- जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक राज्यसभा से पास
- पक्ष में 125 और विरोध में 61 वोट पड़े
- जम्मू-कश्मीर दिल्ली की तरह होगा विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश
- लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी
- क्षेत्रफल के लिहाज से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख होंगे सबसे बड़े केंद्र शासित प्रदेश
- जम्मू-कश्मीर को मिलने वाला विशेष दर्जा समाप्त
नई दिल्ली: राज्यसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को पास कर दिया गया है. बिल के पक्ष में 125 वोट और 61 विपक्ष में वोट पड़े हैं.जबकि एक सदस्य गैर हाजिर रहा. राजग का सहयोगी दल जदयू भी विधेयक के खिलाफ दिखा, लेकिन बीएसपी, बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, टीडीपी भी विधेयक पक्ष में सरकार का साथ दी. विधेयक का विरोध करने के बावजूद जदयू, तृणमूल कांग्रेस और राकांपा ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.अब जम्मू -कश्मीर से धारा 370 व 35 ए हटा दी गयी है. अस्थायी प्रावधान से जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मिला विशेष दर्जा लगभग 70 साल बाद निरस्त हो गया है. राज्यसभा ने इस प्रस्ताव पर दो तिहाई बहुमत से मुहर लगा दी है. अब संभवत: मंगलवार को लोकसभा से मंजूरी मिल जायेगी.इस बिल में जम्मू कश्मीर से लद्दाख को अलग करने और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने के प्रावधान शामिल हैं. जम्मू-कश्मीर में सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 पर्सेंट आरक्षण वाला विधेयक भी पास हो गया है.राज्यसभा की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है. प्रधानमंत्री कई राज्यों के मुख्यमंत्री से बात करेंगे. पीएम नरेंद्र मोदी 7 अगस्त को देश को संबोधित करेंगे.
पुनर्गठन विधेयक पर राज्यसभा में होम मिनिस्टर अमित शाह ने कहा कि आने वाले दिनों में यदि हालात सुधरते हैं तो सूबे को दोबारा पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है. आर्टिकल 370 हटाने को लेकर गृह मंत्री नेकहा कि जम्मू-कश्मीर में विकास का रास्ता यहीं से होकर जाता है. उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि जम्मू-कश्मीर में लंबे रक्तपात का अंत आर्टिकल 370 समाप्त होने से होगा. हमारे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसके लिए बलिदान दिया. हम उन्हें याद करना चाहते हैं.गृह मंत्री ने कहा कि आर्टिकल 370 बनाये रखने की वकालत करने वाला क्या कोई भी नेता इसके पक्ष में दलीलें दे सकता है. इससे जम्मू-कश्मीर और भारत को इससे क्या लाभ है, यह बात कोई मुझे बता सकता है क्या? उन्होंने कहा, '1989 से 2018 तक राज्य के 41,849 लोगों की जान चली गई. यदि आर्टिकल 370 न होता तो उन लोगों की जानें न जातीं. विपक्ष की ओर से ऐतिहासिकता की बात की गई, लेकिन किसी ने यह नहीं बताया कि 370 से भारत और जम्मू-कश्मीर को क्या मिलने वाला था.
शाह ने जम्मू-कश्मीर में गरीबी के लिए 370 को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि वर्ष 2004 से वर्ष 2019 तक 2 लाख 77 हजार करोड़ रुपया प्रदेश को भेजा गया, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं दिखता है. साल 2011-12 में 3,687 करोड़ रुपया भेजा गया. हर आदमी के लिए 14,000 रुपया था, लेकिन कुछ न पहुंचा. इसी तरह 2017-18 में 27,000 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से दिया गया, लेकिन न जाने कहां रुपया चला गया.
शरणार्थियों ने दो पीएम दिये, कश्मीर में नागरिकता नहीं
अमित शाह ने कहा कि भारत-पाक विभाजन के बाद देश भर में शरणार्थी आये, लेकिन कश्मीर गये लोगों को आज तक नागरिकता नहीं मिल सकी. इस देश को दो प्रधानमंत्री पाक से आने वाले लोगों ने दिये, लेकिन जम्मू-कश्मीर में शरण लेने वाले लोग वहां काउंसलर तक नहीं बन सकते। उन्होंने कहा कि विपक्ष कहता है कि 370 जायेगा तो कयामत आ जायेगी. मैं आपके माध्यम से देश और जम्मू-कश्मीर के लोगों को बताना चाहता हूं कि इससे सूबे में लोकतंत्र पैदा नहीं हुआ. करप्शन बढ़ा और घाटी में गरीबी घर कर गई। शिक्षा संस्थानों में कमी भी 370 की वजह से ही है.
