झारखंड:DC करेंगे सरकारी व खासमहल आवासित भूखंडों की बंदोबस्ती,सभी जिलों में दुष्कर्म पीड़िता के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट

  • कैकैबिनेट ने 24 प्रोपोजल को दी मंजूरी
  • गोड्डा में अडानी को 22 एकड़ व नगड़ी में अमेटी विवि को 10 एकड़ भूखंड सशुल्क देने का निर्णय
रांची: अब डीसी सरकारी जमीन एवं खासमहल भूखंडों पर वर्षों से रह रहे लोगों को भूखंड बंदोबस्त कर सकेंगे. झारखंड कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में जिले के डीसी को यह अधिकार देने का फैसला किया गया. पूर्व इस तरह के मामले राज्य कैबिनेट से पारित होते थे. अब कैबिनेट ने गैर ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थित सरकारी/खासमहाल भूमि पर दिनांक 1 जनवरी 1985 अथवा उससे पूर्व से आवासित परिवारों के साथ लीज बंदोबस्ती करने की शक्ति उपायुक्त (डिप्टी कमिश्नर या डीसी) को दी है. कैबिनेट ने गोड्डा में सदर एवं पोड़ैयाहाट के विभिन्न मौजा के अंदर कुल 22.199 एकड़ भूमि अडानी पावर (झारखंड) को 4.65 करोड़ रुपये के भुगतान पर देने का निर्णय लिया है. 30 वर्षों के लिए लीज पर भूखंड का आवंटन रेलवे साइडिंग निर्माण के लिए अस्थायी तौर पर किया गया है. इसके अंतर्गत गोचर भूमि के नुकसान के बदले गोड्डा सदर एवं पोड़ैयाहाट अंचल के मौजा कौड़ीबहियार माल, कारीकादो एवं गुम्मा में कुल 7.799 एकड़ गैरमजरूआ खास भूमि को गोचर अधिसूचित करने की स्वीकृति दी गई.रांची जिला के नगड़ी में स्थित मुड़मा के विभिन्न खाते एवं प्लॉटों में कुल 10.09 एकड़ भूमि को अमेटी विवि को 27.09 करोड़ रुपये के भुगतान पर देने का निर्णय लिया गया. विवि का संचालन कर रहे रीतनंद बालवेद एजुकेशन फाउंडेशन के साथ 30 वर्षों के लिए लीज बंदोबस्ती की स्वीकृति दी गई है. कैबिनेट ने पीडि़त महिलाओं और बच्चियों के अधिकारों की रक्षा और मजबूती से करने के लिए दो अहम फैसले किये हैं. सभी जिलों में अब दुष्कर्म और पोस्को एक्ट के मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुने जायेंगे.अब तक राज्य में ऐसे दो कोर्ट गठित थे. अब 22 और कोर्ट के गठन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई है.राज्य के सभी जिलों में ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट उपलब्ध होंगे. एसिड अटैक पीडि़तों के का इलाज में अब पारिवारिक आमदनी की शर्त समाप्त कर दी गई है. खर्च की सीमा को भी हटा दिया गया है. पूर्व में 72 हजार रुपये से कम वार्षिक आमदनी वाले परिवारों की पीडि़त बच्चियों को ही इलाज के लिए मुख्यमंत्री असाध्य रोग सहायता योजना से राशि दी जाती थी.अब आमदनी के दायरे से इसे मुक्त कर दिया गया है. इसके साथ ही पूर्व में पांच लाख रुपये तक खर्च की सीमा को भी समाप्त कर दिया गया है. अब इलाज में जितनी भी राशि खर्च होगी, सरकार भुगतान करेगी. इसके साथ ही राज्य. कैबिनेट के फैसलों की जानकारी सचिव अजय कुमार सिंह ने दी. मंत्री या राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त विधायकों व सांसदों को अब नुकसान नहीं राज्य में मंत्री और राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त विधायकों एवं सांसदों को किसी कमेटी, बोर्ड अथवा आयोग के अध्यक्ष बनने की स्थिति में मानदेय का नुकसान नहीं होगा. पूर्व में बोर्ड अथवा आयोग का अध्यक्ष बनने पर मानदेय और सुविधाएं बोर्ड से ही मिलती थीं.