चार महीने तक नहीं होगी शादी-विवाह,20 जुलाई से शुरू हो रहा चातुर्मास चार महीने योगनिद्रा में रहते हैं भगवान विष्णु 

देवशयनी एकादशी  20 जुलाई से चातुर्मास आरंभ  हो जायेगा। इस दिन से विवाह, मुंडन, जनेऊ आदि मांगलिक व शुभ कार्यों पर चार माह तक ब्रेक लग जायेगा। 

चार महीने तक नहीं होगी शादी-विवाह,20 जुलाई से शुरू हो रहा चातुर्मास चार महीने योगनिद्रा में रहते हैं भगवान विष्णु 
  • इस अवधि में किसी प्रकार का मांगलिक कार्य नहीं किया जाता 
  • अब शुभ मुहूर्त की शुरुआत नवंबर में होगी

पटना। देवशयनी एकादशी  20 जुलाई से चातुर्मास आरंभ  हो जायेगा। इस दिन से विवाह, मुंडन, जनेऊ आदि मांगलिक व शुभ कार्यों पर चार माह तक ब्रेक लग जायेगा। 
पंचांगों के अनुसार आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी मनाई जाती है। देवशयनी एकादशी से ही चातुर्मास की गणना होती है। वहीं कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवोत्थान एकादशी तक इसकी अवधि मानी जाती है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु पाताल लोक में योग निद्रा में चले जाते हैं। वे देवोत्थान एकादशी के दिन अपनी योग निद्रा से बाहर आते हैं। इन चार महीनों के दौरान सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। इन महीनों में किसी प्रकार का मांगलिक कार्य के लिए चार माह तक करना होगा इंतजार
चातुर्मास 20 जुलाई से लेकर 14 नवंबर तक रहेगा। ऐसे में अब 14 नवंबर के बाद ही मांगलिक कार्य आरंभ होगा। इस वर्ष 19 नवंबर से 13 दिसंबर तक कुल 12 लग्न हैं। इसके बाद अगले वर्ष 15 जनवरी 2022 के बाद  शुभ मुहूर्त शुरू होगा। 20 जुलाई के बाद लोगों को चार महीने तक शादी-विवाह के लिए लंबा इंतजार करना होगा। बनारसी पंचांग के अनुसार जुलाई माह में 12,15,16 जुलाई को लग्न हैं। इसके बाद फिर नवंबर में ही शुभ मुहूर्त हैं। नवंबर महीने 20, 21, 26, 28, 29 नवंबर को विवाह के मुहूर्त हैं। दिसंबर माह में विवाह के लिए शुभ दिन 1, 2, 5, 7, 12, 13 हैं।

मिथिला पंचांग में जुलाई में कोई शुभ मुहूर्त नहीं 
मिथिला पंचांग के अनुसार जुलाई माह में विवाह के लिए कोई मुहूर्त नहीं है। नवंबर माह में  21,22,29 और दिसंबर महीने में 1, 2, 5, 6, 8, 9, 13 दिसंबर को शादी के मुहूर्त हैं। ज्योतिष आचार्य की मानें तो शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्व रखता है। शादी के शुभ योग के लिए वृहस्पति, शुक्र, सूर्य का शुभ होना जरूरी होता है। रवि गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभ फलदायी होता है।