दिल्ली में दौड़ी ड्राइवरलेस मेट्रो, PM नरेंद्र मोदी ने दिखाई हरी झंडी,नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड का भी शुभारंभ

पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली में देश की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो को वीडियो कांफ्रेसिंग से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसके साथ ही 37 किलोमीटर लंबी मेजेंटा लाइन पर बोटेनिकल गार्डन से जनकपुरी पश्चिम के बीच पटरी पर ड्राइवरलेस मेट्रो दौड़ने लगी।

दिल्ली में दौड़ी ड्राइवरलेस मेट्रो, PM नरेंद्र मोदी ने दिखाई हरी झंडी,नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड का भी शुभारंभ

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली में देश की पहली ड्राइवरलेस मेट्रो को वीडियो कांफ्रेसिंग से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसके साथ ही 37 किलोमीटर लंबी मेजेंटा लाइन पर बोटेनिकल गार्डन से जनकपुरी पश्चिम के बीच पटरी पर ड्राइवरलेस मेट्रो दौड़ने लगी।

पीएम ने नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) का भी शुभारंभ किया। इसका इस्तेमाल एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर होगा।नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड से मेट्रो में सफर के एक नये युग की शुरुआत हो गई है। इस कार्ड के जरिये देशभर में कहीं भी सफर करने के दौरान खरीदारी भी कर सकते हैं।
 ‘ड्राइवरलेस ट्रेन DMRC के लिए एक प्रमुख तकनीकी मील का पत्थर’

ड्राइवरलेस ट्रेन ट्रेनें पूरी तरह से स्वचालित होंगी, जिन्हें न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होगी और मानव त्रुटियों की संभावनाओं को समाप्त कर देगी। दिल्ली मेट्रो यात्री सुविधा के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान पेश करने में अग्रणी रही है और यह उसी दिशा में एक और कदम है।एक बार जब ड्राइवरलेस गाड़ियों को पिंक लिंक पर भी परिचालन किया जाता है, तो दिल्ली मेट्रो की चालक रहित नेटवर्क लंबाई लगभग 94 किमी होगी, जो दुनिया के कुल ड्राइवरलेस मेट्रो नेटवर्क का लगभग नौ परसेंट होगी।
ड्राइवरलेस ट्रेन मेंट्रो में छह कोच

छह कोच वाली ड्राइवरलेस ट्रेन कई उन्नत सुविधाओं से लैस है। प्रारंभ में ड्राइवरों को ट्रेनों के संचालन के लिए प्रतिनियुक्त किया जाएगा, लेकिन उन्हें धीरे-धीरे उनहें हटा लिया जायेगा।पूरे देश में मेट्रो रेल के परिदृश्य में पिछले छह वर्षों में बड़े पैमाने पर परिवर्तन हुआ है। डीएमआरसी के बयान के अनुसार, 2014 में पांच शहरों में केवल 248 किमी मेट्रो लाइनें चालू थीं, वर्तमान में 702 किमी के साथ यह भारत के 18 शहरों में चालू हैं।आने वाले दिनों में, एक हजार किलोमीटर से अधिक नई लाइनें जोड़ी जायेगी। देश के लगभग 27 शहरों में मेट्रो कनेक्टिविटी होगी। 2022 तक जब देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनायेगा, तब भारत का एक संयुक्त मेट्रो नेटवर्क होगा। जोकि एक हजार किलोमीटर जो पर डे एक करोड़ से अधिक पैसेंजर्स को ले जायेगा।

दिल्ली की एक और उपलब्धि, पहली ड्राइवरलेस मेट्रो चलाने वाले शहर में दर्ज हुआ नाम: पीएम
दिल्ली में पहली ड्राइवरलेस मेट्रो के वर्जुअल उद्घाटन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि राजधानी दिल्ली में ऐसी चीजें इसे अपने आप में खास बनाती है। दिल्ली एक प्रमुख वैश्विक वित्तीय और सामरिक शक्तियों की राजधानी है। इस वजह से दिल्ली की दुनिया में अलग पहचान है। दिल्ली में पहली ड्राइवरलेस मेट्रो का चलना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। इस तरह की चीजों को देखकर ये अहसास हो रहा है कि देश लगातार तकनीक के मामले में तरक्की कर रहा है। इसके नजारे देखने को मिल रहे हैं। 