विधेयक को मंजूरी मिलने से पूर्व होम मिनिस्टर अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू -कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35(ए) हटाने की सिफारिश की. इसके अनुसार जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया. लद्दाख भी अलग केंद्र शासित प्रदेश बनेगा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया जायेगा.
राष्ट्रपति की मंजूरी
गृह मंत्री ने कहा, 'संविधान के अनुच्छेद 370(3) के अंतर्गत जिस दिन से राष्ट्रपति द्वारा इस सरकारी गैजेट को स्वीकार किया जायेगा, उस दिन से अनुच्छेद 370 (1) के अलावा अनुच्छेद 370 के कोई भी खंड लागू नहीं होंगे. इसमें सिर्फ एक खंड रहेगा.' इस बदलाव को राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी दे दी गई है. गृह मंत्री ने कहा कि देश के राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370(3) के तहत पब्लिक नोटिफिकेशन से धारा 370 को सीज करने के अधिकार हैं. जम्मू-कश्मीर में अभी राष्ट्रपति शासन है, इसलिए जम्मू-कश्मीर असेंबली के सारे अधिकार संसद में निहित हैं. राष्ट्रपति जी के आदेश को हम बहुमत से पारित कर सकते हैं. गृह मंत्री द्वारा जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन का विधेयक पेश किए जाने के बाद राज्य सभा में जोरदार हंगामा शुरू हो गया. विधेयक पेश होते ही राज्यसभा में 'लोकतंत्र की हत्या नहीं चलेगी' के नारे लगने लगे. राज्यसभा में कांग्रेस के नेता और जम्मू-कश्मीर के एक्स सीएम गुलाम नबी आजाद ने इसे इतिहास का काला दिन बताया.गुलाम नबी आजाद ने कहा कि बीजेपी ने लोकतंत्र की हत्या कर दी है.
संविधान फाड़ने की कोशिश
राज्य सभा चेयरमैन वेंकैया नायडू ने पीडीपी के मिर फयाज और नजीर अहमद को सदन से बाहर जाने को कहा. दोनों ने संविधान फाड़ने की कोशिश की थी.
मार्शल बुलाने के आदेश
विधेयक पर विरोध दर्शाते हुए पीडीपी सांसदों ने अपने कपड़े फाड़ दिए. विरोधी दल के सांसद राज्यसभा में जमीन पर बैठ गये. राज्यसभा में सभापति को मार्शल बुलाने पड़े. कार्यवाही शुरू होते ही राज्यसभा में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने गृहमंत्री के बयान से पहले कश्मीर मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में युद्ध जैसे हालात हैं, पूर्व मुख्यमंत्रियों को नजरबंद क्यों कर दिया गया है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कश्मीर पर किसी भी सवाल का जवाब देने को तैयार हूं.
बीएसपी, बीजेडी, AIADMK का समर्थन
एआइएडीएमके सांसद नवानीथाकृष्णन ने कहा,’ अम्मा संप्रभुता व अखंडता के लिए जानी जाती हैं. इसलिए AIADMK पार्टी पुनर्गठन व आरक्षण विधेयकों का समर्थन करती है. बीजेडी के प्रसन्न आचार्या ने कहा कि हकीकत में आज जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बना है. मेरी पार्टी इसका समर्थन करती है. हम क्षेत्रीय दल हैं, लेकिन हमारे लिए पहले राष्ट्र है. बीएसपी एमपी सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि हमारी पार्टी की ओर से पूरा समर्थन है. हम चाहते हैं कि यह विधेयक पारित हो जाए. हमारी पार्टी किसी तरह का विरोध नहीं दर्ज करा रही है.
अमित शाह ने कहा
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राज्यसभा में बयान देते गृह मंत्री.[/caption]
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह पहली बार नहीं, कांग्रेस ने भी 1952 और 1962 में इसी तरह अनुच्छेद 370 को संशोधित किया था.इसलिए विरोध के बजाए कृपया मुझे बोलने दें और चर्चा करें, मैं आपके सभी शंकाओं को दूर करूंगा और सभी तरह के सवालों के जवाब दूंगा. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 पर ये विधेयक ऐतिहासिक है. इसकी वजह से जम्मू-कश्मीर का भारत से जुड़ाव नहीं रहा. विपक्ष चाहे तो अनुच्छेद 370 को साधारण बहुमत से पारित करा सकते हैं. अनुच्छेद 370 के तहत तीन परिवारों ने सालों जम्मू-कश्मीर को लूटा. इसे हटाने में एक सेकेंड की भी देरी नहीं करनी चाहिए. हमें वोट बैंक नहीं बनाना है. बीजेपी के पास राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी नहीं, विपक्ष के लोग बेखौफ होकर चर्चा करें.
जम्मू-कश्मीर में ये बदलाव होंगे
जम्मू-कश्मीर व लद्दाख अलग अलग केंद्र शासित प्रदेश बन जायेगा.जम्मू-कश्मीर दिल्ली की तरह विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा .जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा नहीं होगा. कश्मीर में अन्य राज्यों से लोग भी जमीन ले सकेंगे. यहां की दोहरी नागरिकता खत्म हो जायेगी.लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी.क्षेत्रफल के लिहाज से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख होंगे सबसे बड़े केंद्र शासित प्रदेश होगा.
कश्मीर मुद्दे पर सांसदों का नोटिस
डीएमके सांसद टीआर बालू ने स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया. आरएसपी नेता एनके प्रेमचंद्रन और सीपीआइएम नेता एएम आरिफ ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है. लोकसभा में कांग्रेस सांसदों ने बैठक की. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के राज्य सभा सांसद नजीर अहमद लावे ने कश्मीर मामले पर जीरो आवर नोटिस दिया. आरजेडी एमपी मनोज झा ने राज्य सभा में नियम 267 के तहत कार्यवाही निलंबित करने का नोटिस दिया. कश्मीर के हालात को लेकर विरोध दर्शाने के लिए पीडीपी के राज्यसभा सांसद नजीर अहमद लावे और मीर मोहम्मद फयाज हाथों पर काली पट्टी बांधकर संसद पहुंचे. सीपीआइ सांसद बिनोय विस्वम ने कश्मीर मुद्दे पर राज्य सभा में नियम 267 के तहत कार्यवाही निरस्त करने का नोटिस दिया है. एआइएमआइएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया है. कश्मीर मुद्दे पर राज्य सभा में भी कांग्रेस सांसदों गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, अंबिका सोनी और भुवनेश्वर कालिता ने स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, के सुरेश और मनीष तिवारी ने लोक सभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है.
J&K से Article 370 व 35A खत्म होने ये बदलाव होंगे
Jammu and Kashmir से Article 370 खत्म होने से वहां कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। ये परिवर्तन हमारे-आपके अधिकारों के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।
जानें- इससे क्या होगा बदलाव?
सेंट्रल गर्वमेंट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के बहुप्रतीक्षित फैसले पर मुहर लगा दी है.राज्य में लागू 35ए (विशेष नागरिकता अधिकार) भी स्वतः समाप्त हो गया है. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद गर्वमेंट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 और 35ए, खत्म होने की सूचना संसद में दी. गृहमंत्री अमित शाह ने पहले राज्यसभा और फिर लोकसभा में अनुच्छेद-370 व 35ए को खत्म करने की जानकारी दी.
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 व 35ए खत्म होने से बदलाव
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 व 35ए खत्म होते ही राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा हुआ है. बीजेपी व उसके अधिकांश सहयोगी दलों के साथ कई रिजनल पार्टियों ने इसे एक देश-एक संविधान बताया है. विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं. अनुच्छेद-370 व 35ए खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर के साथ देश के अन्य राज्यों के लोगों के लिए ये बहुत बड़ी खुशखबरी है.
- अब जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य राज्यों के लोग भी जमीन लेकर बस सकेंगे.
- कश्मीर का अब अलग झंडा नहीं होगा. राज्य में अब तिरंगा शान से लहरायेगा.
- अनुच्छेद-370 के साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान भी इतिहास बन गया है. अब वहां भी भारत का संविधान लागू होगा.
- जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों की दोहरी नागरिकता समाप्त हो जायेगी.
- जम्मू-कश्मीर को दो भाग में बांटा गया है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे.
अब अनुच्छेद-370 का खंड-1 केवल लागू रहेगा. शेष खंड समाप्त कर दिये गये हैं. खंड-1 भी राष्ट्रपति द्वारा लागू किया गया था. राष्ट्रपति द्वारा इसे भी हटाया जा सकता है.
अनुच्छेद 370 के खंड-1 के मुताबिक जम्मू और कश्मीर की सरकार से सलाह कर राष्ट्रपति, संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों को जम्मू और कश्मीर पर लागू कर सकते हैं
.जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी,लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार बनेगी.लद्दाख की कोई स्थानीय सरकार नहीं होगी.
जम्मू-कश्मीर की लड़कियों को अब दूसरे राज्य के लोगों से भी शादी करने की स्वतंत्रता होगी. दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करने पर उनकी नागरिकता खत्म नहीं होगी.
अनुच्छेद-370 में पहले भी कई बदलाव हुए हैं. 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था.
अनुच्छेद-370 को खत्म करने की मंजूरी राष्ट्रपति ने पहले ही दे दी थी. ये अनुच्छेद पूर्व में राष्ट्रपति द्वारा ही लागू किया गया था. इसलिए इसे खत्म करने के लिए संसद से पारित कराने की आवश्यकता नहीं थी.
राज्य से बाहरी अब देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीद सकरेगा
जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा भी था. वहां सरकारी ऑफिस में भारत के झंडे के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर का झंडा भी लगा रहता था. अब जम्मू-कश्मीर में अलग झंडा नहीं रहेगा. यानी राष्ट्रध्वज तिरंगा रहेगा.
आर्टिकल 370 के कारण देश की संसद को जम्मू-कश्मीर के लिए रक्षा, विदेश मामले और संचार के सिवा अन्य किसी विषय में कानून बनाने का अधिकार नहीं था. जम्मू-कश्मीर को अपना अलग संविधान बनाने की अनुमति दी गई थी. अब यह सब बदल गया है.
राज्यपाल का पद खत्म
राज्यपाल का पद खत्म हो जायेगा.राज्य की पुलिस केंद्र के अधिकार क्षेत्र में रहेगी.
नहीं लागू होती थी धारा 356
जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती थी. इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य सरकार को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था. वहां राष्ट्रपति शासन नहीं, बल्कि राज्यपाल शासन लगता था. जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित राज्य होगा, तो अब यह स्थिति भी बदल गई है.
जम्मू-कश्मीर में अब दोहरी नागरिकता नहीं होगी. आर्टिकल 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में वोट का अधिकार सिर्फ वहां के स्थायी नागरिकों को ही था. दूसरे राज्य के लोग यहां वोट नहीं दे सकते और न चुनाव में उम्मीदवार बन सकते थे. अब नरेंद्र मोदी सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद भारत का कोई भी नागरिक वहां के वोटर और प्रत्याशी बन सकते हैं.
कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा.विधानसभा का कार्यकाल 6 साल की जगह 5 साल होगा.
लद्दाख चंडीगढ़ जैसा केंद्र शासित प्रदेश, अभी तक जम्मू कश्मीर का हिस्सा रहे लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जायेगा.यहहां जम्मू-कश्मीर की तरह विधानसभा नहीं होगी. इसका प्रशासन चंडीगढ़ की तरह चलाया जायेगा.
कश्मीर का अलग से कोई संविधान नहीं
अनुच्छेद 370 के हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष अधिकार पूरी तरह से खत्म. जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान पूरी तरह से लागू होगा. जम्मू-कश्मीर का अपना अलग से कोई संविधान नहीं होगा.
RTI कानून कश्मीर में भी चलेगा
जम्मू-कश्मीर में आरटीआई और सीएजी जैसे कानून भी यहां लागू होंगे.
बाहरी राज्य के लोगों को भी नौकरी मिल सकेगी
जम्मू-कश्मीर में देश का कोई भी नागरिक अब नौकरी पा सकता है.
वित्तीय आपातकाल भी लग सकेगा
भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अंतर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती थी. अब ऐसा नहीं होगा. जम्मू कश्मीर भी इसके दायरे में होगा.