बिहार: जातीय जनगणना पर खर्च होंगे पांच सौ करोड़ रुपये,सभी धर्मों की जातियों एवं उपजातियों की होगी गिनती

बिहार कैबिनेट ने स्टेट के संसाधनों से जाति आधारित गणना कराने का प्रोपोजल को नीतिश कैबिनेट ने मंजूरी दे दिया है। सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में कुल 14 एजेंडों पर मुहर लगाई गई। 

बिहार: जातीय जनगणना पर खर्च होंगे पांच सौ करोड़ रुपये,सभी धर्मों की जातियों एवं उपजातियों की होगी गिनती
  • नीतीश कैबिनेट ने दी मंजूरी
पटना। बिहार कैबिनेट ने स्टेट के संसाधनों से जाति आधारित गणना कराने का प्रोपोजल को नीतिश कैबिनेट ने मंजूरी दे दिया है। सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में कुल 14 एजेंडों पर मुहर लगाई गई। 
बिहार अपने संसाधनों से ही जाति आधारित गणना कराएगा। इसमें लगभग 500 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा। इस दौरान राज्य में सभी धर्मों की जातियों एवं उपजातियों की भी गिनती होगी। बिहार नगरपालिका निर्वाचन नियमावली 27(2) के संशोधन के लिए बिहार नगरपालिका निर्वाचन संशोधन नियमावली 2022 के प्रारूप को भी मंजूरी दी गई। कैबिनेट में बिहार गवाह सुरक्षा कोष नियमावली 2922 के प्रारूप को भी मंजूरी दी गई।
चीफ सेकरेटरी आमिर सुबहानी ने बताया जाति आधारित गणना सामान्य प्रशासन विभाग करायेगा। जिलों में नोडल अफसर पद का जिम्मा जिलाधिकारी को दिया गया है। गणना में पंचायत राज्य विभाग के कर्मियों का सहयोग भी लिया जा सकेगा। जाति गणना के दौरान आर्थिक गणना की भी कोशिश होगी। आमिर सुबहानी ने बताया फरवरी 2023 तक गणना का काम पूरा करने का लक्ष्य है। मंत्रिमंडल ने राज्य के चिह्नित पर्यटन परिपथ पर पर्यटक सुविधा के उन्नयन के लिए मानकीकरण प्रोत्साहन योजना 2022 की स्वीकृति भी दी गई।
 भूमि सर्वेक्षण व बंदोबस्त कार्यक्रम बढ़ा, 8802 कर्मचारियों को सेवा विस्तार
राजस्व मानचित्रों तथा खतियान को अपडेट करने के लिए बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त कार्यक्रम को चालू रखते हुए एक अप्रैल, 2022 से 31 मार्च, 2024 तक दो वर्षों के लिए इसका विस्तार किया गया है। इस पर 880 करोड़ 49 लाख खर्च होंगे। साथ ही इस योजना के तहत कार्यरत 8802 कर्मियों की सेवा को भी दो साल के लिए विस्तार दिया गया है। इस योजना के तहत 1339 नियमित पद, पूर्व से संविदा पर सृजित 26 तथा विशेष सर्वेक्षण के लिए 7437 पदों का अ‌वधि विस्तार दिया गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में हवाई फोटोग्राफी एवं जमीनी सत्यापन की मिश्रित तकनीक के उपयोग से राजस्व मानचित्रों का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया। अपडेट खतियान एवं मानचित्र का निर्माण कार्य राज्य के 20 जिलों के 220 अंचलों में से 89 अंचल के 5019 राजस्व ग्रामों में प्रारंभ कर दिया गया है। शीघ्र ही सभी जिलों के भू-खंडों का अपडेट राजस्व मानचित्र एवं खतियान का निर्माण कर लिया जाएगा। वहीं डिजीटल इंडिया भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत चालू योजना का चार वर्षों तक विस्तार के लिए राज्यांश एवं राज्य योजना की राशि 97 करोड़ 19 लाख खर्च की स्वीकृति दी गई। 
 बहुमंजिली इमारतों में अग्नि सुरक्षा प्रभावी होगी
कैबिनेट ने बिहार गवाह सुरक्षा नियमावली, 2022 को स्वीकृति दे दी है। इसमें गवाहों की सुरक्षा और उनपर आने वाले खर्च आदि का प्रावधान किया गया है। राज्य के बहुमंजिली इमारतों में आग से सुरक्षा और बचाव कार्य को प्रभावी बनाया जायेगा। इसके लिए फस्ट फेज में 62 मीटर ऊंचाई के दो, 52 मीटर ऊंचाई के दो और 42 मीटर ऊंचाई के दो अर्थात कुल छह हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म सह टर्न टेबुल एरीयल लैडर की ख्ररीद के लिए 44 करोड़ सी प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है। 
कैबिनेट के अन्य फैसले 
गया के कोंच के तत्कालीन बीडीओ विनोद कुमार को डिसमिस किया गया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्य योजना अंतर्गत बीज वितरण एवं बीज उत्पादन योजना के कार्यान्वयन को 150 करोड़ 98 लाख की स्वीकृति दी गई। राज्य के चिह्नित पर्यटन स्थलों के रास्तों पर जन सुविधाओं का विकास किया जाएगा, ताकि पर्यटकों को पर्यटन स्थलों पर आने-जाने के दौरान कोई परेशानी नहीं हो। उनकी यात्रा सुखद एवं मंगलमय हो। इसके लिए कैबिनेट ने मार्गीय सुविधा आदि के विकास के लिए प्रोत्साहन योजना 2022 की स्वीकृति प्रदान की। पर्यटन स्थलों के रास्तों पर रेस्टोरेंट, शौचालय आदि की व्यवस्था करायी जायेगी। इसके लिए चार मॉडल विकसित किये गये हैं।
प्रीमियम, स्टैंर्ड और बेसिक और वर्तमान मार्गीय सुविधाओं का उन्नयन। इन मॉडलों के निर्माण पर राज्य सरकार कुल लागत का 50 प्रतिशत या क्रमश: 50 लाख, 35 लाख, दस लाख और 20 लाख अधिकतम अनुदान देगी। इस योजना से लगभग चार हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। मार्गीय सुविधाओं के संचालक एवं कर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। इस योजना के तहत राज्य के सभी राष्ट्रीय एवं राज्य मार्गों पर वर्तमान में कार्यरत ढाबा, रेस्तरां, पेट्रोल पंप आदि को उन्नयन कर कम-से-कम स्टैंर्ड मॉडल के रूप में विकसित करना होगा।