2025 तक हम मेट्रो सेवा को 25 से अधिक शहरों में ले जायेंगे: मोदी
उन्होंने कहा कि देश की 130 करोड़ से अधिक की आबादी है। हम सब मिलकर काम करते रहेंगे और दिल्ली के लोगों के जीवन को बेहतर और उन्नत बनायेंगे। देश को दुनिया के सामने अपनी एक अलग और महत्वपूर्ण पहचान बनानी है, दुनिया के सामने देश के कुछ राज्य अपने यहां पैदा की जाने वाली चीजों की वजह से खास पहचान बनाए हुए हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, गुजरात, यूपी इन सभी की अलग-अलग पहचान है। ये सभी राज्य तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं।
मोदी ने कहा किदेश में सबसे पहले मेट्रो की शुरुआत अटल जी के प्रयासों से हुई थी। वर्ष 2014 में हमारी सरकार का गठन हुआ था, तब केवल पांच शहरों में मेट्रो सेवाएं थीं।आज 18 शहरों में मेट्रो रेल सेवा है। 2025 तक हम इस सेवा को 25 से अधिक शहरों में ले जायेंगे। लगभग 1700 मिलोमीटर नेटवर्क होगा।

अलग-अलग तरह के मेट्रो नेटवर्क विकसित करने पर काम

मोदी ने कहा कि देश तेजी से स्मार्ट सिस्टम की तरफ आगे बढ़ रहा है। पिछले साल अहमदाबाद से एनसीएमसी कार्ड शुरू हुआ। अब दिल्ली मेट्रो में भी इससे जुड़ रही है।ये सिलसिला लगातार आगे बढ़ता रहेगा। मेट्रो के अलावा एनएचएआइ भी हाइवे को बनाने में लगा हुआ है। अब कई घंटों का सफर कुछ सीमित समय में सिमट गया है। व्यापार को बढ़ावा देने के लिए व्यासायिक कॉरिडोर का भी निर्माण किया जा रहा है। इसके फायदे आने वाले कुछ सालों में मिलने लगेंगे।उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया जहां चालक रहित मेट्रो की सुविधा है। इसके बाद देश के लोगों को लाइट, नियो व वाटर मेट्रो की सुविधा भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि अलग-अलग शहरों की आबादी, उसकी जरूरत व लोगों की व्यवसायिक जीवनशैली को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग तरह के मेट्रो नेटवर्क विकसित करने पर काम चल रहा है। 

