Bihar: 'नीतीश कुमार को कंट्रोल में रखने की रणनीति, सम्राट, विजय को डिप्टी CM बनाकर आक्रामक पारी खेलेगी BJP

बिहार में बीजेपी से हाथ मिलाकर नीतीश कुमार 9वीं बार सीएम बन गये हैं। नीतीश के मुखर विरोधी रहे सम्राट चौधरी व विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाना नीतीश कुमार को कंट्रोल में रखने बीजेपी की रणनीति है। नीतीश को पानी पी-पी कर कोसने वाले आक्रामक रहे सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को नीतीश कुमार के अंडर में काम करना पड़ेगा। 

Bihar: 'नीतीश कुमार को कंट्रोल में रखने की रणनीति, सम्राट, विजय को डिप्टी CM बनाकर आक्रामक पारी खेलेगी BJP
नीतीश को कंट्रोल करने की रणनीति।
  • पार्टी के आक्रामक चेहरे को इनाम देना BJP की चाल

पटना। बिहार में बीजेपी से हाथ मिलाकर नीतीश कुमार 9वीं बार सीएम बन गये हैं। नीतीश के मुखर विरोधी रहे सम्राट चौधरी व विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाना नीतीश कुमार को कंट्रोल में रखने बीजेपी की रणनीति है। नीतीश को पानी पी-पी कर कोसने वाले आक्रामक रहे सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को नीतीश कुमार के अंडर में काम करना पड़ेगा। 

यह भी पढ़ें:69th Filmfare Awards 2024:  12th फेल बेस्ट फिल्म, आलिया भट्ट बेस्ट एक्ट्रेस व रणबीर कपूर को बेस्ट एक्टर 

आक्रामक पारी खेलेगी बीजेपी
बीजेपी ने नीतीश कुमार को इस बार भी सीएम तो मान लिया है लेकिन पार्टी नेताओं की ये पारी आक्रामक रहेगी। 2022 में जेडीयू को बीजेपी से बचानेके नाम पर महागठबंधन में लौटे बिहार के सीएम नीतीश कुमार 17 महीने बाद लालू यादव की आरजेडी के साथ सरकार चलाने में दिक्कत के नाम पर फिर बीजेपी के पास लौट चुके हैं। नीतीश कुमार ने रविवार को नौवीं बार बिहार के सीएम पद की शपथ ली और छठी बार बीजेपी के समर्थन से एनडीए की सरकार बनाई है।
बीजेपी ने नीतीश के साथ तीसरी पारी की शुरुआत करते हुए जो-जो दो डिप्टी सीएम दिए हैं।ये दोनों स्वभाव और बयान से नीतीश के धुर विरोधी हैं। राजनीतिक विवशता और गठबंधन की मजबूरी को परेरखकर देखें तो बतौर स्टेट बीजेपी प्रसिंडेंट सम्राट चौधरी और नेता विपक्ष के रूप में विजय सिन्हा पार्टी की लड़ाई को आक्रामक तरीके से बढ़ा रहे थे। बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सरकार बने, इस एजेंडा के ये दोनों चेहरा बने हुए थे। सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा जैसे आक्रामक नेता को बीजेपी ने विधायक दल का नेता और उपनेता चुनकर संकेत दे दिया है कि बतौर डिप्टी सीएम ये दोनों नेता सरकार में बीजेपी की बात आक्रामक तरीके से उठायेंगे।


नीतीश पर सरकार में रहेगी कंट्रोल
सीएम नीतीश कुमार के साथ बीजेपी के तीन नेता पहले भी डिप्टी सीएम की तरह काम कर चुके हैं। सुशील कुमार मोदी लंबे समय तक डिप्टी सीएम रहे। 2022 में एनडीए छोड़ने के लिए नीतीश ने एक वजह सुशील मोदी का डिप्टी सीएम ना होना भी बताया था। दोनों के मधुर संबंध थे। उस समय बीजेपी के काफी नेता सुशील मोदी से नाराज रहते थे कि वो नीतीश का पक्ष लेते हैं। फिर 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी ने सुशील मोदी को साइड किया।नीतीश के नेतृत्व वाले एनडीए ने 2020 का विधानसभा चुनाव भी एक साथ जीता था। इसके बाद बीजेपी ने ओबीसी वैश्य नेता तारकिशोर प्रसाद और ईबीसी नोनिया नेता रेनू देवी को डिप्टी सीएम नियुक्त किया था। वे अगस्त 2022 तक अपने पद पर बने रहे। उसके बाद नौ अगस्त, 2022 को नीतीश कुमार आरजेडी के पाले में चले गये। तब तक दोनों नेता डिप्टी सीएम बने रहे। ये दोनों स्वभाव और बयान से शालीन और सौम्य नेता हैं। बीजेपी का पिछला ओबीसी-ईबीसी प्रयोग असफल रहा था। इनके उलट विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी के बयानों में विरोधी पार्टियों और नेताओं के लिए काफी तल्खी और आक्रामकता रहती है।


