Judge house Cash scandal : जस्टिस यशवंत वर्मा पर जांच रिपोर्ट सीजेआई ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी

जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर कैश मिलने के आरोपों की जांच करने वाली इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट CJI संजीव खन्ना को मिल गया है। इस रिपोर्ट को CJI ने राष्ट्रपति और पीएम को भेज दी है। जस्टिस वर्मा ने इस रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया भी दी है, जिसे साथ में भेजा गया है।

Judge house Cash scandal : जस्टिस यशवंत वर्मा पर जांच रिपोर्ट सीजेआई ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी
जस्टिस यशवंत वर्मा (फाइल फोटो)।

नई दिल्ली। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर कैश मिलने के आरोपों की जांच करने वाली इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट CJI संजीव खन्ना को मिल गया है। इस रिपोर्ट को CJI ने राष्ट्रपति और पीएम को भेज दी है। जस्टिस वर्मा ने इस रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया भी दी है, जिसे साथ में भेजा गया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि 'CJI ने इन-हाउस प्रक्रिया के तहत राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को 3 मई, 2025 की तीन-सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट की कॉपी और जस्टिस यशवंत वर्मा का छह मई, 2025 का पत्र/जवाब भेजा है।' हालांकि, जस्टिस वर्मा ने अपने जवाब में क्या कहा है, यह साफ नहीं हो पाया है। कैश कांड की जांच के लिए तीन सदयीय टीम का गठन चीफ जस्टिस ने ही किया था। इस टीम मेंपंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक के जस्टिस अनुशिवरमन शामिल थे। इस पैनल ने 25 मार्चको जांच शुरु की थी। चार अप्रैल को उसकी ओर से रिपोर्ट चीफ जस्टिस खन्ना को सौंप दी गयी।
इस्तीफा दें तो अच्छा रहेगा
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई को अपने रिटायरमेंट से पहले चीफ जस्टिस संजीव खन्ना कड़ा फैसला लेने के मूड में हैं। रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर बड़े पैमाने पर कैश भंडार मिलने की बात को सही पाया गया है। इस तरह जस्टिस यशवंत वर्मा की भूमिका इस केस में संदिग्ध नजर आयी है। अब रिपोर्ट चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के पास है तो उहोंने जस्टिस यशवंत वर्मा का इस्तीफा ही मांग लिया है। न्यायपालिका से जुड़े सोर्सेज का कहना है कि उन्हें विकल्प दिया गया है कि वे इस्तीफा दे दें। यदि ऐसा नहीं करेंगे तो फिर महाभियोग के लिए रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी जायेगी।
जस्टिस यशवंत वर्मा केस की जानकारी रखने वाले एक सोर्सेज ने बताया, 'रिपोर्ट में उनकी भूमिका गलत पायी गयी है। प्रक्रिया के अनुसार चीफ जस्टिस ने उन्हें बुलाया था। उहेंपहला विकप दिया गया है कि वे इस्तीफा दे दें। यदि वे अपना पद छोड़ते हैं तो अच्छी बात होगी। ऐसा नहीं किया तो फिर उनके खिलाफ आई जांच रिपोर्ट को राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा। फिर राष्ट्रपति से महाभियोग को मंजूरी मिलेगी तो उन्हें प्रस्ताव लाकर हटाया जायेगा।' खबर है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को नौ मई तक का ही समय मिला है। इतने में उन्हें इस्तीफे का विकल्प चुनना होगा। यदि ऐसा नहीं किया तो फिर फाइल राष्ट्रपति के पास जायेगी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का 13 मई को रिटायरमेंट है। वह इससे पहले ही जस्टिस यशवंत वर्मा पर फैसला ले लेना चाहते हैं।
उल्लेखनीय है कि 14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास के एक हिस्से में आग लग गयी थी। घर पर उनकी बेटी और बुजुर्ग मां ही मौजूद थे। आग लगने पर बेटी और घरेलू स्टाफ ने फायर ब्रिगेड को कॉल कर दिया। मौके पर पहुंचे अग्निशमनकर्मियों नेउनके एक कमरे में बड़े पैमाने पर नोट बिखरे देखे। यह नोटों का जखीरा इतना यादा था कि कुछ तो आग के हवाले भी हो गये थे। इसका वीडियो भी वायरल आ था। फिर इस मामले में अग्निशमन विभाग और पुलिस की भी रिपोर्ट ली गयी। इसी आधार पर जांच टीम ने जस्टिस यशवंत वर्मा को दोषी माना है।
समिति ने अपनी जांच के दौरान सुबूतों का विश्लेषण किया
समिति ने अपनी जांच के दौरान सुबूतों का विश्लेषण किया और 50 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए। इनमें दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा और दिल्ली अग्निशमन सेवा के प्रमुख शामिल थे, जिन्होंने 14 मार्च की रात करीब 11.35 बजे लुटियंस दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास पर आग लगने पर सबसे पहले प्रतिक्रिया दी थी।जस्टिस वर्मा उस वक्त दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे। सूत्रों का कहना है कि समिति को मिले स्पष्ट सुबूत, आग लगने के दौरान जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास के स्टोर रूम से भारी मात्रा में नकदी बरामद किए जाने संबंधी गंभीर आरोपों को सही साबित करते हैं। जबकि दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को दिए अपने जवाब में जस्टिस वर्मा ने बार-बार इन आरोपों से इन्कार किया था।
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के वरिष्ठ सदस्यों से चर्चा 
सोर्सेज के अनुसार आगामी 13 मई को रिटायर होने वाले चीफ जस्टिस खन्ना ने रिपोर्ट के निष्कर्षों पर सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के वरिष्ठ सदस्यों से चर्चा की है। संभवत: इस मामले को इसके तार्किक निष्कर्ष पर ले जायेंगे। उल्लेखनीय है कि यह विवाद कैश की बरामदगी के साथ सामने आने के बाद कई स्तरों पर पहुंचा। इसमें दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की प्राथमिक जांच, फिर दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य को वापस ले लेना और बाद में उन्हें न्यायिक कार्य से मुक्त करके वापस इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज देना शामिल था।
महाभियोग चलेगा या इस्तीफा देंगे?
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार दो चीफ जस्टिस और एक हाई कोर्ट के जज वाली इन-हाउस कमेटी ने जस्टिस वर्मा को दोषी पाया है। यह भी खबर आ चुकी है कि CJI ने जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने या महाभियोग का सामना करने के लिए कहा था। बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर कैशमिलने के आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट CJI संजीव खन्ना को सौंपी। अब CJI खन्ना ने यह रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी है। जस्टिस वर्मा ने भी इस रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी, जिसे CJI ने साथ में भेजा है।
विवाद के बाद इलाहाबाद हुआ था ट्रांसफर
आरोपों के बाद, जस्टिस वर्मा को उनके मूल हाई कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस भेज दिया गया। वहां उन्होंने हाल ही में पद और गोपनीयता की शपथ ली है। हालांकि, CJI के निर्देश पर जज का न्यायिक काम अस्थायी रूप से वापस ले लिया गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस वर्मा के तबादले के विरोध में पहले हड़ताल की थी।
जस्टिस वर्मा ले चुके हैं कानूनी सलाह
इन-हाउस जांच लंबित होने के कारण, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इन-हाउस जांच शुरू होने के तुरंत बाद, जस्टिस वर्मा ने वरिष्ठ वकीलों की एक टीम से कानूनी सलाह मांगी थी। सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल और अरुंधति काटजू और एडवोकेट तारा नरूला, स्तुति गुजराल और एक अन्य वकील उनके आवास पर गये थे।