आत्मनिर्भर भारत  बनाने की दिशा में कदम

पीएम ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत  बनाने की दिशा में कदम उठाये जा रहे हैं। सरकार स्टार्टअप शुरू करने वालों को शुरू से ही बढ़ावा देने की बात कह रही है। इसी दिशा में तमाम योजनाएं बनाई गई, उन पर अमल करवाया जा रहा है। इन कामों की मानीटरिंग की जा रही है। युवाओं के देश में हम आत्मनिर्भर बनने की ओर आगे बढ़ रहे हैं। जो प्रतिभाएं अच्छे सेलरी पैकेज और माहौल के लिए दूसरे देश चली जाती थीं अब उनको वो माहौल और अन्य चीजें देश में ही देने का प्रयास किया जा रहा है जिससे देश तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ता जाए।  
शहरों की जरूरत के अनुसार डेवलप किये जा रहे हैं अलग-अलग तरह के मेट्रो नेटवर्क
उन्होंने कहा कि भविष्य की जरूरतों के लिए देश को आज तैयार करना सरकार का अहम दायित्व है। पहले भविष्य की जरूरतों की तरफ उतना ध्यान नहीं दिया गया थे। आधे अधूरे मन से काम होता था। उस समय शहरीकरण के बाद के प्रभाव से निपटने के लिए शहरों को तैयार नहीं किया गया। लिहाजा, देश के कई हिस्सों में शहरी बुनियादी ढांचे की मांग और पूर्ति में बहुत ज्यादा अंतर आ गया। वर्तमान सेंट्रल गवर्नमेंट ने आधुनिक सोच के जरिये शहरीकरण को चुनौती न मानकर एक अवसर के रूप में इस्तेमाल किया। ताकि बेहतर बुनियादी ढांचा विकसित हो सके और लोगों का जीवन आसान बनाया जा सके।यही वजह है कि वर्ष 2014 तक मेट्रो का नेटवर्क जहां पांच शहरों में 248 किलोमीटर तक सिमित था। वहीं, अब 18 शहरों में 702 किलोमीटर मेट्रो का नेटवर्क है। वर्ष 2014 के मुकाबले अब मेट्रो में प्रतिदिन पांच गुना अधिक 85 लाख लोग सफर करते हैं। सरकार ने मेट्रो नीति तैयार कर उसे देश भर में चौतरफा लागू किया। स्थानीय जरूरतों, मेक इन इंडिया के विस्तार और आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल पर जोर दिया गया। सिर्फ एक ही मॉडल पर मेट्रो का विकास होता तो तेजी से नेटवर्क में विस्तार संभव नहीं था। इसलिए अगल-अलग तरह की मेट्रो परियोजनाओं पर काम हो रहा है।

रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम से दिल्ली व मेरठ की दूरी एक घंटे भी कम समय में
मोदी ने कहा कि आरआरटीएस (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) से दिल्ली व मेरठ की दूरी एक घंटे भी कम समय में तय की जा सकेगी। कम यात्रियों की संख्या वाले शहरों में मेट्रो लाइट के विकास पर काम चल रहा है, जो सामान्य मेट्रो से 40 फीसद कम खर्च में तैयार हो जाता है। छोटे शहरों में जहां पैसेंजर्स की संख्या ज्यादा कम है वहां नियो मेट्रो का नेटवर्क विकसित होगा, जो सामान्य मेट्रो के 25 परसेंट लागत पर ही तैयार हो जायेगा। अर्थात 75 फीसद खर्च की बचत। जिन शहरों में बड़े जलाशय हैं वहां वाटर मेट्रो की सुविधा विकसित करने पर काम चल रहा है। ताकि उन शहरों के द्वीपों के लोगों को गंतव्य तक बेहतर परिवहन सुविधा मिल सके। कोच्ची में वाटर मेट्रो पर तेजी से काम हो रहा है।

स्वदेशी तकनीक से मेट्रो कोच के निर्माण पर लागत हुआ कम 
पीएम ने कहा कि मेट्रो सिर्फ सुविधा संपन्न परिवहन का माध्यम भर नहीं है। यह प्रदूषण कम करने का भी जरिया है। इससे सड़कों पर हजारों वाहन कम हुए हैं। मेक इंन इंडिया को बढ़ावा मिलने से मेट्रो कोच के निर्माण पर लागत 12 करोड़ से घटकर आठ करोड़ हो गई है। अब देश में ही चार बड़ी कंपनियां मेट्रो कोच का निर्माण कर रही हैं।एक राष्ट्र, एक मोबिलिटी कार्डएनसीएमसी को आने वाले समय में देश भर में मेट्रो, बस सहित सभी सावर्जनिक परिवहन में किराया भुगतान के लिए लागू किया जाएगा। इसलिए एक राष्ट्र, एक मोबिलिटी कार्ड पर काम चल रहा है। इससे लोगों को टोकन व टिकट के लिए लाइन में लगने की जरूरत नहीं पड़ेगी।