धनबाद:  मजदूर नेता सूर्यदेव सिंह की 30  पुण्‍यत‍िथ‍ि पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि,लगाये गये 1000 पौधें

झरिया कतरास मोड़ जनता मजदूर संघ कार्यालय में मंगलवार को झरिया के एक्स एमएलए सह जनता मजदूर संघ के संस्थापक सूर्यदेव सिंह की 30वीं पुण्यतिथि मनायी गयी। पुण्यतिथि के दौरान कार्यालय में अखंड हरि कीर्तन किया गया। वही इस दौरान लोगों ने पेड़-पौधे भी लगाये गये।

धनबाद:  मजदूर नेता सूर्यदेव सिंह की 30  पुण्‍यत‍िथ‍ि पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि,लगाये गये 1000 पौधें

धनबाद। झरिया कतरास मोड़ जनता मजदूर संघ कार्यालय में मंगलवार को झरिया के एक्स एमएलए सह जनता मजदूर संघ के संस्थापक सूर्यदेव सिंह की 30वीं पुण्यतिथि मनायी गयी। पुण्यतिथि के दौरान कार्यालय में अखंड हरि कीर्तन किया गया। वही इस दौरान लोगों ने पेड़-पौधे भी लगाये गये।

जमसं कार्यालय में स्व. सूर्यदेव सिंह की पत्नी एक्स एमएलए क कुंती देवी, संजीव सिंह की पत्नी सह बीजेपी लीडर रागिनी सिंह, सिद्धार्थ गौतम, एमपी पीएन सिंह,  निरसा एमएलए अपर्णा सेन गुप्ता, धनबाद एमएलए राज सिन्हा व एक्स मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल,सहित परिवार के लोगों ने मजदूर नेता की फोटो पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।  

कोरोना गाईडलाइन का पलान करते हुए दी गयी श्रद्धाजंलि

झरिया के कतरास मोड़ में हर वर्ष 15 जून को सूर्यदेव सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर लोगों का हुजूम लगा रहता था। सैंकड़ों लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था किया जाता था। वह कोरोना माहमारी के कारण पिछले दो पुण्य तिथि पर कतरास मोड़ स्थित सूर्यदेव सिंह की प्रतिमा में श्रद्धांजलि देने वालों की संख्या कम रहती है।  मजदूर व कार्यकर्ताओं ने आज भी सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करते हुए फोटो में श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धाजंलि दिया।

बीजेपी लीडर रागिनी सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण दो बार से सादगी से पुण्यतिथि मनाया जा रहा है। पिछले 28 साल से लगातार मजदूर भाई यहां आकर भोजन करते थे। कोरोना महामारी को लेकर शारीरिक दूरी का पालन करते हुए अपने अपने कार्यालय में पुण्यतिथि बनाया गया है। उन्हें पेड़ पौधे से काफी लगाव था। इसी लिए इस वर्ष सभी लोगों ने अपने अपने कार्यालयों में पेड़-पौधे लगाये है। हमारा लक्ष्य एक हजार पेड़ पौधे लगाने का था जो पूरा हुआ है। जिस तरह मजदूरों की सेवा हमारा परिवार करता आ रहा है वह आगे भी कायम रहेंगा। झरिया वासियों की रह दुख में हमारा परिवार उसके साथ खड़ा है।

मौके पर अखिलेश सिंह, नितिन भट्ट, मानस प्रसून, उमेश यादव, राजकिशोर जेना, शैलेश सिंह चंद्रवशी, नौशाद खान, बबलू फरीदी, संतोष शर्मा, अरुण साव, सुजीत सिन्हा, स्वरूप भट्टाचार्य, उपेंद्र विश्वकर्मा, अरिंदम बनर्जी, जेएन सिंह, प्रदीप सिन्हा, हरेराम सिंह, छोटू सिंह, शैलो पासवान, रघु राम, बिहारी राम, अजित महतो, रंजय सिंह, मनोज मालाकार, शशि सिंह आदि उपस्थित थे।

14 वर्ष की उम्र में कोयलांचल आये थे सूर्यदेव सिंह,वर्ष 1977 से 1991 तक लगातार बने रहे झरिया के एमएलए

