वर्ष 2021 का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को, सूतक के नियम लागू नहीं होंगे

वर्ष 2021 का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को लगेगा। सूर्य ग्रहण 10 जून 2021, गुरुवार को दोपहर 1:42 बजे से शुरू होगा और शाम 06:41 बजे पर समाप्त होगा। यह। ग्रहण इंडिया में दिखाई नहीं पड़ेगा ऐसे में धार्मिक मान्यता के अनुसार सूतक काल मान्य नहीं होगा। वलयकार सूर्यग्रहण ग्रीनलैंड, उत्तर-पूर्वी कनाडा, उत्तरी अमेरिका में दिखाई पड़ेगा। 

वर्ष 2021 का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को, सूतक के नियम लागू नहीं होंगे
  • वर्ष 2021 का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को, सूतक के नियम लागू नहीं होंगे 
  • दोपहर 1:42 बजे से शुरू होगा और शाम 06:41 बजे पर समाप्त होगा ग्रहण

धनबाद। वर्ष 2021 का पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को लगेगा। सूर्य ग्रहण 10 जून 2021, गुरुवार को दोपहर 1:42 बजे से शुरू होगा और शाम 06:41 बजे पर समाप्त होगा। यह। ग्रहण इंडिया में दिखाई नहीं पड़ेगा ऐसे में धार्मिक मान्यता के अनुसार सूतक काल मान्य नहीं होगा। वलयकार सूर्यग्रहण ग्रीनलैंड, उत्तर-पूर्वी कनाडा, उत्तरी अमेरिका में दिखाई पड़ेगा। 

आंशिक के कारण नहीं लगेगा सूतक
यह साल का दूसरा ओर पहला सूर्य ग्रहण है। सूर्य ग्रहण ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को लग रहा है। खास बात यह है कि इस दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती भी है। आंशिक सूर्य ग्रहण के कारण धनबाद और झारखंड के लोगों को ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है। इसके सूतक नहीं लगेंगे। यानी सूतक के नियम लागू नहीं होंगे। इस कारण मंदिरों के कपाट भी बंद नहीं होंगे। हलांकि कोरोना के कारण मंदिरों के पट भक्तों के लिए बंद हैं।
सूर्य ग्रहण का समय:  10 जून 2021, गुरुवार को दिन के 1:42 बजे से शुरू होकर शाम 06:41 बजे पर समाप्त होगा। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस वर्ष दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं। 26 मई को वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण लगने के बाद अब 10 जून को पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है। पंचांग के अनुसार, उसी दिन वट सावित्री व्रत होगा। सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है लेकिन हमारे हिन्दू संस्कृति में इसका धार्मिक और अध्यात्मिक महत्व है। सूर्य ग्रहण काल में कुछ कार्य वर्जित माने गये हैं।दोपहर में लगने वाला यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं या आंशिक रूप से कहीं कहीं दिखाई देगा। उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग तथा यूरोप और एशिया में आंशिक तौर पर दिखाई देगा। वहीं उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रूस में यह सूर्य ग्रहण पूर्ण रूप से नजर आयेगा। ज्योतिषाचार्य पं.सचिन कुमार दूबे ने बताया कि इस बार सूतक काल मान्य नहीं होगा। ग्रहण अशुभ माने गये हैं। इसीलिए ग्रहण काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
वट सावित्री पूजा पर नहीं पड़ेगा प्रभाव
शास्त्रों में स्पस्ट उल्लेख है कि जहां ग्रहण दिखाई नहीं देता है वहां उसका असर नहीं होता है किसी प्रकार का कोई सुतक नहीं लगेगा। व्रत त्योहार पर इसका असर नहीं होगा। वट सावित्री पूजा पर भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। 
साल का दूसरा सूर्य ग्रहण चार दिसंबर को लगेगा
 
इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण चार दिसंबर को लगेगा। हालांकि दूसरे ग्रहण में भी भारत में सूर्य ग्रहण का असर शून्य होगा। ऐसे स्थिति से भारत में सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। साल का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को लगा था। इसका भी सूतक नहीं था। क्योंकि चंद्रग्रहण भी भारत में नहीं लगा था। साल का प्रथम सूर्य ग्रहण भारत में आंशिक होने के कारण सूतक के नियम लागू नहीं होंगे। सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पूर्व सूतक काल शुरू हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान यानी सूतक काल में शुभ शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं। कार्य वर्जित है। इस दौरान पूजा-पाठ आदि की भी मनाही होती है। ग्रहण के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिये जाते हैं। 

सूर्य ग्रहण की मान्यताएं

सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। मगर भारत में इसे धार्मिक पहलू के हिसाब से देखा जाता है। यह ग्रहण अशुभ माने गये हैं। इसीलिए ग्रहण काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। ग्रहण काल में मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस समय खाना और पीना भी वर्जित होता है। ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान रखने के लिए कहा जाता है। इस दौरान लोग बचे हुए खाने पर या बचे हुए खाने की वस्तुओं पर तुलसी के पत्ते रख देते हैं। मान्यताओं के अनुसार, जब ग्रहण काल समाप्त हो जाता है तब घर को साफ-सुथरा करके गंगाजल छिड़कर या स्नान करना चाहिए।

सूर्य पुत्र शनि देव की जयंती
सूर्यग्रहण के दिन सूर्यपुत्र शनि की भी जयंती मनाई जायेगी। ज्योतिषों के अनुसार सूर्य और शनि देव का प्रभाव लोगों के जीवन पर भी पड़ेगा। जिन राशियों पर शनिदेव मेहरबान

वहीं शनि का प्रभाव लोगों पर सकारात्मक और नकारात्मक रूप से अपना असर डालेगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर हुआ था। इस दिन विधि-विधान के साथ शनि देव की पूजा अर्चना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार मनुष्य के कर्मां के अनुसार शनिदेव उसे वैसा ही फल प्रदान करते हैं। मनुष्य द्वारा किया गया शुभ या अशुभ कार्य शनिदेव से कुछ नहीं छिपा होता है। सूर्यग्रहण के दिन शनि जयंती होने से इसका सबसे ज्यादा असर वृषभ राशि पर होगा। ज्योतिष के अनुसार इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि पर संचार करेगा। वृष राशि के लोगों को सर्तक रहने की जरूरत है। स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। धन की हानि होने के साथ व्यर्थ खर्च होने की संभावना है। वृश्चिक राशि पर शनि देव मेहरबान हैं। कामयाबी और सफलता इन्हें मिलेगी। जीवन में आनंद का अनुभव करेंगे, आय के नये साधन खुलने की संभावना बन सकती है। वहीं मीन राशि वालों पर भी शनि देव अपना कृपा बरसाएंगे। किसी समस्या का समाधान होने के साथ कार्य क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावना है। वहीं अन्य राशि वाले लाेगों को शनि का बुरा प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में  शनि के बुरे प्रभाव से बचने के लिए हनुमान की आराधना करने के साथ महामृत्युंजय का जाप करें।