बिहार: बोचहां विधानसभा उपचुनाव में तेजस्वी के ट्रंप कार्ड ने किया कमाल, BMY समीकरण से NDA को दी मात

बिहार के मजफ्फरपुर जिले के बोचहां विधानसभा उपचुनाव में आरजेडी की शानदार की जीत ने बिहार की राजनीति में एक नये ट्रेंड की शुरुआत की है। आरजेडी ने जिस सोशल इंजीनियरिंग का प्रयोग इस चुनाव में किया है उसका प्रभाव दूरगामी माना जा रहा है

बिहार: बोचहां विधानसभा उपचुनाव में तेजस्वी के ट्रंप कार्ड ने किया कमाल, BMY समीकरण से NDA को दी मात
  • लालू प्रसाद के युग से पार्टी को निकालते हुए नये समीकरण पर शुरु किया काम 
  • नयी सोच व समीकरण से आरजेडी को बोचहां विधानसभा उपचुनाव में मिली सफलता

पटना। बिहार के मजफ्फरपुर जिले के बोचहां विधानसभा उपचुनाव में आरजेडी की शानदार की जीत ने बिहार की राजनीति में एक नये ट्रेंड की शुरुआत की है। आरजेडी ने जिस सोशल इंजीनियरिंग का प्रयोग इस चुनाव में किया है उसका प्रभाव दूरगामी माना जा रहा है।

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यह एनडीए खासकर बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि बोचहां उपचुनाव के बाद अब तेजस्वी यादव इस फार्मूले को अग्रेसिव होकर प्रयोग में ला सकते हैं। उन्होंने एमएलसी चुनाव के दौरान भी भूमिहार समाज के कैंडिडेट्स को मौका दिया था। इसका साकारात्मक देखने को मिला। पांच भूमिहार आरजेडी कैंडिडेट में से तीन ने चुनाव में जीत हासिल की। इसके बाद तेजस्वी ने भू-माय (BMY)समीकरण को खूब प्रचारित किया है। इन नेताओं ने बोचहा में सवर्ण बहुत इलाकों में जाकर कैंप किया। उसका परिणाम आरजेडी कैंडिडेट अमर पासवान की बड़ी जीत के रूप में देखने को मिला। 
अमर पासवान को आरजेडी में लाना मास्ट स्ट्रोक
बोचहां उपचुनाव को लेकर तेजस्वी यादव ने एक मंझे हुए राजनेता की तरह अपनी चाल चली। उन्होंने अंतिम समय तक विरोधी दल खासकर बीजेपी की चाल पर नजर बनाये रखा। जब बीजेपी ने बेबी कुमारी को अपना कैंडिडेट घोषित कर दिया तो वीआइपी चीफ मुकेश सहनी ने बगावत कर दी।आरजेडी ने वीआइपी के दिवंगत विधायक मुसाफिर पासवान के पुत्र अमर पासवान को अपने पाले में कर लिया। यह उनका पहला मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ। इस चाल से पासवान मतदाताओं को साधने के साथ ही साथ सहानुभूति वोट को भी अपने पाले में करने में वे सफल हो गये।

रामविलास पासवान के बंगला को खाली कराने के विवाद ने भी सहायक की भूमिका निभाई। इस बीच एमएलसी चुनाव का परिणाम घोषित हो गया। यह भी आरजेडी के पक्ष में गया। तेजस्वी ने सवर्ण मतदाताओं में बीजेपी के खिलाफ व्याप्त असंतोष को पहचानते हुए भूमिहार कार्ड को बेहतर ढंग से प्ले किया। एमएलसी चुनाव में विजयी सभी भूमिहार एमएलसी को सवर्ण बहुत इलाकों में चुनाव प्रचार के लिए उतार दिया। इसका पूरा फायदा आरजेडी को मिला।  शुरुआती दौर में ही उनके प्रत्याशी ने जो बढ़त हासिल की वह अंतर बढ़ता ही चला गया।

BMY समीकरण पॉलिटिक्स का नया ट्रेंड
बिहार में BMY समीकरण का पहला सफल प्रयोग बोचहां उपचुनाव में देखने को मिला। माना जा रहा है कि आरजेडी आगामी लोकसभा चुनाव 2024 और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस समीकरण के अनुसार ही काम करते हुए सत्ता हासिल करने की कोशिश करेंगे। यदि आगे भी ऐसा ही हुआ तो लालू प्रसाद के माय समीकरण के बाद तेजस्वी का भू- माय समीकरण राजनीति का नया ट्रेंड होगा। यह बजीपे के लिए वाटर लू साबित होगा।