बिहार: आरसीपी के स्वागत समारोह में नहीं गये उपेंद्र कुशवाहा, जेडीयू में गुटबाजी उजागर

सीएम नीतीश कुमार,ललन सिंह व आरसीपी सिंह के इंकार के बावजूद सोमवार को बिहार में जेडीयू की गुटबाजी सतह पर दिखा। सेंट्रल मिनिस्टर आरसीपी के स्वागत समारोह में कुशवाहा जेडीयू ऑफिस नहीं पहुंचे। वह जहानाबाद दौरे पर चले गये।

बिहार: आरसीपी के स्वागत समारोह में नहीं गये उपेंद्र कुशवाहा, जेडीयू में गुटबाजी उजागर

पटना। सीएम नीतीश कुमार,ललन सिंह व आरसीपी सिंह के इंकार के बावजूद सोमवार को बिहार में जेडीयू की गुटबाजी सतह पर दिखा। सेंट्रल मिनिस्टर आरसीपी के स्वागत समारोह में कुशवाहा जेडीयू ऑफिस नहीं पहुंचे। वह जहानाबाद दौरे पर चले गये।
उपेंद्र ने कहा कि गुटबाजी से किसी का भला नहीं होगा। गुटबाजी करने वाले लोग नुकसान में रहेंगे। आरसीपी सिंह के स्वागत समारोह में भाग न लेने के सवाल पर कुशवाहा ने कहा कि जदयू कार्यालय में आयोजित आरसीपी सिंह के स्वागत समारोह के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं है। न तो आरसीपी और न ही जदयू कार्यालय की ओर से उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी दी गई है। हालांकि, उन्होंने कहा कि गुटबाजी से पार्टी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इधर, आरसीपी सिंह ने पटना रवाना होने से पहले दिल्ली में कहा कि जदयू में केवल एक नेता बिहार के सीएम नीतीश कुमार हैं। बाकी सभी कार्यकर्ता हैं।

पोस्टर से शुरू हुआ विवाद

सत्ताधारी जेडीयू में गुटबाजी की शुरुआत आरसीपी की बिहार यात्रा की घोषणा के साथ ही शुरू हो गई थी। आरसीपी के स्वागत में जेडीयू ऑफिस के बाहर लगाये गये बैनर- पोस्टर से उपेंद्र कुशवाहा व नेशनल प्रसिडेंट राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह का फोटो नहीं था। हलांकि  प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने इन बैनरों को उसी समय हटवा दिया। बैनर बनवाने वाले पार्टी महासचिव अभय कुशवाहा को कार्रवाई की चेतावनी दी गई। मगर, उनके खिलाफ अबतक कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि, बाद में बनाये गये पोस्टरों में ललन सिंह की तस्वीर दी गई। उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर किसी-किसी बैनर पर है। उपेंद्र ने बैनरों पर अपनी फोटो न रहने पर कुछ नहीं कहा, लेकिन ललन सिंह की फोटोन रहने पर नाराजगी जाहिर की। कहा-यह बर्दाश्त के काबिल नहीं है।

आरसीपी को पसंद नहीं उपेंद्र

उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा का जेडीयू में विलय हुआ। सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें जदयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया। उस समय आरसीपी अध्यक्ष थे। संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेवारी राष्ट्रीय अध्यक्ष की ही रहती है। आरसीपी को अध्यक्ष के अधिकार में यह कटौती अच्छी नहीं लगी। यही वजह है कि उपेंद्र जिस वक्त जदयू में शामिल हुए थे, उस समारोह में आरसीपी शामिल नहीं हुए। आरसीपी को अध्यक्ष पद से हटना भी नागवार गुजर रहा है। वह कुछ दिनों तक मिनिस्टर के साथ अध्यक्ष पद पर भी बने रहना चाहते थे।

ललन-उपेंद्र एक साथ

पॉलिटिकल जानकारों का मानना है कि में अगर आगे भी गुटबाजी जारी रही तो उपेंद्र कुशवाहा और ललन सिंह एक साथ रहेंगे। दोनों लीडर जेडीयू की पूर्ववर्ती समता पार्टी के संस्थापकों में शामिल रहे हैं। दोनों का सामाजिक आधार भी परस्पर विरोधी नहीं है। आरसीपी के मिनिस्टर बनने के बाद दोनों के बीच कई मुलाकातें हुईं है।