Jharkhand पुलिस को साइबर क्राइम मामले में बड़ी सफलता, 1.04 करोड़ ठगी करने वाले बिहार से दो आरोपित अरेस्ट

झारखंड में सीआईडी के अधीन संचालित साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन की पुलिस ने 1.04 करोड़ की साइबर ठगी के मामले में बिहार से दो आरोपितों को अरेस्ट किया है। साइबर पुलिस स्टेशन की पुलिस ने बिहार के अररिया जिले के परहरी वार्ड नंबर 06 निवासी जितेंद्र कुमार व बिहार के भागलपुर जिले के सन्हौला थाना क्षेत्र के मंदिर टोला सन्हौला निवासी हर्षवर्धन चौबे को अरेस्ट किया है।

Jharkhand पुलिस को साइबर क्राइम मामले में बड़ी सफलता, 1.04 करोड़ ठगी करने वाले बिहार से दो आरोपित अरेस्ट
साइबर ठग को भेजा गया जेल।
  • यूट्यूब पर वीडियो लाइक कर पार्ट टाइम जॉब करने नाम पर दिया था झांसा
  • केवाईसी अपडेट कराने के नाम पर भी हुई ठगी

रांची। झारखंड में सीआईडी के अधीन संचालित साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन की पुलिस ने 1.04 करोड़ की साइबर ठगी के मामले में बिहार से दो आरोपितों को अरेस्ट किया है। साइबर पुलिस स्टेशन की पुलिस ने बिहार के अररिया जिले के परहरी वार्ड नंबर 06 निवासी जितेंद्र कुमार व बिहार के भागलपुर जिले के सन्हौला थाना क्षेत्र के मंदिर टोला सन्हौला निवासी हर्षवर्धन चौबे को अरेस्ट किया है।

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यह ठगी दो अलग-अलग लोगों से दो अलग-अलग तरीकों से की गई थी। मामले में साइबर पुलिस स्टेशन में दो एफआइआर दर्ज है। पहली एफआइआर पांच जुलाई को शिल्पी सिंह ने 84.32 लाख रुपये की ठगी के संबंध में, तो दूसरी एफआइआर 19 जुलाई को डा. विनय मिश्रा ने 20.40 लाख रुपये की ठगी के संबंध में दर्ज कराई थी। 

आरोपितों के पास से कई सामान बरामद
पुलिस गिरफ्त में आया हर्षवर्धन चौबे मूल रूप से भागलपुर के जगदीशपुर पुलिस स्टेशन एरिया के तरडीहा का रहने वाला है। उसकी गिरफ्तारी डा. विनय मिश्रा से 20 लाख 40 हजार रुपये की ठगी के मामले में हुई है। जितेंद्र कुमार की गिरफ्तारी शिल्पी सिंह से 84.32 लाख रुपये की ठगी मामले में हुई है। बिहार पुलिस के सहयोग से साइबर पुलिस स्टेशन की पुलिस ने दोनों अरेस्ट किया है। इन आरोपितों के पास से पुलिस ने दो मोबाइल, दो सिमकार्ड, चार आधारकार्ड, दो पैन कार्ड, 11 एटीएम व एक वोटर आईडी कार्ड बरामद किया है।
एसे हुई ठगी
केस एक
यूट्यूब पर वीडियो लाइक कर पार्ट टाइम जॉब करने नाम पर झांसे में लिया और बैंकअकाउंट से 84.32 लाख रुपये उड़ा लिए। दिल्ली में एडवोकेट रहीं रांची की शिल्पी सिंह से साइबर अपराधियों ने 84 लाख 32 हजार 100 रुपये की ठगी की है। शिल्पी ने पांच जुलाई को सीआईडी के अधीन संचालित साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में एफआिआर दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि उन्हें टेलीग्राम पर इंटरनेशनल वर्चुअल नंबर के माध्यम से संपर्क किया गया था। उन्हें यूट्यूब पर वीडियो लाइक करके पार्ट टाइम जॉब करने का काम दिया गया। इसके बाद उन्हें एक अन्य टेलीग्राम प्रोफाइल से संपर्क कर यूआरएल एचटीटीपीएस://आई.एमई/-एमडब्ल्यूपीडब्ल्यू-यूक्यूओवाईईएमओएमआइएएल पर रजिस्टर कर वीडियो लाइक करने का काम दिया गया। इस यूआरएल के माध्यम से दिए गए टास्क को करने के लिए शिल्पी को विभिन्न खातों में पैसे डालने के लिए बोला गया। वह थोड़ा-थोड़ा कर पैसा डालती गईं और जालसाजों के चंगुल में फंसती चली गईं।साइबर क्रिमिनलों ने प्रारंभ में इनके बैंक अकाउंट में कुछ पैसे डाले, लेकिन बाद में पैसे डालना बंद कर दिया। इनके साथ कुल 84 लाख 32 हजार 100 रुपये की साइबर ठगी कर ली गई।
केस दो
एसबीआई का कस्टमर केयर अफसर बनकर केवाईसी अपडेट कराने के नाम पर की 20.40 लाख की ठगी की गयी। रांची के बरियातू निवासी डा. विनय कुमार मिश्रा ने 19 जुलाई को साइबर पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि अननोन साइबर क्रिमिनलों ने एसबीआई का कस्टमर केयर अफसर बनकर उन्हें केवाइसी अपडेट करवाने के नाम पर उनसे बैंक अकाउंट का डिटेल मांग लिया। इसके बाद क्रिमिनलों ने बैंक अकाउंट से कुल 20 लाख 40 हजार 368 रुपये का इलिगल ट्रांसफर करते हुए ठगी कर ली।

साइबर क्रिमिनलों से ऐसे बचें
किसी भी अनधिकृत एप का इस्तेमाल करने से बचें। व्यक्तिगत जानकारी किसी के साथ शेयर न करें।
वाट्सएप, टेलीग्राम, गूगल एड्स के माध्यम से भेजे जाने वाले वार्ट टाइम जाब से संबंधित विज्ञापन के लिंक पर क्लिक न करें, न हीं लिंक के माध्यम से किसी वेब पोर्टल या एप पर रजिस्टर करें।
अपने डेटा को सिक्योर रखने के लिए अपने एप के परमिशन की हमेशा जांच करते रहें।
सेंडर एड्रेस पर भी आपको ध्यान देना चाहिए। इस तरह के मैसेज मिलने पर ये देखें कि किस तरह के नंबर से मैसेज आ रहा है। वर्चुअल, इंटरनेशनल नंबर या बल्क एसएमएस कोड्स को तुरंत ब्लाक करें।
मैसेज में जिस कंपनी का नाम नहीं दिया गया है, उसे गूगल पर चेक करें। पता करें कि इस नाम की कोई कंपनी है या नहीं, अगर है तो उस कंपनी की वेबसाइट पर चेक करें कि कोई ऐसी वैकेंसी निकली है या नहीं।
इस तरह के मैसेज के बाद जाब आफर करने वाला अगर रुपयों की मांग करते तो समझ लीजिए वह फ्राड है, क्योंकि कंपनी कभी भी पैसे लेकर जाब नहीं देती।
किसी भी अनजान नंबर से काल या मैसेज आने पर ओटीपी शेयर न करें।
अगर आप किसी फ्राड के शिकार हो गए हैं तो इसकी शिकायत तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 या वेबसाइट एचटीटीपीएस://डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाट साइबरक्राइम डॉट जीओवी डाॅट इन पर दर्ज करें तथा इसकी लिखित शिकायत अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर सेल या साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में करें।