लातेहार: जगड़ा पहाड़ से 24 घंटे बाद उतरा नक्सली का बॉडी, खुफिया एजेंसी की विफलता उजागर

लातेहार  जगड़ा पहाड़ में मंगलवार को हुई पुलिस-नक्सली एनकाउंटर में मारे गये एक नक्सली की बॉडी बुधवार को पहाड़ से नीचे उतारा गया। इस दौरान पुलिस ने AK-56 समेत सात आर्म्स भी बरामद किया है।

लातेहार: जगड़ा पहाड़ से 24 घंटे बाद उतरा नक्सली का बॉडी, खुफिया एजेंसी की विफलता उजागर
  • AK-56 समेत साथ आर्म्स बरामद

लातेहार।  जगड़ा पहाड़ में मंगलवार को हुई पुलिस-नक्सली एनकाउंटर में मारे गये एक नक्सली की बॉडी बुधवार को पहाड़ से नीचे उतारा गया। इस दौरान पुलिस ने AK-56 समेत सात आर्म्स भी बरामद किया है। एनकाउंटर के बाद नक्सली संगठन JJMP के अन्य उग्रवादी जंगल का फायदा उठाकर पहाड़ के उस पार लोहरदगा बोर्डर में इंट्री कर गये थे। 

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पुलिस छावनी में तब्दील रहा एरिया

जगड़ा पहाड़ पर एसपी अंजनी अंजन समेत कई पुलिस अफसर कैंप किये हुए थे। पुलिस देर शाम तक सर्च ऑपरेशन चला रही थी। लातेहार सदर पुलिस स्टेशन के नावाडीह गांव से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित नारायणपुर जंगल के जगड़ा पहाड़ स्थित एनकाउंटर स्थल के आसपास का इलाका छावनी में तब्दील रहा।  इलाके में भारी पुलिस बल की तैनाती की गयी है।एसपी अंजनी अंजन, एसपी ऑपरेशनविपुल पांडेय, CRPF -214वीं बटालियन के कमांडेंट ऋषिराज सहाय, SDPO संतोष मिश्र, सदर थानेदार अमीत कुमार गुप्ता व सीओ रूद्र प्रताप समेत अन्य पुलिस अफसर कैंप कर रहे थे। CRPF -214वीं बटालियन, झारखंड जगुआर एवं जिला पुलिस के जवानों ने इलाके को चारों तरफ से घेर रखा था।
 JJMP नक्सलियों के जमावड़े की सूचना पर ऑपरेशन में निकली सुरक्षा बलों की टीम और उग्रवादियों के बीच मंगलवार को एनकाउंटर हुई थी। इसमें में झारखंड जगुआर के डिप्टी कमांडेंट राजेश कुमार शहीद हो गये । सुरक्षा बलों  ने एक उग्रवादी भी ढे़र किया था।
नक्सली घटना से फिर खुफिया एजेंसी की विफलता उजागर
लातेहार जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर जगड़ा पहाड़ है। जगड़ा पहाड़ के नीचे घनी आबादी वाला नावाडीह, नारायणपुर व सलैया समेंत कई गांव हैं.।जगड़ा पहाड़ कई पहाड़ियों को जोड़ता है। इन पहाड़ियों में माओवादी, टीपीसी व जेजेएपी के उग्रवादी अक्सर यहां खुले में विचरण करते हैं। सामुदायिक पुलिसिंग के तहत इन गांवों में कई कार्यक्रम चलाये जाते हैं. बावजूद इसके पुलिस इन गांवों में सूचना तंत्र को मजबूत नहीं कर पायी है।खुफिया एजेंस को भी इस एरिया में उग्रवादियों की गतिविधियों का पता नहीं चल पाता है। 
पुलिस को पहले से खुफिया एजेंसी की ठोस इनपुट नहीं थी। पुलिस भी JJMP के उग्रवादियों की संख्या, उनके आर्म्स एवं जमावाड़ा का सही आकलन नहीं कर पायी। सोर्सेज का कहना है कि सुरक्षा बलों के जंगल में घुसते ही JJMP का संत्री ने पुलिस के जवानों को देख लिया। लेकिन, पुलिस उसे नहीं देख पायी। जवानों को आता देख कर संत्री ने गोली चला दी।इससे जगुआर के सहायक कमाडेंट घायल हो गये। हालांकि बाद में पुलिस ने भी मोरचा संभाला और एक उग्रवादी को ढेर कर दिया।