धनबाद:निरसा थानेदार की गांजा तस्करी के खेल में युवक को मोहरा बनाने की कोशिश नाकाम, कोर्ट ने 164 दर्ज करने से किया इनकार

बस्ताकोला का संदीप सिंह दो दिनों से निरसा पुलिस की कस्टडी में पुलिस दबाव देकर गांजा के खेल की प्लानिंग में कर रही है शामिल युवक के परिजन काट रहे हैं थाना का चक्कर अपनी गर्दन बचाने के लिए थानेदार अब केस फाइनल कराने की कोशिश में धनबाद: पुलिस इंस्पेक्टर सह निरसा पुलिस स्टेशन के इंचार्ज उमेश प्रसाद सिंह द्वारा बंगाल के एसडीपीओ व कोल माफिया से मिलीभगत कर बीरभूम जिला के राजनगर पुलिस स्टेशन एरिया के आबाद नगर निवासी ईसीएल कर्मी चिरंजीत घोष को गांजा तस्करी में जेल भेजने का मामला दोनों स्टेट की पुलिस चीफ तक पहुंच चुका है. मामले में निरसा थानेदर के साथ-सााथ एसडीपीओ की भी गर्दन फंस गयी है. अपनी गर्दन बचाने के लिए थानेदार व एसडीपीओ बस्ताकोला के संदीप सिंह को महोरा बना रहे हैं. संदीप को दो दिनों से निरसा थाना में पुलिस कस्टडी में रखा गया है. एसडीपीओ विजय कुशवाहा रविवर को बस्ताकोला से संदीप को पकड़ निरसा थाना को लाये हैं. पुलिस संदीप पर दबाव बना रही है कि वह लिखित रुप से स्वीकार कर ले कि टवेराा गाड़ी से गांजा लेकर ईसीएल कर्मी चिरंजीत घोष के बारे में गलत सूचना दी थी. पुलिस संदीप को लेकर सोमवार को कोर्ट गयी थी. पुलिस संदीप का 164 के तहत बयान दर्ज करानी चाह रही थी जिसमें वह स्वीकार करता कि बंगाल के चिरंजीत घोष द्वारा टवेरा से गांजा लाये जाने क सूचना वह पुलिस को दिया था. कोर्ट ने संदीप का बयान दर्ज करने से इनकार कर दिया. निरसा थानेदार की सूचना पर एक सीनीयर पुलिस अफसर भी कोर्ट पहुंच संदीप का बयान दर्ज करवाने की पहल की लेकिन सफलता नहीं मिली. पुलिस संदीप को लेकर निरसा लौट गयी. संदीप के परिजन दो दिनों से निरसा थाना का चक्कर काट रहे हैं. पुलिस पूछताछ कर छोड़ने की बात कह टाल रही है. आरोप है कि पुलिस संदीप से कई सादे कागज पर साइन करवायी है. पुलिस संदीप के बयान से यह कहलवा रही है कि उसने ही फोन पर गलत सूचना दिया था कि बंगाल के चिरंजीत घोष गांजा तस्कर है. पुलिस को संदीप ने मामले में निरसा के एक लोकल युवक का नाम पताा भी ली है. संदीप ने पुलिस को यह सही बता दिया है कि उसे किस युवक ने कहा था कि टवेरा से चिरंजीत घोष नामक व्यक्ति गांजा लेकर आ रहा है. पुलिस को उसका फोन नंबर भी उपलब्ध करा दिया गया है. अब पुलिस अपनी गर्दन बचाने के लिए संदीप व अन्य को मोहरा बना केस फाइनल करने की कोशिश में है. गांजा तस्करी में बेकसूर को बंगाल के कोल माफिया व एक एसडीपीओ के कहने पर जेल भेजना निरसा थानेदार उमेश प्रसाद सिंह की गले की हड्डी बन गयी है. मामला पुलिस हेडक्वार्टर ही नहीं मानवाधिकार आयोग तक भी पहुंच गया है. चिरंजीत की वाइफ बंगल जेल पुलिस की कांस्टेबल श्रावणी सेवीत पहले ही बंगाल के एक एसडीपीओ की कंपलेन सीएम ममता बनर्जी समेत अन्य से लिखित रुप से की थी. एसडीपीओ पर मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना का आरोप है.चिरंजीत की पत्नी झारखंड के सीएम , डीजीपी, डीआइजी, एसएसपी समेत अन्य लोगों को भी पहले ही कंपलेन कर चुकी है. आरोप है कि बंगाल का एसडीपीओ चिरंजीत की वाइफ से गलत संबंध बनाना चाहता है. इनकार करने पर महिला व उसके पति को परेशान किया जा रहा है. एसडीपीओ ने बंगाल जेल पुलिस में कार्यरत चिरंजीत की पत्नी को वर्दमान से अलीपुर ट्रांसफर करवा दिया है. बंगाल में एसडीपीओ के खिलाफ जांच शुरु हो गयी है. बताया जाता है कि एसडीपीओ का ट्रांसफर भी कर दिया गया है. उल्लेखनीय है कि निरसा थानेदार उमेश प्रसाद सिंह ने गुप्त सूचना के आधार पर 25 अगस्त की रात गांजा लदी एक बंगाल नंबर की टवेरा जब्त करने व उसमें सवार चिरंजीत समेत अन्य के भाग जाने के आरोप में केस दर्ज की है. मामले में गुप्त सूचना का आलोक में चिरंजीत को न सिर्फ एक्युज्ड बनाया गया बल्कि चार सितंबर को अरेस्ट कर जेल भी भेज दिया गया. निरसा इंस्पेक्टर ने चेकिंग के दौरान एसडीपीओ विजय कुशवाहा की भी मौजुदगी बतायी है. आरोप कि इंस्पेक्टर ने बड़ी आर्थिक लाभ लेकर इसीएल स्टाफ के खिलाफ गांजा तस्करी की केस कर जेल भेज दिया.