यूपी के बलिया जिले के ग्रामीण इलाके से से निकल 14 वर्ष की उम्र में सूर्यवेद सिंह रोजगार की तलाश में कोयलांचल पहुंचे। एक ही दशक में वह लोगों के प्रिय व मजदूरों के मसीहा बन गये। कोयलांचल की राजनीति दिल्ली की गलियों तक इनकी धाक चुकी थी। जिंदगी में किसी से कभी भी हार नही मानने वाले सूर्यदेव सिंह भी 1991 में जिंदगी से हार गये। सूर्यदेव सिंह 1991 में बिहार के आरा से लोक सभा का चुनाव लड़े थे। उसके बाद अपने गृहक्षेत्र बलिया जिले के गोनिया छपरा जा कर अपने भाई विक्रमा सिंह का लिए भी चुनाव प्रचार किया। 15 जून 1991 को हर्ट अटैक से उनका निधन हो गया।
पहलवान से लेकर झरिया एमएलए बनने तक का सफर

झरिया कोयलांचल में सूर्यदेव सिंह का नाम आज भी विधायक जी के नाम से बड़े आदर के साथ लिया जाता है। सूर्यदेव सिंह ने  वर्ष 1977 से 1991 यानी 14 वर्षों तक लगातार झरिया के एमएलए के रूप में यहां के लोगों की सेवा की। वर्ष 1939 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिला अंतर्गत गोन्हिया छपरा गांव के एक किसान घर में जन्मे सूर्यदेव सिंह की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। 1961 में युवा गठीला बदन का सूर्यदेव काम की तलाश में गांव से झरिया आये। यहां एक पहलवान के रूप में अपनी पहचान बनाई। मजदूर संगठन से जुड़ कर झरिया के कोयला मजदूरों की सेवा में जुट गये। 1970 के दशक में झरिया के विधायक रहते हुए सूर्यदेव सिंह ने झरिया के कोयला मजदूरों की सेवा के लिए जनता मजदूर संघ का गठन किया। इसके माध्यम से वे मजदूरों की समस्याओं को लेकर हमेशा लड़ते रहे। उन्हें उनका हक दिलाया।  कुछ वर्षों में ही मजदूर नेता के रूप में अपनी कार्यकुशलता से सबका दिल जीत लिया। मजदूरों और यहां के लोगों के दिलों में ऐसी पहचान बनाई कि जीवन के अंतिम समय तक झरिया के एमएलए बने रहे।
झरिया और इसके आसपास क्षेत्रों में जब भी आपसी सौहार्द बिगड़ा तो सूर्यदेव सिंह आगे आकर हिंदू, मुस्लिम, सिख ईसाई सभी लोगों को एकजुट कर सांप्रदायिक सौहार्द को कायम किया। 1984 में सिखों पर जब अत्याचार हुआ तो उन्होंने सड़क पर आ कर उनकी रक्षा की।  सिंदरी में जब बाहरी-भीतरी को लेकर बवाल हुआ तो वहां पहुंचकर उसे शांत किया। झरिया में जब भी हिंद- मुस्लिम एकता पर आंच आई तो वे सभी धर्म के लोगों को एकजुट कर एकता की मिसाल पेश की।
सूर्यदेव के बाद उनके अनुज बच्चा सिंह, पत्नी कुंती देवी व पुत्र संजीव बने झरिया एमएलए

झरिया एमएलए सूर्यदेव सिंह का लोकसभा चुनाव के दौरान वर्ष 1991 में आरा में हर्ट अटैक होने  से निधन हो गया। इसके बाद उनके अनुज बच्चा सिंह झरिया एमएलए बने। बच्चा सिंह अलग झारखंड राज्य बनने के बाद मिनिस्ट बने। इसके बाद स्व सूर्यदेव की पत्नी कुंती देवी और पुत्र संजीव सिंह झरिया के एमएलए बने। अभी उनके भतीजे  दिवंगत नीरज सिंह की पत्नी  पूर्णिमा नीरज सिंह झरिया की एमएलए है।कोयलांचल में आज भी जनता मजदूर संघ के प्रति हजारों मजदूरों की आस्था है। अभी कुंती देवी जमसं की महामंत्री हैं। जमसं के दूसरे गुट की कमान उनके अनुज बच्चा सिंह के हाथ में है।