चातुर्मास समाप्त, गूंजने लगी शहनाई, 24 नवंबर से 15 दिसंबर तक शादी विवाह के शुभ मुहूर्त

चातुर्मास समाप्त होते ही शहनाई गूंजने लगी। 24 नवंबर से 15 दिसंबर तक शादी विवाह के शुभ मुहूर्त हैं।कार्तिक शुक्ल एकादशी गुरुवार के दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागृत होते ही देवोत्थान एकादशी व तुलसी विवाह का पर्व मनाया गया। इस बार सावन माह में पुरुषोत्तम मास होने के कारण चातुर्मास की अवधि पांच महीने की हो गयी थी।

चातुर्मास समाप्त, गूंजने लगी शहनाई, 24 नवंबर से 15 दिसंबर तक शादी विवाह के शुभ मुहूर्त
  • काशी पंचांग के अनुसार 17 व मिथिला पंचांग के अनुसार 11 शुभ दिन

पटना। चातुर्मास समाप्त होते ही शहनाई गूंजने लगी। 24 नवंबर से 15 दिसंबर तक शादी विवाह के शुभ मुहूर्त हैं।कार्तिक शुक्ल एकादशी गुरुवार के दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागृत होते ही देवोत्थान एकादशी व तुलसी विवाह का पर्व मनाया गया। इस बार सावन माह में पुरुषोत्तम मास होने के कारण चातुर्मास की अवधि पांच महीने की हो गयी थी।

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विवाह, मुंडन, जेनऊ के शुभ मुहूर्त शुरू

देवोत्थान एकादशी से मांगलिक कार्य विवाह, मुंडन, जेनऊ आदि शुभ कार्य का सिलसिला शुरू हो गया। शादी विवाह का लग्न 24 नवंबर से 15 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान मिथिला पंचांग के अनुसार 11 तो बनारसी पंचांग के अनुसार 17 दिन शुभ मुहूर्त हैं।

शादी के मुहूर्त (बनारसी पंचांग और मिथिला पंचांग)

बनारसी पंचाग के अनुसार

नवंबर: 23 24, 27, 28, 29, दिसंबर: 3, 4, 5, 6, 7, 9, 10, 11, 13, 14, 15, 16 दिसंबर, बता दें कि बनारसी पंचांग को ही काशी पंचांग भी कहते हैं।

मिथिला पंचाग के अनुसार

नवंबर: 24, 27, 29, दिसंबर --3, 4, 7, 8, 10, 13, 14, 15 दिसंबर

2024 में मकर संक्रांति के बाद शादी-ब्याह का लग्न शुरू

इसके बाद अगले वर्ष 2024 में मकर संक्रांति के बाद शादी-ब्याह का लग्न शुरू होगा। यानी 2024 में भी शादी के लिए काफी शुभ दिन हैं।

शादी -ब्याह में गुरु-शुक्र व सूर्य की शुभता जरूरी

शास्त्रों में शादी विवाह के लिए शुभ मुहूर्त महत्वपूर्ण होता है। शुभ योग के लिए गुरु, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। रवि गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभ फलदायी होता है। शादी के शुभ लग्न में मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किसी एक होना जरूरी है। वहीं, नक्षत्रों में अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मघा, चित्रा, स्वाति, श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में से किसी एक का होना जरूरी माना जाता है। विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है।