बीजेपी की बहुत सुलझी हुई रणनीति

बीजेपी अध्यक्ष के रुप में सम्राट चौधरी बार-बार कह रहे थे कि बीजेपी किसी को कंधे पर नहीं चढ़ायेगी। उनका निशाना सीधे नीतीश कुमार पर ही था।अब वह नीतीश के नेतृत्ववाली सरकार मेंही डिप्टी सीएम बने हैं। सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने नीतीश को पिछले 17 महीनों ने क्या नहीं कहा होगा। लेकिन पार्टी नेतृत्व नेतय किया है कि नीतीश सरकार को समर्थन देना है। सरकार में शामिल होना है तो दोनों अनुशासित पार्टी कार्यकर्ताकी तरह डिप्टी सीएम बनने को तैयार हो गये हैं। बीजेपी की यह बहुत सुलझी हुई रणनीति है कि पार्टी कार्यकर्ता और समर्थकों में यह संदेश जाए कि भले उसने नीतीश को फिर से साथ लिया है लेकिन इस बार उस सरकार में उनकी बात को मजबूती से रखनेवाला सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा डिप्टी सीएम है।

बीजेपी ने कुशवाहा और भूमिहार लीडर को डिप्टी सीएम बनाकर अपने कोर वोटर को मैसेज दिया
बीजेपी ने एक कुशवाहा और दूसरे भूमिहार लीडर को डिप्टी सीएम बनाकर अपने कोर वोटर को मैसेज दिया है कि इस बार एनडीए सरकार में नीतीश की एकतरफा व्यवस्था नहीं चलेगी। बीजेपी की नीतियां और एजेंडा भी इस सरकार के कामकाज में झलकेगी। नीतीश आरजेडी और महागठबंधन से काम करने की दिक्कत के नाम पर बाहर निकले हैं। लेकिन अब तक नीतीश के धुर विरोधी रहे सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा के साथ सरकार चलाने का उनका अनुभव कैसा होगा, ये देखना दिलचस्प रहेगा।

बीजेपी बिहार की राजनीति अपना हर कदम फूंक-फूंक कर उठा रही
बताया जाता कि बीजेपी बिहार की राजनीति अपना हर कदम फूंक-फूंक कर उठा रही है। पार्टी ने सबसे पहले दो नेताओं को नीतीश के आगे-पीछे डिप्टी सीएम के रूप में लगा दिया है। पहले नेता विजय कुमार सिन्हा हैं। ये भूमिहार समाज से आते हैं। दूसरे नेता सम्राट चौधरी, जो लव-कुश समीकरण को साधते हैं। अपनी आक्रामक बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं। जाहिर है, बीजेपी ने ओबीसी और ऊंची जाति के संयोजन के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है। लोकसभा चुनाव मुश्किल से कुछ महीने दूर हैं।पार्टी को उम्मीद है कि अपनी नई भूमिका में दोनों डिप्टी सीओएम नीतीश के प्रतिनिधि के रूप में काम करेंगे। अपनी आक्रामकता भी कम करेंगे। जरूरत पड़ने पर पार्टी का इशारा होते ही, जेडीयू प्रमुख यानी नीतीश कुमार को काबू में भी रखेंगे। बीजेपी सीएम के रूप में नीतीश कुमार को उनकी प्रधानता बनाये रखने देना चाहती है। हालांकि, सियासी गलियारे में ये भी चर्चा है कि दोनों डिप्टी सीएम बने नेता सुशील कुमार मोदी की तरह तो नहीं हो सकते। ये बयानों के वीर हैं। कुछ न कुछ बोलते ही रहेंगे। बीजेपी एनडीए में बड़ा भागीदार है, जिसके पास 243 सदस्यीय विधानसभा में 78 एमएलए हैं, जबकि जदयू) के 45 एमएलए हैं।