Manipur: स्टेट में में दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश, गवर्नर ने दी  मंजूरी

मणिपुर में आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच हिंसा भड़की हुई है। स्टेट गवर्नमेंट ने ने 'शूट एट साइट' आदेश जारी किया है। स्थिति को कंट्रोल करने के लिए गुरुवार ‘‘गंभीर स्थिति’’में देखतेही गोली मारने का आदेश जारी किया। 

Manipur: स्टेट में में दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश, गवर्नर ने दी  मंजूरी
  • हिंसा के कारण नौ हजार से अधिक लोग विस्थापित

इम्फाल। मणिपुर में आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच हिंसा भड़की हुई है। स्टेट गवर्नमेंट ने 'शूट एट साइट' आदेश जारी किया है। स्थिति को कंट्रोल करने के लिए गुरुवार ‘‘गंभीर स्थिति’’में देखतेही गोली मारने का आदेश जारी किया। 

यह भी पढ़ें:Uttar Pradesh : खूंखार गैंगस्टर अनिल दुजाना एनकाउंटर में मारा गया, मेरठ में एसटीएफ ने किया ढ़ेर

मणिपुर में जारी हिंसा के कारण नौ हजार से अधिक लोग विस्थापित हो गये हैं। नगा और कुकी आदिवासियों द्वारा ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किये जाने के बाद बुधवार को हिंसा भड़क गई। यह रात में और तेज हो गई। गवर्नर की ओर से जारी आदेश मेंकहा गया है कि ‘‘समझाने और चेतावनी के बावजूद स्थिति काबू में नहीं आने पर 'देखते ही गोली मारने’ की कार्रवाई की जा सकती है। राज्य सरकार के आयुक्त (गृहगृ ) द्वारा हस्ताक्षरित अधिसूचना दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के प्रावधानों के तहत जारी की गई है।
आदिवासियों के प्रदर्शन में हिंसा भड़की, आठ जिलों में आर्मी तैनात
ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन ने बुधवार को ट्राइबल सॉलिडेरटी मार्च बुलाया था। इसके चलते हिंसा भड़क गई।मणिपुर में सरकार ने दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिये हैं। हिंसाग्रस्त इलाकों में धारा 144 लागू है। स्टेट में अगले पांच दिनों के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। आदिवासियों के बुधवार को प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी। इसके बाद आठ जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया। आर्मी और असम राइफल्स की 55 टुकड़ियों को तैनात किया गया है। नौ हजार लोगों को राहत कैंपों में शिफ्ट किया गया।
सेंट्रल होम मिनिस्टर अमित शाह ने सीएम एन बीरेन सिंह से फोन पर बात कर हालात की जानकारी ली। बीरेन सिंह ने आज सुबह एक वीडियो मैसेज जारी कर लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। सेंट्रल पूर्वोत्तर राज्य के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में तैनाती के लिए RAF की टीमों को भी भेजा है। सूत्रों के मुताबिक RAF की पांच कंपनियों को इंफाल एयरलिफ्ट किया गया है, जबकि 15 अन्य जनरल ड्यूटी कंपनियों को भी राज्य में तैनाती के लिए तैयार रहने को कहा गया है।

ऑल इंडिया ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन ने बुधवार को ट्राइबल सॉलिडेरटी मार्च बुलाया था। इसी दौरान आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों में झड़प हो गई। आदिवासी समुदाय उस मांग का विरोध कर रहा था, जिसमें डिमांड की जा रही है कि गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को शेड्यूल ट्राइब (ST) का दर्जा दिया जाए। मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि मैतेई समुदाय की डिमांड पर विचार करे। चार महीने के भीतर केंद्र को रिकमेंडेशन भेजे। इसी आदेश के बाद आदिवासी और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा शुरू हो गई।

मणिपुर में 53% से ज्यादा मैतेई, 10 साल से ST स्टेटस की डिमांड
सीएम बीरेन सिंह ने कहा कि हिंसा की वजह दो समुदायों के बीच गलतफहमियां हैं। लंबे समय से चली आ रही शिकायतों को सही तरीके से लोगों की सलाह के जरिए हल कर लिया जायेगा। शांति बनाए रखें।मैतेई एक गैर-आदिवासी समुदाय है। यह मणिपुर की आबादी का 53% हिस्सा है। मुख्य रूप से इस समुदाय के लोग मणिपुर घाटी में रहते हैं। ये पिछले 10 साल से अपने समुदाय को ST स्टेटस दिये जाने की मांग कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि म्यांमार और बांग्लादेश के लोग बड़े पैमाने पर राज्य में दाखिल हो गये हैं। उसके चलते इन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है। स्टेट की आबादी में 53 प्रतिशत हिस्सा रखनेवाले गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के खिलाफ चुराचांदपुर जिलेके तोरबंग इलाके में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) द्वारा बुलाये गये ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान बुधवार को हिंसा भड़क गई।
मार्च का आयोजन मणिपुर हाई कोर्ट द्वारा पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय द्वारा एसटी दर्जेकी मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजनेके लिए कहने के बाद किया गया। पुलिस के अनुसार, चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र मेंमार्चके दौरान हथियार लिए हुए लोगों की एक भीड़ नेकथित तौर पर मेइती समुदाय के लोगों पर हमला किया, जिसकी जवाबी कार्रवाई में भी हमलेहुए, जिसके कारण पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई।