Nitish Kumar: सबसे अधिक बार CM बनने का नीतीश ने बनाया रिकॉर्ड, इंजीनियरिंग से राजनीति तक का सफर

जेडीयू प्रसिडेंट नीतीश कुमार (72) 9वीं बार बिहार के सीएम बनकर सबसेअधिक बार सीएम बनने का रिकॉर्ड बना लिया है। नीतीश सबसे अधिक बार सीएम बने , लेकिन उनकी पार्टी को बिहार में कभी बहुमत नहीं मिली। 

Nitish Kumar: सबसे अधिक बार CM बनने का नीतीश ने बनाया रिकॉर्ड, इंजीनियरिंग से राजनीति तक का सफर
नीतीश कुमार ने बनाया रिकॉर्ड।

पटना। जेडीयू प्रसिडेंट नीतीश कुमार (72) 9वीं बार बिहार के सीएम बनकर सबसे अधिक बार सीएम बनने का रिकॉर्ड बना लिया है। नीतीश सबसे अधिक बार सीएम बने , लेकिन उनकी पार्टी को बिहार में कभी बहुमत नहीं मिली। 
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नीतीश कुमार ने खुद को एक ऐसे नेता के रूप में स्थापित किया है, जिन्होंने सबसे लंबे समय तक बिहार में शासन किया, जबकि उनकी पार्टी कभी भी अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई। इस उपलब्धि के पीछे छिपा हुआ तथ्य और उनका राजनीतिक कौशल यह है कि नीतीश कभी भी अपने  सहयोगियों के साथ सहज नहीं रह सके, जिसके कारण उन्हें कई बार साझेदार बदलने पड़े।
बख्तियारपुर स्वतंत्रता सेनानी के घर हुआ नीतीश का जन्म
पटना के बाहरी इलाके बख्तियारपुर में एक मार्च, 1951 को एक आयुर्वेदिक चिकित्सक-सह-स्वतंत्रता सेनानी के घर नीतीश कुमार का जन्म हुआ। नीतीश ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद जेपी आंदोलन से जुड़ गये। नीतीश कुमार पटना के बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज (अब राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) से पढ़ाई करने के समय नीतीश छात्र राजनीति में आये और ‘जेपी आंदोलन’से जुड़े। इस आंदोलन में शामिल लालू प्रसाद और सुशील कुमार मोदी सहित अपने कई सहयोगियों से उनकी नजदीकी बढ़ी।  वह पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष और महासचिव बने।
पहली बार 1985 में एमएलए बने थे नीतीश कुमार
नीतीश को पहली बाहर 1985 के विधानसभा चुनाव में मिली, कांग्रेस की लहर के बावजूद वह लोकदल की टिकट पर हरनौत सीट जीतने में कामयाब रहे। पांच साल बाद, वह बाढ़ सीट (अब समाप्त कर दी गई) से सांसद चुने गये। इसके बाद, जब मंडल लहर अपने चरम पर थी और प्रसाद इसका लाभ उठा रहे थे, नीतीश ने जॉर्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर समता पार्टी बनाई, जो बाद मेंजनता दल (यूनाइटेड) में तब्दील हो गई। जेडीयू ने बीजेपी के साथ केंद्र में सत्ता साझा की और, फिर 2005 से बिहार में सत्ता संभाली।
नीतीश के पहले पांच वर्षों के काम को आलोचक भी करते हैं याद
बिहार के सीएम सीएम के रूप में नीतीश कुमार के पहले पांच वर्षों के कार्यकाल को को उनके आलोचकों द्वारा भी प्रशंसा के साथ याद किया जाता है। इस दौरान नीतीश ने बिहार में लॉ एंड ऑर्डर को मजबूत किया, जो क्राइम और किडनैपिंग के लिए अक्सर चर्चा रहता था। मंडल आयोग की लहर में उभरे कुर्मी नेता को यह भी एहसास हुआ कि वह बहुत अधिक आबादी वाले जाति से ताल्लुक नहीं रखते, जिसके बाद उन्होंने ओबीसी और दलितों के बीच उप-कोटा बनाया, जिन्हें अति पिछड़ा (ईबीसी) और महादलित कहा गया। उनका यह निर्णय प्रमुख जाति समूहों -यादव और पासवान के समर्थकों को नागवार गुजरा।
2013 में बीजेपी से अलग हुए थे नीतीश
नीतीश कुमार वर्ष 2013 में बीजेपी सेअलग होने के बाद भी सत्ता में बने रहे क्योंकि उस समय बहुमत के आंकड़े से कुछ ही सदस्य कम रही। जेडीयू के आरजेडी के असंतुष्ट गुट के अलावा कांग्रेस और भाकपा जैसी पार्टियों से बाहर से समर्थन मिला। हालांकि, एक साल बाद, उन्होंने लोकसभा चुनाव में जेडीयू की हार के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ दिया। अपनी सरकार के कैबिनेट मिनिस्टर जीतन राम मांझी को सीएम बना दिया। एक साल से भी कम समय में उन्होंने जीतन राम मांझी को हटाकर सीएम के रूप में वापसी की। इस बार उन्हें आरजेडी और कांग्रेस का भरपूर समर्थन मिला।
2017 में वापस एनडीए मेंलौटे नीतीश कुमार
जेडीयू, कांग्रेस और आरजेडीके एक साथ आने से अस्तित्व में आये ‘महागठबंधन’ने 2015 के विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की। लेकिन केवल दो वर्षों में महागठबंधन’में दरार पड़ गई। नीतीश कुमार 2017 में बीजेपी लीडरशीप वाली एनडीए गठबंधन में लौट आये।  नीतीश का पांच साल बाद, फिर से बीजेपी से मोहभंग हो गया। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू की हार के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया।क्योंकि चिराग पासवान ने अपनी लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर बीजेपी के कई बागियों को मैदान में उतारा था। नीतीश कुमार अगस्त 2022 में वह महागठबंधन में वापस आए, जिसमें तीन वामपंथी दल भी शामिल थे। लगभग 17 माह बाद जनवरी 2024 में नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर नौवी बार बिहार के सीएम पद की शपथ ली है।