूर परीक्षा सेंटर में साइकिल पर बैठाकर पहुंचाया। बिजनसमैन आनंद महिंद्रा ने ट्वीट कर इस मजदूर के हिम्मत को सलाम करते हुए बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाने की बात भी कही है। 


शोभाराम की फोटो  वायरल हुई तो सैकड़ों लोगों ने उनके जज्बे की तारीफ की। अब इंड्रलिस्ट आनंद महिंद्रा ने कहा है कि वो उनके बेटे की पढ़ाई का खर्च उठायेंगे। सोशल मीडिया पर लोग महिंद्रा के इस कदम की सरहाना कर रहे हैं। वहीं अशीष के पिता ने भी उनका आभार जताया है।आनंद महिंद्रा ने ट्विटर पर एक स्टोरी शेयर करते हुएर लिखा,कि इस पिता को सलाम! जो अपने बच्चों के लिए सुनहरे भविष्य का सपना देखते हैं। यही ख्वाब एक देश को आगे बढ़ाते हैं। हमारी संस्था आशीष की आगे की पढ़ाई का खर्च उठायेंगी।’ इसके लिए उन्होंने जर्नलिस्ट से इस परिवार से संपर्क करवाने की गुजारिश की है। महिंद्रा के ट्वीट को अभी तक 50 हजार लाइक्स और लगभग आठ हजार री-ट्वीट मिल चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण पिछले कई महीनों से बस सर्विस बंद हैं। शोभाराम के पास अपने बेटे को एग्जाम सेंटर ले जाने के लिए साइकिल के अलावा कोई अन्य साधन नहीं था। पैसे की तंगी के कारण न ही वह टैक्सी या अन्य कोई साधन अपने बेटे को मुहैया करवा सकता था।माध्यमिक शिक्षा मण्डल की 2020 एग्जाम में फेल हुए स्टूडेंट के लिए 'रुक जाना नहीं' योजना लागू की गई है। इस योजना में फेल स्टूडेंट को फिर से एग्जाम देने का अवसर दिया गया है। पूरक परीक्षा का केंद्र पूरे जिले में केवल धार ही बनाया गया था। 

शोभाराम अपने बेटे को पूरक परीक्षा दिलाने के लिए साइकिल से बयडीपुरा से धार लगभग 105 किलोमीटर दूर लाया। शोभाराम का कहना है कि बेटे का एक साल बर्बाद न हो जाए, इसलिए उसे साइकिल से एग्जाम दिलाने लाया। उसकी जिंदगी बनाने के लिए लाया ताकि थोडा पढ़-लिख जाए। उन्होंने कहा कि 17 अगस्त की रात लगभग 12 बजे वह गांव से धार के लिए बेटे को लेकर निकले थे। रास्ते में कई मुश्किलें आई, लेकिन 18 अगस्त को सुबह 7.45 मिनट पर बेटे को एग्जाम सेंटर पर पहुंचा दिया।
आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त बृजेश कुमार पांडे ने ने शोभाराम के बेटे आशीष परेशानी को संज्ञान लिया।  धार जिला प्रशासन ने शोभाराम एवं उसके बेटे आशीष के लिए 24 अगस्त तक धार में एक आदिवासी हॉस्टल में ठहरने एवं भोजन का बंदोबस्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि डिपार्टमेंट उनको गांव वापस भेजने के लिए वाहन का भी बंदोबस्त करेगा। वे अब साइकिल से वापस अपने गांव नहीं जायेंगें।