- जमशेदपुर के नामकरण के 100 वर्ष पूरे होने पर कार्यक्रम
जमशेदपुर। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा है कि देश को आतंक और हिंसा से बाहर निकलकर समग्र विकास की ओर आगे बढ़ना होगा तभी हम 21 वीं सदी की चुनौतियों का सामना कर पायेंगे। हमें नई सोच के साथ हमें आगे बढ़ना होगा। उपराष्ट्रपति जमशेदपुर के नामकरण के 100 वर्ष पूरे होने पर सोमवार को एक्सएलआरआइ स्थित टाटा आडिटोरियम आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जमशेदपुर देश के औद्योगिक विकास का बर्थ प्लेस है। टाटा स्टील की उच्च नैतिकता और उद्यमिता देश के लिए मिसाल है। इसके वसूल दूसरी कंपनियों के लिए भी एक बेंच मार्क हैं। उन्होंने कहा कि हमारा देश बसुधैब कुटुंबकम की नीति पर आगे बढ़ता है। इसका मूल सबका साथ-सबका विकास है। उन्होंने स्मार्ट सिटी, डिजिटाइजेशन, स्वच्छ भारत अभियान आदि का विस्तार से उल्लेख किया।
उपराष्ट्रपति ने पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि हम पर्यावरण संरक्षण नहीं करेंगे तो प्रकृति भी हमपर रहम नहीं करेगी और प्राकृतिक आपदाएं झेलने को हम मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि हमे प्रकृति प्रेमी बनना होगा। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि बच्चे खेल के मैदान से दूर हो रहे हैं। यही वजह है कि बच्चों में कई ऐसी बीमारियां घर कर रही हैं जो चिंताजनक है। बच्चों में बीमारी की वजह जंक फूड है। हमें बच्चों को इससे दूर रखना होगा। ऐसी शिक्षा नीति की जरूरत है जिसमें पढ़ाई के साथ खेलकूद को भी समान महत्व मिले। बच्चे स्वस्थ्य रहेंगे तो कल का भारत भी स्वस्थ्य रहेगा।
उपराष्ट्रपति रूसी मोदी सेंटर फॉर एक्सीलेंस में टाटा स्टील के आर्काइव का भ्रमण कर पौधरोपण किया। उपराष्ट्रपति के साथ गवर्नरद्रौपदी मुर्मू, मिनिस्टर चंपई सोरेन, टाटा स्टील केएमडी टीवी नरेंद्रन मंच पर उपस्थित थे। उपराष्ट्रपति ने टाटा स्टील द्वारा बनायी गयी पहली रेल पटरी को देखा। वर्ष 1912 में निर्मित रेल पटरी का यह हिस्सा जमेशदपुर के टाटा स्टील संग्रहालय में रखा हुआ है।
उपराष्ट्रपति ने जमशेदपुर नामकरण के 100 साल पूरे होने पर कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया। भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड चैम्सफॉर्ड दो जनवरी 1919 को यहां आए थे। उन्होंने टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के सम्मान में साकची का नाम जमशेदपुर और कालीमाटी रेलवे स्टेशन का नाम टाटानगर रखा दिया था। तब से इस शहर को जमशेदपुर और स्टेशन को टाटानगर के रूप में जाना जाने लगा।
वेंकैया नायडू ने राम मंदिर में की पूजा-अर्चना, इतिहास सुन हुए भावुक

उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने बिष्टुपुर स्थित राम मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस दौरान मंदिर कमेटी के सदस्यों से मंदिर का इतिहास जानकर वहभावुक हो गये।गवर्नर द्रौपदी मुर्मू के साथ राम मंदिर पहुंचे उपराष्ट्रपति ने हाथ-पैर धोकर मंदिर में भगवान श्री राम, हनुमान व माता सीता के दर्शन किये। विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। राम मंदिर परिसर में ही स्थापित भगवान बालाजी के भी दर्शन किए। पंडित कोंडोमाचार्य ने उपराष्ट्रपति को फूल तथा शॉल देकर सम्मानित किया।
आंवला के पौधे लगाये
उपराष्ट्रपति ने बिष्टुपुर राम मंदिर कमेटी पदाधिकारियों और जमशेदपुर आंध्र समाज के सदस्यों से मुलाकात की। उन्होंने पूछा कि आप लोग जमशेदपुर में ही रहते हैं। इस दौरान राम मंदिर का इतिहास जानकर उपराष्ट्रपति भावुक हो गए। नायडू ने कहा कि आंध्र प्रदेश से इतनी दूर जमशेदपुर में भी आंध्र समाज के लोग हैं और अपनी परंपरा, रीति- रिवाज का अच्छी तरह से निर्वहन कर रहे हैं यह अच्छी बात है। परंपरा को जीवित रखना और भारतीय संस्कृति का संरक्षण हर भारतीय का परम कर्तव्य है। यह कार्य राम मंदिर जमशेदपुर आंध्र समाज के लोग बखूबी कर रहे हैं। उन्होंने राम मंदिर परिसर में ही आंवला का पौधा लगाया।
100 साल पुराना पीपल का पेड़ देख आश्चर्यचकति
उपराष्ट्रपति ने मंदिर परिसर में तत्कालीन उपराष्ट्रपति वीवी गिरी द्वारा लगाए गए पीपल के पेड़ को देखा और आश्चर्यचकित हुए। उन्होंने कहा कि यह पेड़ 100 साल पुराना है उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा है। मंदिर परिसर की व्यवस्था की उन्होंने सराहना की। मौके पर राम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष वीडी गोपाल, एसवी दुर्गा प्रसाद शर्मा, जमी भास्कर, वाई श्रीनिवास एम चंद्रशेखर सहित कुल 38 सदस्य तथा जमशेदपुर आंध्र समाज की ओर से भी कई प्रमुख लोग उपस्थित थे।