धनबाद: झरिया में बेटी के सामने ही जमींदोज हो गई मां, शावल मशीन से निकाली गयी बॉडी

बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया के अग्नि व भू धंसान प्रभावित विश्वकर्मा प्रोजेक्ट के समीप शुक्रवार की सुबह शौच के लिए गई कल्याणी देवी(35) जमींदोज हो गई। शावल मशीन से जमींदोज हुई कल्याणी देवी की बॉडी निकाली गयी।

धनबाद: झरिया में बेटी के सामने ही जमींदोज हो गई मां, शावल मशीन से निकाली गयी बॉडी
  • अग्नि व भू धंसान प्रभावित विश्वकर्मा प्रोजेक्ट के समीप शौच के लिए गई थी कल्याणी 

धनबाद। बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया के अग्नि व भू धंसान प्रभावित विश्वकर्मा प्रोजेक्ट के समीप शुक्रवार की सुबह शौच के लिए गई कल्याणी देवी(35) जमींदोज हो गई। शावल मशीन से जमींदोज हुई कल्याणी देवी की बॉडी निकाली गयी। लोगों का कहना है कि जमींदोज होने के बाद महिला का शरीर जला नहीं था। जहरीले गैस की वजह से उसकी मौत हुई होगी। 

इंडस्ट्री कोलियरी गोरखपुरिया धौड़ा निवासी दिहाड़ी मजदूर दिलीप बाउरी  की पत्नी कल्याणी अपने सात साल की बेटी कोमल कुमारी के साथ शौच के लिए गयी थी। अचानक जमीन धंसी और कल्याणी अंदर जाने लगी। मां को जमीन के अंदर जाते देखकर बेटी रोते हुए शोर मचाने लगी। तब तक कल्याणी डेढ़ फीट के  जमीन में बने व्यास में काफी अंदर चली गई थी। वहां से गैस का रिसाव भी होने लगा। महिला के जमींदोज होने खबर मिलते ही लोगों की भीड़ जुटने लगी।  मौके पर आजाद भुइयां ने महिला को बचाने का प्रयास किया,लेकिन सफलता नहीं मिली। 
महिला के जमींदोज होने की जानकारी मिलते ही झरिया पुलिस और कुसुंडा एरिया से सीआईएसएफ के जवान मौके पहुंचे। घटना के दो घंटे तक बीससीएल के कोई अफसर मौके पर नहीं पहुंचे थे। लोकल लोगों ने राहत  व बचाव कार्य की मांग  को लेकर 10 बजे बस्ताकोला गौशाला मोड के पास धनबाद - झरिया मेन रोड जाम कर दिया।

बीजेपी लीडर रागिनी सिंह मौके पर पहुंची। वह बीसीसीएल अफसरों से फोन पर बात की। इसके बाद सावेल मशीन आया और ऑपरेटर ने एक घंटे की कठिन परिश्रम के बाद कल्याण का बॉडी जमीन से निकाला। रागिनी ने पीड़ित परिजनों को ढ़ाढस बंधाया।

एक्स डिप्टी मेयर एकलव्य सिंह भी मौके पर पहुंचे कर पीड़ित परिजनों से मिले। कल्याणी के सात साल की बेटी कोमल कुमारी और पांच साल की बेटी दुर्गा कुमारी है। घर से विश्वकर्मा परियोजना घटनास्थल की दूरी मात्र 40 50 फीट  है।पति दिलीप  का कहना है कि हम लोगों काफी गरीब हैं। मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं। काफी गरीब हैं। कच्चे घर में रहने को विवश हैं। बीससीएल मैनेजमेंट की लापरवाही से मेरी पत्नी की जान चली गई। डैंजर एरिया में में अगर लोहे के तार का बाड़  लगाया गया होता तो उक्त घटना नहीं  होती।