अब तय किया गया है कि विधायक अथवा सांसद के तौर पर प्राप्त मानदेय अधिक होने पर वही मिलेगा, लेकिन अध्यक्ष को प्राप्त सभी सुविधाएं भी मिलती रहेंगी. इसी प्रकार अब अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों को प्रति माह 25 हजार रुपये मानदेय प्राप्त होगा. इसके अलावा कोई राशि नहीं मिलेगी. सड़क सुरक्षा पर बजट में वृद्धि, जुर्माने से अंशदान दोगुना तक बढ़ा राज्य कैबिनेट ने सड़क सुरक्षा पर खर्च राशि में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है. पूर्व में एमवी एक्ट की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत प्राप्त जुर्माना से 10 परसेंट इस मद में खर्च किया जाता था, अब इसे बढ़ाकर अब 20 परसेंट कर दिया गया है.झारखंड राज्य दुर्घटना जांच (अन्वेषण) योजना, 2019 के गठन की स्वीकृति दी गई. इससे दुर्घटनाओं की जांच हो सकेगी और जांच दल सुधार के लिए निर्देश दे सकेगा. झारखंड कैबिनेट के अन्य फैसले सेवाकाल में मृत सरकारी सेवक के आश्रित को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति में अब कर्मी के कुंवारे भाई को भी 50 वर्ष तक उम्र छांति का लाभ मिल सकेगा. नई दिल्ली स्थित झारखंड भवन के लिए कोषागार गठन एवं संचालन के लिए चार पदों के सृजन को स्वीकृति . हाई कोर्ट में दायर मामले अर्जुन कुमार एवं अन्य बनाम झारखंड सरकार के तहत पारित आदेश के आलोक में अर्जुन कुमार, ब्रजेश कुमार सिंह, सुरेंद्र भगत एवं अवधेश कुमार सिंह को प्रयोगशाला सहायक पद से डेमोस्ट्रेटर के पद पर सेवा स्वीकृत करते हुए यूजीसी के बराबर वेतनमान देने का निर्णय. राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के अधीन झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकार, सभी अनुमंडलीय विधिक सेवा समिति एवं सभी स्थायी लोक अदालत के लिए विभिन्न स्तर पर 110 पदों के सृजन की स्वीकृति. झारखंड सचिवालय आशुलिपिक सेवा के अंतर्गत आप्त सचिव एवं प्रधान सचिव के छायापद की घटनोत्तर स्वीकृति. हाई कोर्ट के आदेश पर भवनाथ मिश्रा (तत्कालीन आशुलिपिक, महाधिवक्ता कार्यालय) को उनके योगदान की तिथि अर्थात दिनांक 20 सितंबर 1997 से समायोजित करते हुए सेवानिवृत्त लाभ के भुगतान की स्वीकृति. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा (डिप्लोमा स्तर) संचालन नियमावली, 2015 में संशोधन करने की स्वीकृति. जीएसटी के तहत केंद्र से निर्गत अधिसूचना अथवा आदेश के आलोक में अब मंत्रिमंडल से अनुमति की जरूरत नहीं होगी. ऐसे मामलों में अब मुख्य (विभागीय) मंत्री का अनुमोदन और इसके बाद विधि व वित्त विभाग की सहमति से वाणिज्यकर विभाग अधिसूचना जारी कर सकेगा. झारखंड स्टेट सिविल कोर्ट ऑफिसर्स एंड स्टाफ (रिक्रूटमेंट प्रमोशन, ट्रांसफर एंड अदर सर्विस कंडीशंस) रूल्स, 2018 के गठन की स्वीकृति. पीएसडीएफ स्कीम के तहत 132 केवीए और इससे अधिक के ग्रिड सब स्टेशनों में रिलायबल कम्युनिकेशन लागू करने के लिए 44.72 करोड़ की योजना की प्रशासनिक स्वीकृति एवं वित्तीय वर्ष 2019-20 में 22.36 करोड़ अनुदान स्वरूप विमुक्त करने का निर्णय. डीवीसी कमांड एरिया में कुल स्वीकृत 14 नई परियोजनाओं के लिए 1192.91 करोड़ में से 6 योजनाओं को नाबार्ड से ऋण न लेकर राज्य निधि से संचालित करने का निर्णय लिया गया. इसके लिए 372.04 करोड़ रुपये विमुक्त करने की स्वीकृति. मंत्रिमंडल (निर्वाचन) विभाग के अंतर्गत जिला स्तर पर 12 उपनिर्वाचन पदाधिकारियों के पदों के सृजन की स्वीकृति. लोकायुक्त को आवंटित सरकारी आवास की सुसज्जा के लिए आठ लाख रुपये खर्च करने की अनुमति दी गई.