धनबाद:CIMFR मानदेय के नाम पर करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता, अफसरों पर गलत तरीके से लाखों रुपये लेने के आरोप

CIMFR (केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान) में मानदेय पेमेंट के नाम पर करोड़ों रुपये की वित्तीय गड़बडी का मामला सामने आया है। संस्थान के वेतनभोगी अफसरों ने स्वयं प्रोजेक्ट कंस्लटेंसी और टेस्टिंग के नाम पर मानदेय के रूप में करोड़ो रूपये का पेमेंट ले लिया है। 

धनबाद:CIMFR मानदेय के नाम पर करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता, अफसरों पर गलत तरीके से लाखों रुपये लेने के आरोप
  • सिम्फ़र में सीएसआइआर डीजी के पत्र से मचा हड़कंप

धनबाद। CIMFR (केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान) में मानदेय पेमेंट के नाम पर करोड़ों रुपये की वित्तीय गड़बडी का मामला सामने आया है। संस्थान के वेतनभोगी अफसरों ने स्वयं प्रोजेक्ट कंस्लटेंसी और टेस्टिंग के नाम पर मानदेय के रूप में करोड़ो रूपये का पेमेंट ले लिया है। 

सीएसआइआर के डीजी ने मामले में संज्ञान लेते हुए डायरेक्टर को पत्र लिखकर रुपये वापस करने की बात कही है। डीजी का लेटर मिलतचे ही सिंप्र डायरेक्टर व पेमेंट लेने वाले साइंटिस्टों में भी हड़कंप गया है। मामले की खुलासा करने वाले गो पीएमओ तक कंपलेन करने की तैयारी में हैं। मामले में ठोस कार्रवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट में पीआइएल दर्ज करायी जा सकती है। 

आरोप है कि पिछले फाइनेंसियल इयर में सिर्फ सिंफर डायरेक्टरके नाम मानदेय के मद में 2.16 करोड़ रूपये का पेमेंट हुआ हैं। मानदेय के नाम पर बरती अनियमितता का का मामला सामने आने के बाद वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के प्रौद्योगिकी प्रबंधन निदेशालय, सामाजिक आर्थिक मंत्रालय इंटरफेस ने अब मानदेय की राशि वापस मांगी है।

अधिकांश मामला सीएसआइआर प्रयोगशालाओं में सिफंर डायरेक्टर डॉ. प्रदीप कुमार सिंह द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं, तकनीकी सेवाओं, परामर्श आदि के लिए अर्जित धन के वितरण से संबंधित है। सीएसआइआर के अनुसार विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं, कंस्लटेंसी और टेस्टिंग कार्य के लिए मानदेय के रूप में सिंफर डायरेक्टर डॉ. प्रदीप कुमार सिंह ने वर्ष 2016 से लेकर 2021 तक में कुल 17.89 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। डायरेक्टर द्वारा जनवरी के बाद से 2.16 करोड़ का पेमेंट किया गया है। 

बीजेपी लीडर व आरटीआई एक्टिविस्ट रमेश कुमार राही ने मामले की कंपलेन सेंट्रल मिनिस्ट्री में की। उन्होंने कहा कि जब साइंटिस्ट अपने कार्यों के लिए गवर्नमेंट से वेतन एवं अन्य सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं तो उन्हें किसी कार्य के लिए मानदेय कैसे पेमेंट किया जा सकता है। यह पूरी तरह से वित्तीय गड़बड़ी का मामला है। मिनिस्टरी से आदेश मिलते ही सीएसआइआर डीजी ने राशि पेमेंट पर पहले रोक लगा दी। इस पूरे प्रकरण की जांच करने के उपरांत राशि वापस करने का आदेश दिया है।सिंफर संबंधित एजेंसियों से प्रोजेक्ट टेस्टिंग और कंस्लटेंसी के एवज में निर्धारित राशि लेती है। इसी कार्य के लिए प्रोजेक्ट में लगे साइंटिस्ट व अन्य स्टाफ को मानदेय का भुगतान किया जाता है।