अक्टूबर-नवंबर में इंडिया में पीक पर पहुंच सकती है कोरोना की थर्ड वेव, देश के साइंटिस्ट्स ने जताई आशंका

देश के कुछ साइंटिस्टस ने अक्टूबर-नवंबर में इंडिया मे कोरोना की थर्ड वेव के पीक पर पहुंचने की संभावना जताई है। देश में कोरोना के मामलों पर नजर रखने वाले एक सरकारी पैनल के साइंटिस्ट्स के अनुसार अगर कोरोना से जुड़ी सावधानियां नहीं बरती गईं तो कोरोना की थर्ड वेव अक्टूबर-नवंबर के बीच अपने पीक पर पहुंच सकती है। 

अक्टूबर-नवंबर में इंडिया में पीक पर पहुंच सकती है कोरोना की थर्ड वेव, देश के साइंटिस्ट्स ने जताई आशंका
  • सेकेंड वेव से थर्ड वेव ज्यादा खतरनाक नहीं होगी
  • अगर इस दौरान कोई नया घातक कोरोना वैरिएंट सामने आता है तो तोजी से फैल सकती है थर्ड वेव

नई दिल्ली। देश के कुछ साइंटिस्टस ने अक्टूबर-नवंबर में इंडिया मे कोरोना की थर्ड वेव के पीक पर पहुंचने की संभावना जताई है। देश में कोरोना के मामलों पर नजर रखने वाले एक सरकारी पैनल के साइंटिस्ट्स के अनुसार अगर कोरोना से जुड़ी सावधानियां नहीं बरती गईं तो कोरोना की थर्ड वेव अक्टूबर-नवंबर के बीच अपने पीक पर पहुंच सकती है। 
हालांकि, साइंटिस्ट्स ने कही है कि इस दौरान सेकेंड वेव के नये मामलों की तुलना में थर्ड वेव के नये मामले आधे रह सकते हैं।थर्ड वेव अक्टूबर और नवंबर के बीच अपने चरम पर पहुंच सकती है। इसमें 1,50,000 से 2,00,000 के बीच मामले बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि थर्ड वेव के दौरान हॉस्पीटल में एडमिट होने के मामले कम हो सकते है। साइंटिस्ट्स ने कहा कि अगर इस दौरान कोई नया घातक कोरोना वैरिएंट सामने आता है तो थर्ड वेव तेजी से फैल सकती है।
IIT कानपुर के प्रोफेसर का आकलन

आइआइटी कानपुर के प्रो.मणींद्र अग्रवाल ने गणितीय माडल सूत्र से कोरोना की थर्ड वेव की शुरुआत का आंकलन किया है। उनके अनुसार, कोरोना की थर्ड वेव में अक्टूबर के पहले सप्ताह से केस बढ़ने की आशंका है। एक नवंबर से संक्रमण की रफ्तार काफी तेज हो सकती है। 15 नवंबर तक संक्रमितों का ग्राफ नीचे आने लगेगा। प्रो.मणींद्र अग्रवाल का दावा है कि थर्ड वेव सेकेंड वेव से ज्यादा खतरनाक नहीं होगी, लेकिन सोशल डिस्टैंसिंग का पालन न करना, मास्क न पहनना और वायरस का रूप बदलकर हमला करना घातक हो सकता है। उनके आकलन के अनुसार नवंबर की शुरूआत में देश में पर डे1.80 लाख केस आयेंगे। प्रो. अग्रवाल ने फस्ट व सेकेंड वेव का सटीक आकलन किया था।
सरकारी पैनल के वैज्ञानिकों ने बताया
 एक सरकारी समिति के एक वैज्ञानिक ने कहा है कि अगर कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार का पालन नहीं किया जाता है, तो कोरोना वायरस की थर्ढ वेव अक्टूबर-नवंबर के बीच पीक पर पहुंच सकती है, लेकिन सेकेंड के दौरान दर्ज किये गये दैनिक मामलों के आधे मामले देखने को मिल सकते हैं। 'सूत्र मॉडल' या कोविड-19 के गणितीय अनुमान पर काम कर रहे मनिंद्र अग्रवाल ने यह भी कहा कि यदि वायरस का कोई नया स्वरूप उत्पन्न होता है तो थर्ड वेव तेजी से फैल सकती है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने पिछले साल गणितीय मॉडल का उपयोग कर कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि का पूर्वानुमान लगाने के लिए समिति का गठन किया था। समिति में आईआईटी कानपुर के साइंटिस्ट प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल के अलावा आईआईटी हैदराबाद के साइंटिस्ट एम विद्यासागर और एकीकृत रक्षा स्टाफ उप प्रमुख (मेडिकल) लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर भी हैं। इस समिति को कोविड की सेकेंड की सटीक प्रकृति का अनुमान नहीं लगाने के लिए भी आलोचना का सामना करना पड़ा था।

