बिलों के लटकने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त,कहा- गवर्नरों को जनता नहीं चुनती, समय पर फैसले क्यों नहीं हो रहे

पंजाब सरकार के 7 बिलों को अटका कर रखने के आरोपों में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तल्ख टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नर से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि शुक्रवार तक आप बतायें की सरकार की ओर से दिये गये सात विधेयकों पर अब तक आपने क्या ऐक्शन लिया है। 

बिलों के लटकने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त,कहा- गवर्नरों को जनता नहीं चुनती, समय पर फैसले क्यों नहीं हो रहे

नई दिल्ली। पंजाब सरकार के 7 बिलों को अटका कर रखने के आरोपों में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तल्ख टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नर से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि शुक्रवार तक आप बतायें की सरकार की ओर से दिये गये सात विधेयकों पर अब तक आपने क्या ऐक्शन लिया है। 

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चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि गवर्नरों को सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद ही काम शुरू नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार और राज्यपालों को अपने विवाद आपसी चर्चा से ही निपटा लेने चाहिए। बेंच ने कहा कि गवर्नरों को भले ही विधेयकों को वापस करने का अधिकार है, लेकिन वे उसे अटका कर नहीं बैठ सकते। बेंच ने कहा कि गवर्नर चुनी हुई सरकार जैसे नहीं हैं। उन्हें समय पर बिलों को मंजूरी देने या फिर वापस लौटाने पर फैसला लेना चाहिए। पंजाब की आप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। पंजाब सरकार ने अर्जी में गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित पर आरोप लगाया है कि वह सात विधेयकों पर फैसला नहीं ले रहे हैं, जो उन्हें मंजूरी के लिए भेजेगए थे। पंजाब सरकार ने कहा कि चार विधेयक जून में भेजे गये थे, जबकि तीन मनी बिलों को सदन में लाने से पहले ही भेजा गया था।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि सभी गवर्नरों को इस पर विचार करना चाहिए। वे चुने हुए लोग नहीं होते। यहां तक कि मनी बिलों को रोकने के लिए तो एक समय सीमा है। आखिर सरकारों को सेशन आहूत करने की मंजूरी के लिए भी कोर्ट क्यों आना पड़ रहा है। ये ऐसे मामले हैं, जिन्हें सीएम और गवर्नर को ही बैठकर निपटना लेना चाहिए।' इस मामले में अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 10 नवंबर को होगी। तब तक गवर्नर को बताना होगा कि उन्होंने लंबित बिलों को लेकर अब तक क्या ऐक्शन लिया है।
गवर्नर को कोई बिल सरकार को वापस भेजने का भी अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गवर्नर को कोई बिल सरकार को वापस भेजने का भी अधिकार है लेकिन मामला कोर्ट तक आने से पहले राज्यपालों को निर्णय लेना चाहिए। कोर्ट ने पंजाब में विधानसभा सेशन लगातार चालू रखने पर भी सवाल उठाते कहा कि यह संविधान में दी गई व्यवस्था नहीं है। इस पर पंजाब के सॉलिसीटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि गवर्नर ने सभी सात बिल पर फैसला ले लिया है। जल्द ही सरकार को इसकी जानकारी दे दी जायेगी। स्टेट गवर्नमेंट की दलील थी कि गवर्नर अनिश्चितकाल तक विधेयकों को रोक नहीं सकते हैं। संविधान के अनुच्छेद-200 के तहत प्राप्त उनकी शक्तियां सीमित हैं।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद गवर्नर का यू-टर्न
पंजाब के गवर्नर द्वारा पंजाब विधानसभा का गवर्नर द्वारा बुलाया गया स्पेशल सेशन गैरकानूनी घोषित करने और बिलों को पारित न करने को लेकर पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने के पंजाब सरकार के फैसले के बाद गवर्नर का यू-टर्न सामने आया। गवर्नर ने सीएम को पत्र लिखकर सफाई दी थी कि वह पंजाब के हित में पंजाब सरकार द्वारा लाये जानेवाले बिलों पर विचार करने को तैयार हैं।