प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि थर्ड वेव का अनुमान जताते समय प्रतिरक्षा की हानि, वैक्सीनेशन के प्रभाव और एक अधिक खतरनाक स्वरूप की संभावना को कारक बताया गया है, जो दूसरी लहर की मॉडलिंग के दौरान नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि विस्तृत रिपोर्ट शीघ्र प्रकाशित की जायेगी। उन्होंने कहा, 'हमने तीन परिदृश्य बनाए हैं। एक 'आशावादी है। इसमें, हम मानते हैं कि अगस्त तक जीवन सामान्य हो जाता है। वायरस का कोई नया स्वरूप नहीं होगा। दूसरा 'मध्यवर्ती है। इसमें हम मानते हैं कि आशावादी परिदृश्य धारणाओं के अलावा वैक्सीनेशन 20 परसेंट कम प्रभावी है।अग्रवाल ने विभिन्न ट्वीट में कहा, 'तीसरा 'निराशावादी है। इसकी एक धारणा मध्यवर्ती से भिन्न है: अगस्त में एक नया, 25 प्रतिशत अधिक संक्रामक उत्परिवर्तित स्वरूप फैलता है (यह डेल्टा प्लस नहीं है, जो डेल्टा से अधिक संक्रामक नहीं है)।'अग्रवाल द्वारा साझा किए गए ग्राफ के अनुसार, अगस्त के मध्य तक दूसरी लहर के स्थिर होने की संभावना है, और तीसरी लहर अक्टूबर और नवंबर के बीच अपने चरम पर पहुंच सकती है। 
साइंटिस्ट ने कहा कि निराशावादी परिदृश्य के मामले में  थर्ड वेव में देश में रोजाना 1,50,000 से 2,00,000 के बीच मामले बढ़ सकते हैं। अग्रवाल ने कहा, 'यदि कोई नया म्यूटेंट आता है, तो थर्ड वेव तेजी से फैल सकती है। लेकिन यह सेकेंड वेव की तुलना में आधी होगी।डेल्टा स्वरूप उन लोगों को संक्रमित कर रहा है जो एक अलग प्रकार के स्वरूप से संक्रमित थे। इसलिए इसे ध्यान में रखा गया है।' उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे वैक्सीनेशन अभियान आगे बढ़ेगा, थर्ड या फोर्थ वेव की आशंका कम होगी।अग्रवाल ने कहा कि आशावादी परिदृश्य में रोजाना मामले 50000 से 100000 हो सकते हैं।
उन्होंने ब्रिटेन का उदाहरण दिया जहां जनवरी में 60,000 से अधिक मामले दर्ज किये गये थे। जिनमें प्रतिदिन मौतों का आंकड़ा 1,200 था। हालांकि, चौथी लहर के दौरान, यह संख्या घटकर 21,000 रह गई और केवल 14 मौत हुईं। विद्यासागर ने कहा, 'ब्रिटेन में हॉस्पीटल में एडमिट होने की आवश्यकता वाले मामलों को कम करने में वक्सीनेशन ने प्रमुख भूमिका निभाई।